Tuesday, December 3, 2024

भोर और बरखा 

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इस पाठ में मीरा ने ब्रज की सुबह का वर्णन किया है। सुबह होते ही ब्रज में रौनक छा जाती है। सभी लोग अपने-अपने काम में लग जाते हैं। गोपियां दही मथती हैं, ग्वाले गायों को चराने जाते हैं।

मीरा को सावन का मौसम बहुत पसंद है। जब बादल गरजते हैं और बारिश होती है, तो मीरा बहुत खुश होती है। वह मानती है कि सावन के मौसम में भगवान कृष्ण पृथ्वी पर आते हैं।

इस पाठ में मीरा की भक्ति भावना को भी दर्शाया गया है। वह भगवान कृष्ण के प्रति अगाध प्रेम रखती हैं और उनके आगमन की प्रतीक्षा करती हैं।

कविता से

1. ‘बंसीवारे ललना’, ‘मोरे प्यारे’, ‘लाल जी’, कहते हुए यशोदा किसे जगाने का प्रयास करती हैं और वे कौन-कौन सी बातें कहती हैं?

उत्तर : 

यशोदा इन शब्दों का प्रयोग करके कृष्ण को जगाने का प्रयास करती हैं।

यशोदा कृष्ण को जगाते हुए यह बताती हैं कि:

  • रात बीत गई है और सुबह हो गई है।
  • घर के दरवाजे खुल गए हैं।
  • साधु-संत और ग्वाल-बाल उनके दर्शन के लिए इंतजार कर रहे हैं।
  • गोपियां दही मथ रही हैं और उनके कंगन की आवाज आ रही है।
  • ग्वाल-बाल माखन और रोटी लेकर गायों को चराने जा रहे हैं।

2. नीचे दी गई पंक्ति का आशय अपने शब्दों में लिखिए-

‘माखन – रोटी हाथ मँह लीनी, गउवन के रखवारे । ‘

उत्तर : 

ग्वाले रोटी-मक्खन लेकर तुम्हें बुला रहे हैं, कृष्ण। उठो और उनके साथ चलो।

3. पढ़े हुए पद के आधार पर ब्रज की भोर का वर्णन कीजिए। 

उत्तर : 

ब्रज में भोर होते ही, महिलाएँ हर घर में दही बिलौना शुरू करती हैं, और उनकी चूड़ियों की मधुर झंकार वातावरण में गूंजने लगती है। घर-घर में मंगलाचार गूंजता है, जबकि ग्वाल-बाल गौओं को चराने के लिए वन में जाने की तैयारी करते हैं।

4. मीरा को सावन मनभावन क्यों लगने लगा ?

उत्तर : 

मीरा को सावन का मौसम बेहद प्रिय था। सावन की धरती पर बरसती बूंदें मीरा के मन में प्रभु के प्रेम की वर्षा करतीं थीं। हरियाली से लदी प्रकृति मीरा के लिए भगवान कृष्ण के स्वरूप का प्रतीक थी। सावन की ठंडी हवा और बारिश की ध्वनि उन्हें शांति और आनंद प्रदान करती थी। मीरा का मानना था कि सावन का मौसम प्रकृति और भक्ति का एक अद्भुत संगम है। इस मौसम में वह अपने प्रभु के करीब महसूस करती थीं और उनके लिए भजन-कीर्तन में लीन रहना उनके लिए एक आध्यात्मिक अनुभव था।

5.  पाठ के आधार पर सावन की विशेषताएँ लिखिए |

उत्तर : 

बारिश: सावन का मौसम बारिश के लिए जाना जाता है। पाठ में मीराबाई ने बारिश की बूंदों का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है। उन्होंने कहा है कि बादल उमड़-घुमड़ कर बरस रहे हैं और नन्हीं-नन्हीं बूंदें धरती को सींच रही हैं।

हरियाली: बारिश के कारण प्रकृति हरियाली से भर जाती है। पेड़-पौधे खिल उठते हैं और खेतों में फसलें लहलहाती हैं।

ठंडक: सावन के मौसम में गर्मी कम हो जाती है और ठंडक महसूस होती है।

बादल: आसमान में काले घने बादल छाए रहते हैं। कभी-कभी बिजली चमकती है और गरज भी होती है।

