Friday, February 7, 2025

यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

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यह दंतुरहित मुस्कान

“यह दंतुरहित मुस्कान” कविता में एक शिशु की मुस्कान को केंद्र में रखा गया है। कवि इस मुस्कान को देखकर अत्यंत प्रभावित होता है और मानता है कि यह मुस्कान किसी भी कठोर हृदय को पिघला सकती है। कवि ने इस मुस्कान की तुलना प्रकृति के सौंदर्य से की है।

फसल

“फसल” कविता में किसान के जीवन और उसकी मेहनत को दर्शाया गया है। कवि ने फसल को उगाने में लगने वाली मेहनत और उससे मिलने वाली खुशी को बहुत खूबसूरती से बयां किया है। कविता में फसल को सिर्फ किसान की मेहनत का फल ही नहीं बल्कि समाज के योगदान का भी परिणाम बताया गया है।

यह दंतुरहित मुस्कान

प्रश्न- अभ्यास

1. बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर :

बच्चे की दंतुरहित मुस्कान कवि के मन पर गहरा प्रभाव डालती है। यह मुस्कान उसकी आत्मा को छू लेती है और उसके भीतर कई भावनाओं को जागृत करती है। सबसे पहले, यह मुस्कान कवि को शांति प्रदान करती है, उसे दुनिया की चिंताओं से मुक्त कर देती है। बच्चे की मुस्कान कवि को जीवन के प्रति आशावादी बनाती है, उसे नए सिरे से जीने की प्रेरणा देती है। यह मुस्कान कवि को उसके बचपन की यादों में ले जाती है, उसे उन खूबसूरत क्षणों को फिर से जीने का अवसर देती है। सबसे महत्वपूर्ण रूप से, यह मुस्कान कवि को जीवन के सार को समझने में मदद करती है, उसे सिखाती है कि जीवन में खुश रहना कितना महत्वपूर्ण है। बच्चे की मुस्कान की निश्छलता, पवित्रता और सौंदर्य कवि के मन को गहराई से प्रभावित करते हैं और उसे जीवन के सकारात्मक पहलुओं की याद दिलाते हैं।

2. बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है?

उत्तर :

बच्चे की मुस्कान और बड़े व्यक्ति की मुस्कान में कई अंतर होते हैं। बच्चों की मुस्कान निश्छल, सहज और भावनात्मक होती है, जबकि बड़ों की मुस्कान कई बार सोची-समझी और सामाजिक दबाव के कारण होती है। बच्चे बिना किसी कारण के भी मुस्कुरा सकते हैं, जबकि बड़ों की मुस्कान आमतौर पर किसी विशेष कारण से होती है। बच्चों की मुस्कान खुशी, उत्साह और निर्दोषता को दर्शाती है, जबकि बड़ों की मुस्कान का अर्थ कई चीजें हो सकता है, जैसे कि मजाक, सहमति या यहां तक कि व्यंग्य भी।

3. कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है ?

उत्तर :

कवि ने बच्चे की मुस्कान के सौंदर्य को विभिन्न बिंबों के माध्यम से प्रभावी ढंग से व्यक्त किया है। उन्होंने मुस्कान की तुलना सूर्योदय, चांदनी रात, फूलों से भरे बगीचे, फूलों की कोमल पंखुड़ियों, सूर्य की किरणों की चमक, पानी की बूंदों और कमल के फूल से की है। इन बिंबों ने न केवल मुस्कान की सुंदरता को दर्शाया है बल्कि उसकी ताजगी, कोमलता, चमक, शांति और शुद्धता को भी उजागर किया है। इन बिंबों के माध्यम से कवि ने पाठक को बच्चे की मुस्कान के सौंदर्य को गहराई से महसूस करने में सक्षम बनाया है।

4. भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात।

(ख) छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल

बाँस था कि बबूल ?

उत्तर :

क) छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात।

इस पंक्ति में कवि ने एक अद्भुत छवि पेश की है। वह कह रहा है कि बच्चे की मुस्कान इतनी सुंदर है कि यह उसके झोपड़ी में खिल रहे कमल के फूलों की तरह है।

(ख) छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल

बाँस था कि बबूल ?

