Sunday, January 19, 2025

बच्चे काम पर जा रहे हैं

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“बच्चे काम पर जा रहे हैं” एक मार्मिक अध्याय है जो बाल मजदूरी की गंभीर समस्या को उजागर करता है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे छोटे बच्चे अपनी पढ़ाई छोड़कर कठिन काम करने को मजबूर होते हैं। वे खेतों में काम करते हैं, कारखानों में काम करते हैं, या अन्य खतरनाक परिस्थितियों में काम करते हैं। इससे न केवल उनका शारीरिक और मानसिक शोषण होता है बल्कि उनका बचपन भी छिन जाता है। वे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं और अपना भविष्य खो देते हैं। कविता में कवि इस स्थिति से बहुत दुखी है और बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित है। यह अध्याय छात्रों को बाल मजदूरी की समस्या के प्रति जागरूक करता है और उन्हें समाज में हो रहे अन्याय के प्रति संवेदनशील बनाता है।

प्रश्न- अभ्यास

1. कविता की पहली दो पक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है उसे लिखकर व्यक्त कीजिए ।

उत्तर :

मैं जब कविता की पहली दो पंक्तियाँ पढ़ता हूँ, तो मेरे मन में एक ऐसा दृश्य उभरता है जिसमें छोटे-छोटे बच्चे, जो अभी खेलने-कूदने की उम्र में हैं, थकान और मजबूरी से भरे चेहरे लेकर काम पर जा रहे हैं। वे भारी बोझ उठाए हुए, धूल भरी सड़कों पर चल रहे हैं। उनकी आँखों में सपने नहीं, बल्कि जीवन की कठोर वास्तविकता दिखाई देती है।

यह दृश्य बेहद दर्दनाक और चिंताजनक है। एक ओर, जहां बच्चों को अपनी उम्र के अनुसार खेलना-कूदना चाहिए, वहीं दूसरी ओर वे काम करने के लिए मजबूर हैं। उनकी यह स्थिति समाज के लिए एक कलंक है।

2. कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?’ कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?

उत्तर :

कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए, “काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?”, अधिक प्रभावी है। प्रश्न पूछने से पाठक को इस मुद्दे पर गहराई से विचार करने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह एक निष्कर्ष नहीं है, बल्कि एक चुनौती है, जो पाठक को स्वयं सोचने और विश्लेषण करने के लिए प्रोत्साहित करती है। प्रश्न पूछकर, कवि पाठक को इस अन्याय को स्वीकार करने के बजाय उसका कारण खोजने और समाधान तलाशने के लिए प्रेरित करता है। यह पाठक को समाज की संरचना, आर्थिक असमानताओं और बच्चों के अधिकारों के बारे में सोचने पर मजबूर करता है। प्रश्न पूछकर, कवि पाठक को इस समस्या के प्रति जागरूक बनाता है और उसमें परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करता है।

3. सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?

उत्तर :

बच्चों के सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से वंचित रहने के कई कारण हैं। आर्थिक स्थिति एक प्रमुख कारक है, क्योंकि गरीब परिवारों के लिए इन उपकरणों को खरीदना अक्सर संभव नहीं होता है। शिक्षा की कमी भी एक महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि बच्चों को इन उपकरणों का सही उपयोग करने के बारे में जानकारी नहीं होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और बिजली की समस्याओं के कारण भी बच्चों तक ये सुविधाएं आसानी से नहीं पहुंच पाती हैं। इसके अलावा, कुछ समाजों में ऐसी मान्यताएं हैं कि बच्चों को इन उपकरणों से दूर रखना चाहिए ताकि वे पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें। इन सभी कारणों के परिणामस्वरूप बच्चों का शैक्षिक और सामाजिक विकास प्रभावित होता है। उन्हें मनोरंजन के अवसर भी सीमित हो जाते हैं, जिससे उनमें मानसिक तनाव और अकेलापन बढ़ सकता है। इस समस्या का समाधान करने के लिए सरकार को गरीब परिवारों के बच्चों को मुफ्त या सस्ते में ये उपकरण उपलब्ध कराने के लिए योजनाएं बनानी चाहिए। साथ ही, बच्चों को इन उपकरणों का सही उपयोग करने के लिए शिक्षित किया जाना चाहिए। समाज में भी जागरूकता फैलानी होगी कि ये उपकरण बच्चों के विकास में सहायक हो सकते हैं।

4. दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा / रही है, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?

उत्तर :

दिन-प्रतिदिन के जीवन में बच्चों को काम पर जाते देखना एक दुखद सच्चाई है, फिर भी कई लोगों को यह अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के कई कारण हैं। लंबे समय से बाल मजदूरी एक आम समस्या रही है, जिसके कारण लोग इसे सामान्य मानने लगे हैं। गरीबी और बेरोजगारी भी इस समस्या को बढ़ावा देती है। लोग इस स्थिति को समझने की बजाय इसे एक आवश्यक बुराई मान लेते हैं। अज्ञानता भी एक महत्वपूर्ण कारक है, कई लोगों को बाल मजदूरी के नुकसान के बारे में पता नहीं होता है। इसके अलावा, कुछ लोग सिर्फ इसलिए उदासीन रहते हैं क्योंकि वे इस समस्या को अपने जीवन से जुड़ा नहीं मानते हैं। समाज की संरचना भी इस उदासीनता में योगदान देती है। कई समाजों में बाल मजदूरी को स्वीकार किया जाता है और इसे बदलने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जाता है। यह उदासीनता बच्चों के शोषण को बढ़ावा देती है और उन्हें शिक्षा से वंचित रखती है। इस समस्या को खत्म करने के लिए हमें जागरूकता फैलानी होगी, कानून को सख्त बनाना होगा, शिक्षा पर ध्यान देना होगा और गरीबी को कम करना होगा।

5. आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते हुए देखा है ?