नदियाँ: बारिश के कारण नदियाँ उफन जाती हैं और जलप्रपातों से पानी का बहाव तेज हो जाता है।

प्रकृति की सुंदरता: सावन का मौसम प्रकृति की सुंदरता का प्रतीक है। चारों ओर हरियाली, फूल और पक्षियों का चहचहाना एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है।

कविता से आगे

1. मीरा भक्तिकाल की प्रसिद्ध कवयित्री थीं। इस काल के दूसरे कवियों के नामों की सूची बनाइए तथा उनकी एक-एक रचना का नाम लिखिए।

उत्तर : 

1. तुलसीदास

  • रचना: रामचरितमानस
    • यह तुलसीदास की सबसे प्रसिद्ध रचना है जिसमें उन्होंने रामकथा को बहुत ही भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया है।

2. सूरदास

  • रचना: सूरसागर
    • सूरदास ने कृष्ण भक्ति पर अनेक पद लिखे हैं। सूरसागर इन पदों का संग्रह है।

3. कबीरदास

  • रचना: बीजक
    • कबीरदास के दोहे और साखी बीजक में संकलित हैं। इनमें उन्होंने सामाजिक बुराइयों और भक्ति मार्ग पर प्रकाश डाला है।

4. रैदास

  • रचना: रैदास जी की साखियां
    • रैदास जी ने भी कबीरदास की तरह सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई और भक्ति मार्ग का प्रचार किया।

5. नंददास

  • रचना: चतुर्वैद्य
    • नंददास ने कृष्ण भक्ति पर कई पद लिखे हैं। चतुर्वैद्य इन पदों का संग्रह है।

2. सावन वर्षा ऋतु का महीना है, वर्षा ऋतु से संबंधित दो अन्य महीनों के नाम लिखिए।

उत्तर : 

भारत में वर्षा ऋतु से संबंधित दो अन्य महीने हैं:

  1. आषाढ़: सावन से ठीक पहले आने वाला आषाढ़ महीना भी वर्षा ऋतु का ही हिस्सा होता है। इस महीने में भी कई क्षेत्रों में अच्छी बारिश होती है।
  2. भाद्रपद: सावन के बाद आने वाला भाद्रपद महीना भी वर्षा ऋतु का ही अंत होता है। इस महीने में भी कई क्षेत्रों में बारिश जारी रहती है, हालांकि इसकी तीव्रता कम हो जाती है।

अनुमान और कल्पना

1. सुबह जगने के समय आपको क्या अच्छा लगता है ?

उत्तर : 

सुबह जगने के समय मुझे कई सारी चीजें अच्छी लगती हैं। सबसे पहले, जब मैं अपनी आँखें खोलता हूँ और बाहर झाँकता हूँ, तो सूरज की किरणें कमरे में आती हुई नज़र आती हैं। यह दृश्य मुझे बहुत प्रसन्न करता है। इसके अलावा, पक्षियों का चहचहाना और हल्की-हल्की हवा का चलना भी सुबह के समय मुझे बहुत अच्छा लगता है।

2. यदि आपको अपने छोटे भाई-बहन को जगाना पड़े, तो कैसे जगाएँगे?

उत्तर :

यदि मुझे अपने छोटे भाई-बहन को जगाना पड़े तो मैं उन्हें प्यार से जगाऊंगा। मैं धीरे से उनके पास जाऊंगा और उनके माथे पर हल्का सा हाथ फेरूंगा। फिर मैं उनकी आंखों में देखकर धीरे से उनका नाम लूंगा। अगर वे नहीं उठते तो मैं उनके कान के पास जाकर धीरे से कहूंगा, “उठ जाओ, सूरज निकल आया है।”

3. वर्षा में भीगना और खेलना आपको कैसा लगता है?

