Tuesday, December 3, 2024

पापा खो गए

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“पापा खो गए” कहानी में एक बच्चे के पिता अचानक गायब हो जाते हैं। बच्चा अपने पिता को ढूंढने की कोशिश करता है और इस दौरान उसे कई लोगों से मिलता है। ये लोग अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की मदद करने से कतराते हैं। लेकिन अंत में, एक छोटी सी लड़की बच्चे की मदद करती है और उसके पिता को ढूंढने में मदद करती है।

इस कहानी से हमें पता चलता है कि लोगों के अंदर अच्छाई और बुराई दोनों मौजूद होते हैं। हमें हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए, चाहे वे हमें जाने पहचाने हों या अजनबी।

नाटक से

1. नाटक में आपको सबसे बुद्धिमान पात्र कौन लगा और क्यों ?

उत्तर : 

नाटक “पापा खो गए” में सबसे बुद्धिमान पात्र छोटी बच्ची लगती है। वह समझदार और मदद करने वाली है। उसने बच्चे की परेशानी को समझा और उसे अपने पिता को ढूंढने में मदद की। उसने अपने स्वार्थ को पीछे रखकर दूसरों की मदद की, जो उसकी बुद्धिमत्ता और दयालुता को दर्शाता है।

2. पेड़ और खंभे में दोस्ती कैसे हुई ?

उत्तर :

पेड़ और खंभे की दोस्ती एक तेज हवा के दौरान हुई। खंभा पतला और कमजोर था, इसलिए तेज हवा में हिलने लगा और गिरने वाला था। पेड़ ने उसे सहारा दिया और उसे गिरने से बचा लिया। इस घटना से खंभे को एहसास हुआ कि ताकत सिर्फ मजबूती में नहीं होती, बल्कि दूसरों की मदद करने की क्षमता में भी होती है। इस तरह, दोनों ने एक-दूसरे की मदद की और दोस्त बन गए।

3. लैटरबक्स को सभी लाल ताऊ कहकर क्यों पुकारते थे?

उत्तर :

लैटरबक्स को सभी लाल ताऊ कहकर पुकारते थे क्योंकि डाकिये आमतौर पर लाल रंग की ड्रेस पहनते थे। यह रंग बच्चों को आकर्षित करता था और वे उन्हें आसानी से पहचान लेते थे। इसके अलावा, डाकिया बच्चों के लिए खुशी का संदेश लेकर आता था, इसलिए बच्चे उन्हें प्यार से लाल ताऊ कहकर बुलाते थे।

4. लाल ताऊ किस प्रकार बाकी पात्रों से भिन्न है ?

उत्तर :

लाल ताऊ नाटक के अन्य पात्रों से कई तरह से भिन्न है। कुछ प्रमुख अंतर इस प्रकार हैं:

  • शिक्षा: लाल ताऊ नाटक में एकमात्र ऐसा पात्र है जिसे पढ़ना-लिखना आता है। वह दोहे और भजन भी गा सकता है। यह उसकी शिक्षा और ज्ञान को दर्शाता है।
  • अनुभव: लाल ताऊ ने जीवन में कई अनुभव किए हैं। वह गाँव के लोगों को पत्र लिखने, पढ़ने और समझाने में मदद करता है। उसकी यह क्षमता उसके अनुभव का परिणाम है।
  • दायित्व: लाल ताऊ गांव के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है। वह उनके पत्रों को लाता है और जाता है, जिससे लोग अपने प्रियजनों के साथ जुड़े रहते हैं। यह उसके दायित्व और जिम्मेदारी को दर्शाता है।
  • व्यवहार: लाल ताऊ का व्यवहार अन्य पात्रों से अलग है। वह शांत, समझदार और धैर्यवान है। वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता है।

5. नाटक में बच्ची को बचानेवाले पात्रों में एक ही सजीव पात्र है। उसकी कौन-कौन सी बातें आपको मज़ेदार लगीं ? लिखिए।

उत्तर :