इस पंक्ति में कवि ने बच्चे की मुस्कान के प्रभाव को दर्शाया है। वह कह रहा है कि जब वह बच्चे की मुस्कान को देखता है तो उसे ऐसा लगता है कि शेफालिका के फूल झड़ने लगे हैं।

रचना और अभिव्यक्ति

5. मुसकान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं। इनकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिए । 

उत्तर :

मुसकान और क्रोध दोनों ही मानव भावनाएं हैं लेकिन इनका प्रभाव एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत होता है। मुसकान एक सकारात्मक भावना है जो चारों ओर खुशी और उल्लास का माहौल बनाती है, जबकि क्रोध एक नकारात्मक भावना है जो चारों ओर नकारात्मकता फैलाती है। इसलिए हमें हमेशा सकारात्मक रहने का प्रयास करना चाहिए और मुस्कुराते रहना चाहिए।

6. दंतुरित मुसकान से बच्चे की उम्र का अनुमान लगाइए और तर्क सहित उत्तर दीजिए ।

उत्तर :

“दंतुरहित मुस्कान” कविता में वर्णित बच्चे की उम्र का अनुमान लगभग 5-6 महीने लगाया जा सकता है। कविता में बच्चे को “दंतुरहित” बताया गया है, जिससे संकेत मिलता है कि उसके सभी दांत नहीं निकले हैं, जो आमतौर पर 6-8 महीने की उम्र में होता है। इसके अलावा, कविता में बताया गया है कि बच्चा अपरिचित लोगों को पहचानने लगा है, जो आमतौर पर 5-6 महीने की उम्र में होता है। साथ ही, बच्चे के शारीरिक विकास के संकेत भी मिलते हैं, जैसे कि वह अपने सिर को पकड़ सकता है और अपनी आँखें खोलकर चारों ओर देख सकता है। ये सभी संकेत इस बात की ओर इशारा करते हैं कि बच्चे की उम्र लगभग 5-6 महीने होगी। हालांकि, यह सिर्फ एक अनुमान है, क्योंकि बच्चों के विकास की दर अलग-अलग हो सकती है।

7. बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द- चित्र उपस्थित हुआ है, उसे अपने शब्दों में लिखिए ।

उत्तर :

“यह दंतुरहित मुस्कान” कविता में कवि और बच्चे की मुलाकात का जो शब्द-चित्र उभरता है, वह बेहद मार्मिक है। कवि एक ऐसे बच्चे से मिलता है जिसकी मुस्कान दंतहीन होने के बावजूद अत्यंत आकर्षक और मनमोहक है। यह मुस्कान कवि को गहराई से प्रभावित करती है, उसके मन में शांति और प्रसन्नता का संचार करती है। कवि बच्चे की मुस्कान को प्रकृति के सौंदर्य से जोड़कर देखता है, उसकी तुलना कमल के फूल, सूर्य की किरणों से करता है। यह मुस्कान कवि के भीतर एक नई उर्जा भर देती है, उसे जीवन के प्रति आशावादी बनाती है। कविता में वर्णित यह दृश्य हमें बताता है कि बच्चों की मुस्कान कितनी शक्तिशाली होती है, कैसे यह हमें जीवन के सकारात्मक पहलुओं को याद दिलाती है और हमें खुश रहने के लिए प्रेरित करती है।

पाठेतर सक्रियता

आप जब भी किसी बच्चे से पहली बार मिलें तो उसके हाव-भाव, व्यवहार आदि को सूक्ष्मता से देखिए और उस अनुभव को कविता या अनुच्छेद के रूप में लिखिए।

उत्तर :

कक्षा में एक नया बच्चा आया था। उसका नाम आकाश था। वह शर्मीला सा लग रहा था, आँखें नीचे झुकी हुई थीं। उसके हाथ में एक खिलौना कार थी, जिसे वह बार-बार घुमा रहा था। उसके बाल थोड़े उलझे हुए थे, और उसने नीली टी-शर्ट पहनी हुई थी।

मैंने उसकी ओर देखा तो उसने भी मेरी तरफ देखा। उसकी आँखें बड़ी और गोल थीं, जैसे कोई जिज्ञासा से भरा हुआ तारा। उसने मुझसे आँखें मिलाई और फिर जल्दी से अपनी नजरें नीचे कर ली। मुझे लगा जैसे वह मुझसे डर रहा है।