 उत्तर :

वर्षा में भीगना और खेलना मुझे बेहद पसंद है। बारिश की बूंदें चेहरे पर पड़ती हैं तो ऐसा लगता है कि प्रकृति मुझे गले लगा रही हो। हरी-भरी घास पर दौड़ना, कीचड़ में पैर डालना और बारिश की धुन पर नाचना, ये सब कुछ बचपन की यादें ताजा कर देता है।

4. मीरा बाई ने सुबह का चित्र खींचा है। अपनी कल्पना और अनुमान से लिखिए कि नीचे दिए गए स्थानों की सुबह कैसी होती है-

(क) गाँव, गली या मुहल्ले में (ख) रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर

(ग) नदी या समुद्र के किनारे (घ) पहाड़ों पर

उत्तर :

(क) गाँव, गली या मुहल्ले में:

गाँव में सुबह का नज़ारा बड़ा ही मनमोहक होता है। सूरज की किरणें पेड़ों की पत्तियों पर टकराकर चमकती हैं। मुर्गे की बाँग से नींद टूटती है। गायें अपने बछड़ों को दूध पिलाती हैं। महिलाएँ घरों के बाहर बैठकर चाय पीती हैं और आपस में बातें करती हैं। बच्चे स्कूल जाने के लिए तैयार होते हैं। खेतों में किसान हल चलाते हैं। ताज़ी हवा में पक्षियों का चहचहाना एक सुखद माहौल बनाता है।

(ख) रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर:

रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर सुबह का दृश्य काफी व्यस्त होता है। ट्रेनें आती-जाती रहती हैं। यात्री अपने गंतव्य की ओर निकलने के लिए तैयार होते हैं। चाय की दुकानें लोगों से गुलजार रहती हैं। प्लेटफ़ॉर्म पर खड़े होकर लोग आने-जाने वाली ट्रेनों को देखते हैं। कहीं से दूर से सीटी की आवाज़ आती है।

(ग) नदी या समुद्र के किनारे:

नदी या समुद्र के किनारे सुबह का नज़ारा बहुत ही शांत और सुंदर होता है। सूर्योदय का नज़ारा मन को मोह लेता है। लहरें किनारे आकर टूटती हैं। मछुआरे अपनी नावों से मछली पकड़ने जाते हैं। लोग समुद्र किनारे टहलते हुए सूर्योदय का आनंद लेते हैं।

(घ) पहाड़ों पर:

पहाड़ों पर सुबह का नज़ारा बड़ा ही मनोरम होता है। बादल पहाड़ों की चोटियों को छूते हुए लगते हैं। ताज़ी हवा चलती है और पक्षियों का कलरव सुनाई देता है। लोग पहाड़ों पर ट्रेकिंग करते हैं या फिर बस बैठकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं।

भाषा की बात

1. कृष्ण को ‘गउवन के रखवारे’ कहा गया है जिसका अर्थ है गौओं का पालन करनेवाले। इसके लिए एक शब्द दें।

उत्तर :

गोपाल: यह शब्द सबसे अधिक प्रचलित है और इसका सीधा अर्थ होता है ‘गायों का पालन करने वाला’। कृष्ण को अक्सर गोपाल के नाम से ही पुकारा जाता है।

ग्वाला: यह शब्द भी गौपालक के समान अर्थ रखता है और गायों के चरवाहे के लिए प्रयोग होता है।

2. नीचे दो पंक्तियाँ दी गई हैं। इनमें से पहली पंक्ति में रेखांकित शब्द दो बार आए हैं, और दूसरी पंक्ति में भी दो बार। इन्हें पुनरुक्ति (पुन: उक्ति ) कहते हैं। पहली पंक्ति में रेखांकित शब्द विशेषण हैं और दूसरी पंक्ति में संज्ञा ।

‘नन्हीं – नन्हीं बूँदन मेहा बरसे’

‘घर-घर खुले किंवारे’

इस प्रकार के दो-दो उदाहरण खोजकर वाक्य में प्रयोग कीजिए और देखिए कि विशेषण तथा संज्ञा की पुनरुक्ति के अर्थ में क्या अंतर है? जैसे – मीठी-मीठी बातें, फूल-फूल महके ।

उत्तर :

नन्हीं-नन्हीं बूँदें मेघा बरसे (बूँदें बहुत छोटी हैं)

मीठी-मीठी बातें कहकर उसने मुझे खुश कर दिया (बातें बहुत मीठी थीं)

लाल-लाल गुलाब खिले हुए थे (गुलाब का रंग बहुत गहरा लाल था)

चमकदार-चमकदार तारे आसमान में टिमटिमा रहे थे (तारे बहुत चमकदार थे)

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