अजीबोगरीब व्यक्तित्व: हो सकता है कि पात्र का व्यक्तित्व बहुत ही अजीबोगरीब हो। जैसे कि वो बहुत शर्मीला या बहुत ही बहादुर हो।

मज़ाकिया बातें: हो सकता है कि पात्र मज़ाकिया बातें करता हो या मज़ाकिया स्थितियों में फंस जाए।

असामान्य क्षमताएं: हो सकता है कि पात्र में कोई विशेष क्षमता हो, जैसे उड़ना, अदृश्य होना या जानवरों से बात करना।

शारीरिक हास्य: हो सकता है कि पात्र की शारीरिक बनावट या हाव-भाव मज़ेदार हो। जैसे कि वो बहुत लंबा हो या बहुत छोटा।

6. क्या वजह थी कि सभी पात्र मिलकर भी लड़की को उसके घर नहीं पहुँचा पा रहे थे?

उत्तर :

अंधेरा और डर: रात का अंधेरा था और सभी पात्रों को अंधेरे से डर लग रहा था। इससे वे सही रास्ता नहीं ढूंढ पा रहे थे।

अलग-अलग राय: सभी पात्रों की अलग-अलग राय थी कि लड़की को किस रास्ते से ले जाया जाए। इससे वे एक निर्णय पर नहीं पहुंच पा रहे थे।

अपनी-अपनी समस्याएं: प्रत्येक पात्र की अपनी-अपनी समस्याएं थीं, जैसे कि खंभे को अपनी जगह से हिलना नहीं था, पेड़ को नींद आ रही थी, आदि। इन समस्याओं के कारण वे लड़की की मदद करने में असमर्थ थे।

अनुभव की कमी: अधिकांश पात्रों के पास ऐसे अनुभव नहीं थे कि वे किसी बच्चे को रात के अंधेरे में उसके घर पहुंचा सकें।

बच्ची की नींद: बच्ची गहरी नींद में थी और उसे जगाना मुश्किल था।

नाटक से आगे

2. मराठी से अनूदित इस नाटक का शीर्षक ‘पापा खो गए’ क्यों रखा गया होगा? अगर आपके मन में कोई दूसरा शीर्षक हो तो सुझाइए और साथ में कारण भी बताइए ।

उत्तर :

“पापा खो गए” यह शीर्षक सीधा और स्पष्ट है। यह कहानी के मुख्य बिंदु को बयान करता है – एक बच्चा अपने पिता को खो देता है। यह शीर्षक बच्चे की घबराहट और बेचैनी को भी दर्शाता है।

अन्य संभावित शीर्षक और उनके कारण:

  • “खोया हुआ पापा”: यह शीर्षक भी कहानी के मुख्य बिंदु को स्पष्ट करता है और पिता के खो जाने की भावना को रेखांकित करता है।
  • “डर का सफर”: यह शीर्षक कहानी के रोमांचक और डरावने पक्ष को उजागर करता है। बच्चे के लिए अपने पिता को ढूंढना एक डरावना सफर होता है।

3. क्या आप बच्ची के पापा को खोजने का नाटक से अलग कोई और तरीका बता सकते हैं?

उत्तर :

पुलिस की मदद लेना: बच्ची पुलिस स्टेशन जा सकती है और पुलिस वालों को अपने पापा के बारे में बता सकती है। पुलिस अपने नेटवर्क का उपयोग करके पापा को ढूंढने में मदद कर सकती है।

लोगों से पूछना: बच्ची बाजार, पार्क या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर जाकर लोगों से पूछ सकती है कि क्या उन्होंने उसके पापा को देखा है।

खोया हुआ बच्चा पोस्टर बनाना: बच्ची अपने पापा की एक तस्वीर के साथ एक पोस्टर बना सकती है और उसे प्रमुख स्थानों पर चिपका सकती है।

रेडियो या टेलीविज़न पर अपील करना: बच्ची रेडियो या टेलीविज़न स्टेशन पर जाकर एक अपील कर सकती है कि अगर किसी ने उसके पापा को देखा है तो वह उससे संपर्क करे।

स्कूल या मोहल्ले में मदद लेना: बच्ची अपने स्कूल के शिक्षकों या मोहल्ले के लोगों से मदद मांग सकती है। वे अपने संपर्कों का उपयोग करके पापा को ढूंढने में मदद कर सकते हैं।

अनुमान और कल्पना

1. अनुमान लगाइए कि जिस समय बच्ची को चोर ने उठाया होगा वह किस स्थिति में होगी? क्या वह पार्क / मैदान में खेल रही होगी या घर से रूठकर भाग गई होगी या कोई अन्य कारण होगा ?