तभी टीचर ने उसे मेरी ओर इशारा करते हुए कहा, “आकाश, यह है विवेक। विवेक, यह नया बच्चा है, आकाश।”

मैंने उसे मुस्कुराते हुए हाथ बढ़ाया। वह थोड़ा हिचकिचाया, फिर धीरे से अपना हाथ बढ़ाकर मेरा हाथ मिलाया। उसका हाथ छोटा और नरम था।

उसके बाद उसने अपनी खिलौना कार मेरी ओर बढ़ाई और मुस्कुराया। उसकी मुस्कान इतनी प्यारी थी कि मेरा मन पिघल गया। वह मुस्कान दंतहीन थी, फिर भी उसमें एक अद्भुत आकर्षण था। उसकी मुस्कान देखकर मुझे ऐसा लगा जैसे मैंने किसी खिलौने के डिब्बे को खोला हो और उसमें छिपी हुई चमक देख रहा हूँ।

उस दिन के बाद से आकाश मेरे अच्छे दोस्त बन गए। हम एक साथ खेलने लगे, बात करने लगे। उसकी मुस्कान अब भी मेरे मन में बसती है, एक प्यारी सी याद की तरह।

फसल

1. कवि के अनुसार फसल क्या है?

उत्तर :

कवि के अनुसार फसल सिर्फ अनाज नहीं है, बल्कि प्रकृति, मानवीय प्रयास और समाज के सामूहिक योगदान का परिणाम है। यह जीवन का आधार है और किसानों की मेहनत का प्रतिफल है।

2. कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?

उत्तर :

फसल उपजाने के लिए मिट्टी, पानी, सूर्य का प्रकाश, हवा, बीज और किसानों की मेहनत जैसे तत्व आवश्यक हैं। मिट्टी फसलों को पोषण देती है, पानी जीवनदायिनी है, सूर्य का प्रकाश प्रकाश संश्लेषण के लिए जरूरी है, हवा परागण में सहायक होती है, बीज नए पौधे का आधार है और किसानों की मेहनत इन सभी तत्वों को एक साथ लाकर फसल का उत्पादन करती है।

3. फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है?

उत्तर :

कवि के अनुसार, फसल केवल एक कृषि उत्पाद नहीं है, बल्कि यह किसानों के श्रम, प्रकृति के सौंदर्य और मानवीय प्रयासों का एक अद्भुत संगम है। ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि फसल को एक पवित्र वस्तु के रूप में देखता है और किसानों के प्रति सम्मान व्यक्त करता है।

4. भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) रूपांतर है सूरज की किरणों का

सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का !

उत्तर :

इस पंक्ति में कवि सूर्य की किरणों को रूपांतरण और हवा की थिरकन को संकोच से जोड़ रहा है। सूर्य की किरणें जीवनदायी हैं और प्रकृति में परिवर्तन लाती हैं। हवा की थिरकन शांतता और संकोच का प्रतीक है। इस प्रकार, कवि प्रकृति के विभिन्न तत्वों को मानवीय भावनाओं से जोड़कर एक अद्भुत चित्रण प्रस्तुत करता है।

5. कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है-

(क) मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?

(ख) वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है ?

(ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?

(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है ? 

उत्तर :

क) मिट्टी पृथ्वी की ऊपरी परत होती है जो कई तरह के खनिजों, कार्बनिक पदार्थों, पानी और हवा का मिश्रण होती है। मिट्टी के गुण-धर्म इसकी बनावट, रंग, बनावट, पानी सोखने की क्षमता और पोषक तत्वों की मात्रा पर निर्भर करते हैं। ये गुण-धर्म मिट्टी की उर्वरता को निर्धारित करते हैं, यानी यह कितनी अच्छी तरह से पौधों को पोषण दे सकती है।

ख) आधुनिक जीवन शैली ने मिट्टी के गुण-धर्मों को कई तरीकों से प्रभावित किया है:

