“मेघ आए” कविता में सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने मेघों के आगमन को एक अद्भुत घटना के रूप में चित्रित किया है। उन्होंने मेघों की तुलना एक दामाद के आगमन से की है, जिससे ग्रामीण जीवन में एक नई चेतना का संचार हो जाता है। मेघों के आने से आकाश में बादलों का छा जाना, बिजली की चमक, और वर्षा का आरंभ होता है। ये सभी घटनाएँ प्रकृति के सौंदर्य को बढ़ाती हैं और ग्रामीणों के चेहरों पर खुशी लाती हैं। किसानों के लिए वर्षा जीवनदायिनी है, जिससे उनकी फसलें लहलहा उठती हैं। इस प्रकार, कविता प्रकृति के चक्र को दर्शाती है, जहां वर्षा सूखे को दूर कर नया जीवन लाती है। “मेघ आए” प्रकृति के सौंदर्य, मानवीय संवेदनाओं और जीवन चक्र को बहुत ही सुंदरता से चित्रित करती है।
प्रश्न- अभ्यास
1. बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए ।
उत्तर :
“मेघ आए” कविता में सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने बादलों के आगमन के साथ प्रकृति में होने वाली गतिशील क्रियाओं का अद्भुत चित्रण किया है। हवा तेज गति से बहने लगती है और चारों ओर नाचती-गाती हुई प्रतीत होती है। हवा के झोंकों से घरों के दरवाजे-खिड़कियाँ अपने आप खुल जाते हैं, मानो प्रकृति भी बादलों का स्वागत कर रही हो। पेड़ भी हवा के साथ झुकते-झुलते हैं, मानो वे भी बादलों को प्रणाम कर रहे हों। नदी भी प्रसन्न होकर अपने किनारों को छूती हुई तेजी से बहने लगती है। धूल उड़ने लगती है और चारों ओर फैल जाती है। बिजली चमकती है, जो प्रकृति के इस नाटकीय परिवर्तन को और भी रोमांचक बना देती है। अंत में, वर्षा होती है, जो सूखे को दूर करती है और किसानों की फसलों को सींचती है। इन सभी गतिविधियों के माध्यम से कवि ने प्रकृति की जीवंतता और सौंदर्य को उजागर किया है।
2. निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं?
धूल
नदी
लता
ताल
उत्तर :
धूल: धूल को अक्सर परिवर्तन और गतिशीलता का प्रतीक माना जाता है। इस कविता में, धूल मेघों के आगमन से उत्साहित ग्रामीणों की उछल-कूद और हलचल को दर्शाती है। यह युवाओं के उत्साह और जोश का भी प्रतीक हो सकता है।
नदी: नदी को अक्सर जीवन और परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है। इस कविता में, नदी गाँव की नवविवाहिता स्त्री का प्रतीक है जो मेघों के आगमन से उत्सुक है। वह अपने मन में कई तरह के भाव रखती है और मेघों को एक नई शुरुआत के रूप में देखती है।
लता: लता को प्रेम, कोमलता और प्रकृति के साथ जुड़ाव का प्रतीक माना जाता है। इस कविता में, लता नवविवाहिता स्त्री का प्रतीक हो सकती है जो अपने मायके में रहकर मेघों का इंतजार कर रही है।
ताल: ताल को जीवन का स्रोत और समाज का केंद्र माना जाता है। इस कविता में, ताल गाँव के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह उनके जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है और मेघों के आगमन पर यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
3. लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?