उत्तर :

शायद बच्ची खेल के मैदान में खेल रही थी। चोर ने उसे कोई चॉकलेट या खिलौना देकर बहला-फुसलाया होगा और फिर उसे अपने साथ ले गया होगा। बच्ची डरी हुई और घबराई हुई होगी। उसे अकेला और असहाय महसूस हो रहा होगा।

ऐसी स्थिति में बच्चे को बहुत डर लगता है और वह रोने लगता है या चिल्लाने लगता है। लेकिन चोर उसे चुप करा देता है और उसे किसी सुनसान जगह पर ले जाता है।

यह एक बहुत ही दुखद घटना है। हमें बच्चों की सुरक्षा का ख्याल रखना चाहिए और उन्हें अजनबियों से सावधान रहने के लिए सिखाना चाहिए।

2. नाटक में दिखाई गई घटना को ध्यान में रखते हुए यह भी बताइए कि अपनी सुरक्षा के लिए आजकल बच्चे क्या-क्या कर सकते हैं। संकेत के रूप में नीचे कुछ उपाय सुझाए जा रहे हैं। आप इससे अलग कुछ और उपाय लिखिए। 

समूह में चलना ।

एकजुट होकर बच्चा उठानेवालों या ऐसी घटनाओं का विरोध करना । 

अनजान व्यक्तियों से सावधानीपूर्वक मिलना।

उत्तर :

अपने माता-पिता या किसी भरोसेमंद व्यक्ति को अपनी गतिविधियों के बारे में बताएं: बच्चों को हमेशा अपने माता-पिता या किसी भरोसेमंद व्यक्ति को बताना चाहिए कि वे कहां जा रहे हैं और किसके साथ जा रहे हैं।

अकेले किसी सुनसान जगह पर न जाएं: बच्चों को अकेले किसी सुनसान जगह पर नहीं जाना चाहिए, खासकर शाम के समय।

अजनबियों से बात करने से बचें: बच्चों को अजनबियों से बात करने से बचना चाहिए, चाहे वे कितने ही अच्छे क्यों न लगें।

अगर कोई अजनबी आपको कुछ देने की कोशिश करे तो सावधान रहें: बच्चों को अजनबियों से कोई भी चीज लेने से बचना चाहिए, चाहे वह कितनी ही आकर्षक क्यों न हो।

अगर आपको कोई खतरा महसूस हो तो शोर मचाएं: अगर बच्चे को कोई खतरा महसूस हो तो उसे तुरंत शोर मचाना चाहिए।

अपने आस-पास के लोगों को बताएं कि आप कहां जा रहे हैं: बच्चों को अपने आस-पास के लोगों को बताना चाहिए कि वे कहां जा रहे हैं।

अपने घर का पता और फोन नंबर याद रखें: बच्चों को अपने घर का पता और फोन नंबर याद रखना चाहिए।

अपने माता-पिता के मोबाइल नंबर को याद रखें: बच्चों को अपने माता-पिता के मोबाइल नंबर को याद रखना चाहिए।

अपने आस-पास के लोगों से मदद मांगें: अगर बच्चे को कोई खतरा महसूस हो तो उसे अपने आस-पास के लोगों से मदद मांगनी चाहिए।

स्कूल में सुरक्षा संबंधी बातों को ध्यान से सुनें: स्कूल में सुरक्षा संबंधी बातों को ध्यान से सुनना चाहिए और उन्हें अपने जीवन में लागू करना चाहिए।