उत्तर :

कारखाने: कपड़ा मिल, जूता कारखाने, ईंट भट्टे आदि।

दुकानें: छोटी-छोटी दुकानों पर सामान बेचते हुए, होटलों में बर्तन साफ करते हुए, या कारोबारियों के लिए सामान ले जाते हुए।

खेत: फसल काटने, खरपतवार उखाड़ने या मवेशियों को चराने के काम में।

घर: नौकरानी का काम करते हुए या बच्चों की देखभाल करते हुए।

सड़कें: चमड़े के थैले या अन्य सामान बेचते हुए, या गाड़ियों के शीशे साफ करते हुए।

6. बच्चों का काम जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है 

उत्तर :

बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान है। यह बच्चों के बचपन को छीन लेता है, उनके शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करता है और उन्हें शिक्षा से वंचित रखता है। जब बच्चे काम करने को मजबूर होते हैं, तो उन्हें खेलने-कूदने, पढ़ने-लिखने और दोस्तों के साथ समय बिताने का मौका नहीं मिल पाता। भारी काम करने से उनका शारीरिक विकास रुक जाता है और उन्हें कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। साथ ही, मानसिक तनाव और तनाव के कारण उनका मानसिक विकास भी प्रभावित होता है। शिक्षा से वंचित रहने के कारण बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाता है। वे गरीबी के चक्र में फंस जाते हैं और अपने माता-पिता की तरह ही जीवन जीने को मजबूर होते हैं। बाल मजदूरी समाज के लिए भी एक बड़ा नुकसान है। यह समाज को कमजोर बनाता है और विकास को रोकता है। एक समाज जहां बच्चे काम करने को मजबूर हैं, वह एक असफल समाज है।

रचना और अभिव्यक्ति

7. काम पर जाते किसी बच्चे के स्थान पर अपने आप को रखकर देखिए। आपको जो महसूस होता है उसे लिखिए।

उत्तर :

बहुत थका हुआ और अभिभूत महसूस करता। मुझे लगता कि मैं हमेशा थका हुआ रहूंगा और मेरे पास खेलने या पढ़ने का समय नहीं होगा। अन्य बच्चों को स्कूल जाते और खेलते देखकर मुझे अकेला और अलग महसूस होगा। मैं उनके साथ खेलना चाहता हूँ, लेकिन काम के कारण मेरे पास समय नहीं है। काम करते समय मुझे डर भी लगता होगा कि मैं चोटिल हो जाऊंगा या मुझसे गलती हो जाएगी। मैं हमेशा तनाव में रहूंगा। सबसे ज्यादा दुखद बात यह होगी कि मुझे लगता कि मेरा बचपन छिन गया है। मैं अपने भविष्य के बारे में चिंतित रहूंगा और मुझे नहीं लगेगा कि मैं कभी स्कूल जा पाऊंगा या कुछ अच्छा कर पाऊंगा। मुझे गुस्सा भी आएगा कि मुझे काम करना पड़ रहा है जबकि अन्य बच्चे आराम से खेल रहे हैं। मैं निराश होऊंगा क्योंकि मुझे अपनी पसंद का कुछ भी करने का मौका नहीं मिल रहा है। बाल मजदूरी एक गंभीर समस्या है। बच्चों को काम करने के लिए मजबूर करना उनके अधिकारों का हनन है और यह उनके भविष्य को बर्बाद कर देता है।

8. आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिए?

उत्तर :

बच्चों को काम पर नहीं भेजना चाहिए, इसके कई कारण हैं:

  • शारीरिक विकास: बच्चों का शरीर अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुआ होता। भारी काम करने से उनकी हड्डियां, मांसपेशियां और जोड़ कमजोर हो सकते हैं। उन्हें बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • मानसिक विकास: काम के बोझ के कारण बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित होता है। उन्हें पढ़ने, खेलने और दोस्तों के साथ समय बिताने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। इससे उनकी सीखने की क्षमता कमजोर होती है और वे भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाते हैं।
  • शिक्षा से वंचित रहना: काम करने के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। इससे उन्हें शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है और वे अपने भविष्य को सुरक्षित नहीं कर पाते हैं।
  • शोषण का खतरा: कई बार बच्चों के साथ शारीरिक और मानसिक शोषण भी होता है। उन्हें कम पैसे दिए जाते हैं और खराब परिस्थितियों में काम करना पड़ता है।

बच्चों को क्या करने के मौके मिलने चाहिए:

  • शिक्षा: बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। उन्हें स्कूल जाना चाहिए और पढ़ाई करनी चाहिए ताकि वे अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकें।
  • खेल: बच्चों को खेलने के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए। खेल उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी हैं।
  • दोस्तों के साथ समय बिताना: बच्चों को अपने दोस्तों के साथ समय बिताने का मौका मिलना चाहिए। इससे वे सामाजिक रूप से विकसित होते हैं।
  • रचनात्मक गतिविधियां: बच्चों को अपनी रचनात्मकता को विकसित करने के लिए अवसर मिलने चाहिए। वे संगीत, कला या अन्य गतिविधियों में भाग ले सकते हैं।
  • सुरक्षित वातावरण: बच्चों को एक सुरक्षित वातावरण में रहने का अधिकार है जहां उन्हें किसी भी तरह का शोषण या हिंसा का सामना न करना पड़े।
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Dr. Upendra Kant Chaubey
Dr. Upendra Kant Chaubeyhttps://education85.com
Dr. Upendra Kant Chaubey, An exceptionally qualified educator, holds both a Master's and Ph.D. With a rich academic background, he brings extensive knowledge and expertise to the classroom, ensuring a rewarding and impactful learning experience for students.
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