लता ने बादल रूपी मेहमान को एक अद्भुत और सौम्य दृश्य के रूप में देखा। वह बादलों के आने से उत्साहित थी क्योंकि वे सूखे को दूर करेंगे और फसलों को सींचेंगे। लता बादलों को आशा और उत्साह का प्रतीक मानती थी। वह मानती थी कि बादलों का आगमन ग्रामीण जीवन में नई चेतना का संचार करेगा और गांव में खुशहाली आएगी। लता प्रकृति से गहराई से जुड़ी हुई थी और वह बादलों को प्रकृति के एक अहम हिस्से के रूप में देखती थी। वह मानती थी कि बादलों के आने से प्रकृति में नया जीवन का आरंभ होगा। लता बादलों को एक नई शुरुआत का प्रतीक मानती थी। वह मानती थी कि बादलों के आने से गांव में एक नया अध्याय शुरू होगा। लता ने बादलों को किवाड़ की ओट से इसलिए देखा क्योंकि वह बादलों के देर से आने के कारण व्याकुल हो रही थी तथा संकोचवश उसके सामने नहीं आ सकती थी। वह उत्सुक थी लेकिन साथ ही थोड़ी शर्माती भी थी।
4. भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
(ख) बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके
उत्तर :
(क)
भाव: यह पंक्ति लता के मन की उथल-पुथल को दर्शाती है। लंबे समय तक बादलों के न आने से लता को ऐसा लग रहा था कि शायद वे कभी नहीं आएंगे। लेकिन जब बादल आते हैं तो उसे अपनी गलती का एहसास होता है। वह समझ जाती है कि उसने व्यर्थ ही संदेह किया था। इसलिए वह बादलों से क्षमा मांगती है और कहती है कि अब उसका भ्रम दूर हो गया है।
(ख)
भाव: यह पंक्ति प्रकृति की विभिन्न अभिव्यक्तियों को दर्शाती है। जब बादल आते हैं तो प्रकृति में एक नया जीवन आ जाता है। नदी जो पहले शांत थी, अब उत्साह से बहने लगती है। वह बादलों को देखने के लिए ठहर जाती है और मानो अपना घूँघट हटाकर उन्हें निहार रही हो।
5. मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में परिवर्तन हुए?
उत्तर :
“मेघ आए” कविता में मेघों के आगमन से वातावरण में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। हवा तेज गति से बहने लगती है, पेड़-पौधे झुक जाते हैं, नदी में हलचल मच जाती है और धूल उड़ने लगती है। आकाश में बिजली की चमक और बादलों के रंगों का खेल वातावरण को और भी मनमोहक बना देता है। मेघों के आने से गर्मी कम हो जाती है और वातावरण ठंडा हो जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मेघों के आने से वर्षा होती है, जो सूखे को दूर करती है और फसलों को सींचती है। इस प्रकार, मेघों का आगमन प्रकृति में एक नया जीवन संचारित करता है और वातावरण में कई तरह के सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
6. मेघों के लिए ‘बन-ठन के सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर :
“मेघ आए” कविता में मेघों के लिए ‘बन-ठन के सँवर के’ आने की बात कहकर कवि ने प्रकृति को मानवीकृत किया है। इस तरह उन्होंने मेघों को एक जीवंत प्राणी की तरह प्रस्तुत किया है। मेघों का आगमन ग्रामीणों के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसका लंबे समय से इंतजार किया जाता है। इसलिए, कवि ने मेघों को एक ऐसे मेहमान की तरह चित्रित किया है जो बहुत दिनों बाद आ रहा है और इसलिए उसने खुद को सजा-संवार लिया है। इस तरह, कवि ने प्रकृति के साथ एक भावनात्मक जुड़ाव स्थापित किया है और मेघों के आगमन को एक उत्सव की तरह प्रस्तुत किया है।
7. कविता में आए मानवीकरण तथा पक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए |
उत्तर :
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के: यहाँ मेघों को मानवीय गुण दिए गए हैं। उन्हें एक मेहमान की तरह बताया गया है जो बन-ठन कर आया है।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए: यहाँ पेड़ों को मानवीय गुण दिए गए हैं। उन्हें झुककर और गर्दन उठाकर देखने वाला बताया गया है।