भाषा की बात

1. आपने देखा होगा कि नाटक के बीच-बीच में कुछ निर्देश दिए गए हैं। ऐसे निर्देशों से नाटक के दृश्य स्पष्ट होते हैं, जिन्हें नाटक खेलते हुए मंच पर दिखाया जाता है, जैसे—‘सड़क / रात का समय…दूर कहीं कुत्तों के भौंकने की आवाज़।’ यदि आपको रात का दृश्य मंच पर दिखाना हो तो क्या – क्या करेंगे, सोचकर लिखिए। 

उत्तर :

1. प्रकाश व्यवस्था:

  • धीमी रोशनी: रात का अंधेरा दिखाने के लिए मंच पर कम रोशनी का इस्तेमाल किया जा सकता है। आप मंद रोशनी वाले स्पॉटलाइट्स का उपयोग कर सकते हैं या फिर नीली या बैंगनी रंग की रोशनी का उपयोग कर सकते हैं।
  • चंद्रमा और तारे: मंच पर चंद्रमा और तारों की रोशनी को दर्शाने के लिए आप छोटे-छोटे बल्बों या लेजर लाइट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • सिल्हूट: आप मंच पर सिल्हूट का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए आप मंच के पीछे से रोशनी डालें और सामने से काले पर्दे का उपयोग करें। इससे दर्शकों को लगता है कि पात्र अंधेरे में चल रहे हैं।

2. ध्वनि प्रभाव:

  • कुत्तों का भौंकना: रात का दृश्य दर्शाने के लिए आप कुत्तों के भौंकने की आवाज़ का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • हवा का झोंका: आप हवा के झोंके की आवाज़ का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • चिड़ियों की चहचहाहट: सुबह का दृश्य दर्शाने के लिए आप चिड़ियों की चहचहाहट की आवाज़ का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • बारिश की आवाज़: बारिश के दृश्य के लिए आप बारिश की आवाज़ का इस्तेमाल कर सकते हैं।

3. मंच सजावट:

  • पेड़ और झाड़ियाँ: आप मंच पर पेड़ और झाड़ियों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • घरों की झलक: आप मंच पर घरों की झलक दिखा सकते हैं।
  • सड़क: आप मंच पर सड़क का दृश्य दिखा सकते हैं।

4. वेशभूषा:

  • काले रंग के कपड़े: पात्रों को काले रंग के कपड़े पहनाए जा सकते हैं ताकि वे अंधेरे में कम दिखाई दें।
  • टोपी और दुपट्टे: पात्रों को टोपी और दुपट्टे पहनाए जा सकते हैं ताकि वे अंधेरे में खुद को ढक सकें।

5. अभिनय:

  • आवाज: अभिनेता अपनी आवाज को धीमा और कम कर सकते हैं ताकि वे अंधेरे में बात कर रहे हों।
  • हाव-भाव: अभिनेता अपने हाव-भाव से रात के डर और अंधेरे को दर्शा सकते हैं।

2. पाठ को पढ़ते हुए आपका ध्यान कई तरह के विराम चिह्नों की ओर गया होगा । अगले पृष्ठ पर दिए गए अंश से विराम चिह्नों को हटा दिया गया है। ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उपयुक्त चिह्न लगाइए-

मुझ पर भी एक रात आसमान से गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी अरे बाप रे वो बिजली थी या आफ़त याद आते ही अब भी दिल धक-धक करने लगता है और बिजली जहाँ गिरी थी वहाँ खड्डा कितना गहरा पड़ गया था खंभे महाराज अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है, अंग थरथर काँपने लगते हैं

उत्तर :

मुझ पर भी एक रात आसमान से गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी। अरे बाप रे! वो बिजली थी या आफ़त? याद आते ही अब भी दिल धक-धक करने लगता है। और बिजली जहाँ गिरी थी, वहाँ खड्डा कितना गहरा पड़ गया था! खंभे महाराज, अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है, अंग थरथर काँपने लगते हैं।

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