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके: यहाँ नदी को मानवीय गुण दिए गए हैं। उसे चितवन उठाना, ठिठकना और घूँघट सरकाना बताया गया है।
8. कविता में जिन रीति-रिवाजों मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर :
मेहमान का स्वागत: मेघों को एक मेहमान की तरह स्वागत किया जाता है। गाँव वाले उनके आने का बेसब्री से इंतजार करते हैं और उनके आगमन पर उत्सव मनाते हैं।
प्रकृति का पूजन: मेघों को प्रकृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। इसलिए, उनके आगमन पर प्रकृति का पूजन किया जाता है।
आभार व्यक्त करना: मेघों के आने से फसलें अच्छी होती हैं और सूखा दूर होता है। इसलिए, गाँव वाले मेघों का आभार व्यक्त करते हैं।
पर्व मनाना: मेघों के आगमन पर कई तरह के पर्व मनाए जाते हैं। इन पर्वों में लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर खाना खाते हैं, गीत गाते हैं और नाचते हैं।
9. कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान (दामाद) के आने का जो रोचक वर्णन किया है, उसे लिखिए।
उत्तर :
“मेघ आए” कविता में कवि ने बादलों के आगमन को गाँव में दामाद के आगमन से जोड़कर एक रोचक तुलना की है। दोनों ही स्थितियों में उत्साह और खुशी का माहौल होता है। जैसे दामाद के आने पर घर में उत्सव का माहौल होता है, वैसे ही बादलों के आने पर भी गाँव में खुशी की लहर दौड़ जाती है। दोनों ही स्थितियों में प्रकृति का जुड़ाव भी दिखाई देता है। दामाद के आने से परिवार के सदस्य एक साथ होते हैं, उसी तरह बादलों के आने से प्रकृति जाग उठती है। दोनों ही स्थितियों में अतिथि सत्कार का भाव भी देखा जा सकता है। दामाद का स्वागत किया जाता है और उसी प्रकार बादलों का भी स्वागत किया जाता है। इस तरह, कवि ने इन दोनों स्थितियों को जोड़कर एक अद्भुत चित्रण किया है और पाठकों को प्रकृति के साथ हमारे भावनात्मक जुड़ाव को समझने में मदद की है।
10. काव्य- -सौंदर्य लिखिए-
आए हों गाँव में शहर के ।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के ।
उत्तर :
ये पंक्तियाँ कविता को अत्यंत मार्मिक और चित्रात्मक बनाती हैं। इनमें उत्प्रेक्षा अलंकार का अद्भुत प्रयोग किया गया है, जिसमें मेघों की तुलना शहर से आए हुए दामाद से की गई है। यह तुलना न केवल मेघों के आगमन को एक उत्सव के रूप में प्रस्तुत करती है बल्कि प्रकृति और मानवीय जीवन के बीच एक गहरा संबंध स्थापित करती है। “बन-ठन के सँवर के” शब्दों ने मेघों को मानवीय गुण प्रदान कर उन्हें जीवंत बना दिया है। यह वाक्यांश पाठक के मन में एक सुंदर चित्र उतारता है, जहां मेघ आकाश में छाए हुए हैं और गाँव के लोगों के लिए खुशी लेकर आए हैं। इन पंक्तियों में शब्दों का चयन और उनका क्रम इतने सुंदर तरीके से किया गया है कि वे संगीत की ध्वनि उत्पन्न करते हैं। ये पंक्तियाँ पाठक के मन में विभिन्न भावनाओं को जगाती हैं, जैसे कि उत्साह, खुशी और प्रकृति के प्रति आकर्षण। इस प्रकार, ये पंक्तियाँ कविता को एक अद्वितीय सौंदर्य प्रदान करती हैं और कवि के कौशल और उनकी कल्पना शक्ति का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
रचना और अभिव्यक्ति
11. वर्षा के आने पर अपने आसपास के वातावरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान से देखकर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर :
वर्षा का आगमन प्रकृति का एक अद्भुत चमत्कार है। जैसे ही आसमान में काले बादल छाते हैं और पहली बूंद जमीन पर गिरती है, चारों ओर का नज़ारा बदल जाता है। धूल भरी धरती अब जीवन से भर जाती है। पेड़-पौधे वर्षा के पानी को सोखते हुए मुस्कुराते हैं। सूखी पत्तियों पर पड़ी धूल साफ हो जाती है और वे चमकने लगती हैं। नदियाँ, तालाब और कुएँ अब लबालब भर जाते हैं। पक्षी वर्षा की बूंदों में नहाते हुए मस्ती करते हैं। हवा में ठंडक और ताज़गी का एहसास होता है। धूप की तपिश से परेशान लोग अब छतों पर बैठकर वर्षा का आनंद लेते हैं। बच्चे बारिश में भीगने के लिए बेताब रहते हैं। कुल मिलाकर, वर्षा का आगमन प्रकृति और मानव जीवन दोनों के लिए एक वरदान है।
12. कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है? पता लगाइए ।
उत्तर :
कवि ने पीपल को “बड़ा बुजुर्ग” कहा है क्योंकि पीपल के वृक्ष की आयु बहुत अधिक होती है। यह अन्य वृक्षों की तुलना में बहुत लंबे समय तक जीवित रहता है। इसीलिए, इसे वृक्षों का वृद्ध या बुजुर्ग माना जाता है। इसके अलावा, पीपल का वृक्ष भारतीय संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण है। इसे देववृक्ष माना जाता है और इसकी पूजा की जाती है। गाँवों में पीपल का वृक्ष आमतौर पर चौपाल के पास होता है, जहां लोग एकत्रित होकर बातचीत करते हैं। इस तरह, पीपल वृक्ष गाँव के लोगों के लिए एक सामाजिक केंद्र का काम करता है। पीपल वृक्ष प्रकृति से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। यह ऑक्सीजन देता है, पर्यावरण को शुद्ध करता है और कई प्रकार के पक्षियों और जीवों को आश्रय देता है। इन सभी कारणों से, कवि ने पीपल को बड़ा बुजुर्ग कहकर इसे सम्मान दिया है और इसकी महत्ता को उजागर किया है।
13. कविता में मेघ को ‘पाहुन’ के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नज़र आते हैं, लिखिए।
उत्तर :
कविता में मेघ को ‘पाहुन’ यानी अतिथि के रूप में चित्रित करके कवि ने प्रकृति के साथ हमारे रिश्ते को एक नए आयाम में उठाया है। लेकिन आजकल अतिथि सत्कार के प्रति लोगों का दृष्टिकोण बदल रहा है। बदलते जीवन शैली ने हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को प्रभावित किया है। आजकल लोग व्यस्त जीवन जीते हैं और उनके पास अतिथियों पर पर्याप्त समय देने के लिए नहीं रहता है। शहरीकरण और आर्थिक दबाव भी अतिथि सत्कार के प्रति लोगों के दृष्टिकोण को प्रभावित कर रहे हैं। पहले परिवार बड़े होते थे और सभी एक साथ रहते थे, जिससे अतिथि सत्कार आसान हो जाता था। आजकल परिवार छोटे हो गए हैं और लोग अलग-अलग रहते हैं, जिससे अतिथियों का स्वागत और सत्कार करना चुनौतीपूर्ण हो गया है। हालांकि, अतिथि देवो भवः हमारा एक महत्वपूर्ण संस्कार है और हमें इस संस्कार को जीवित रखने के लिए प्रयास करने चाहिए।
भाषा – अध्ययन
मेघ आए कविता की भाषा सरल और सहज है – उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए
उत्तर :
कविता ‘मेघ आए’ की भाषा इतनी सरल और सहज है कि ऐसा लगता है कि कोई अपना अनुभव बयान कर रहा हो। कवि ने अपनी भावनाओं को आम लोगों की भाषा में प्रकट किया है, जिससे यह कविता हर उम्र के पाठक के लिए आसानी से समझ में आ जाती है।
आइए कुछ उदाहरणों के माध्यम से इसे और बेहतर ढंग से समझते हैं:
- प्रकृति का मानवीकरण: कवि ने मेघों को मानवीय गुण दिए हैं। जैसे, “मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।” इस पंक्ति में मेघों को एक व्यक्ति की तरह सज-धज कर आने वाला बताया गया है।
- सादा भाषा का प्रयोग: कवि ने अपनी कविता में बड़े-बड़े शब्दों का प्रयोग नहीं किया है। उसने आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है। जैसे, “पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।”
- प्रकृति के साथ घनिष्ठता: कवि ने प्रकृति के साथ अपने घनिष्ठ संबंध को बहुत ही सहजता से व्यक्त किया है। जैसे, “पेड़ झुककर झाँकने लगे गरदन उचकाए।”
- भावनाओं का सटीक चित्रण: कवि ने बारिश के मौसम में होने वाली खुशी और उल्लास को बहुत ही खूबसूरती से चित्रित किया है।