  • रासायनिक खादों का अत्यधिक उपयोग: रासायनिक खादों का अत्यधिक उपयोग मिट्टी की उर्वरता को कम करता है और मिट्टी में हानिकारक रसायन मिला देता है।
  • कीटनाशकों का उपयोग: कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग मिट्टी में रहने वाले सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर देता है जो मिट्टी की उर्वरता के लिए आवश्यक होते हैं।
  • जंगलों का कटाव: जंगलों के कटाव से मिट्टी का कटाव होता है और मिट्टी की ऊपरी परत नष्ट हो जाती है।
  • प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट: प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट मिट्टी को प्रदूषित करते हैं और उसकी जल निकासी क्षमता को कम करते हैं।
  • अत्यधिक सिंचाई: अत्यधिक सिंचाई से मिट्टी में नमक जमा हो जाता है और मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है।

ग) यदि मिट्टी अपना गुण-धर्म खो देती है तो पृथ्वी पर जीवन की कल्पना करना असंभव है। मिट्टी सभी पौधों का आधार है और पौधे ही सभी जीवों के लिए भोजन का मुख्य स्रोत हैं। यदि मिट्टी उर्वर नहीं होगी तो पौधे नहीं उग पाएंगे और परिणामस्वरूप सभी जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

घ) हम मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में निम्नलिखित तरीकों से योगदान दे सकते हैं:

  • जैविक खाद का उपयोग: रासायनिक खादों के बजाय जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए।
  • कीटनाशकों का कम से कम उपयोग: कीटनाशकों का कम से कम उपयोग करना चाहिए और जैविक कीटनाशकों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • पेड़ लगाना: पेड़ लगाकर मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है।
  • प्लास्टिक का उपयोग कम करना: प्लास्टिक का उपयोग कम करके मिट्टी के प्रदूषण को रोका जा सकता है।
  • जल संरक्षण: पानी का सही उपयोग करके मिट्टी में लवणता को रोका जा सकता है।

पाठेतर सक्रियता

इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया द्वारा आपने किसानों की स्थिति के बारे में बहुत कुछ सुना, देखा और पढ़ा होगा। एक सुदृढ़ कृषि व्यवस्था के लिए आप अपने सुझाव देते हुए अखबार के संपादक को पत्र लिखिए।

उत्तर :

दिनांक: 25 अप्रैल, 2024

संपादक महोदय,

विषय: सुदृढ़ कृषि व्यवस्था के लिए सुझाव

आजकल मीडिया के माध्यम से किसानों की दुर्दशा के बारे में अक्सर सुनने को मिलता है। किसानों की समस्याएँ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। फसलें बर्बाद होना, कर्ज का बोझ, बाजार में उचित मूल्य न मिलना, इन सब समस्याओं से किसान बेहद परेशान हैं।

एक चिंतित नागरिक होने के नाते मैं इस विषय पर अपनी चिंता व्यक्त करना चाहता हूँ। एक सुदृढ़ कृषि व्यवस्था के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:

  • सिंचाई की सुविधा: किसानों को सिंचाई की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इसके लिए नहरों, तालाबों और कुओं का जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए।
  • खाद और बीज: किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीज और खाद उपलब्ध कराए जाने चाहिए। साथ ही, जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए।
  • बाजार सुविधाएँ: किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए बाजार सुविधाएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
  • ऋण सुविधाएँ: किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि वे अपनी खेती का विस्तार कर सकें।
  • कृषि उपकरण: किसानों को आधुनिक कृषि उपकरण उपलब्ध कराए जाने चाहिए ताकि वे कम समय में अधिक उत्पादन ले सकें।
  • बिजली: किसानों को सिंचाई और अन्य कृषि कार्यों के लिए पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
  • मौसम की जानकारी: किसानों को मौसम की सही जानकारी दी जानी चाहिए ताकि वे अपनी फसलों को बचा सकें।
  • बीमा: फसल बीमा योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए ताकि किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।
  • शिक्षा: किसानों को कृषि के आधुनिक तरीकों के बारे में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

ये कुछ सुझाव हैं जिन्हें लागू करके हम किसानों की स्थिति में सुधार ला सकते हैं और एक सुदृढ़ कृषि व्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं।

आशा है कि आप मेरे इन सुझावों पर विचार करेंगे और इस महत्वपूर्ण विषय पर जन जागरूकता फैलाने में अपनी भूमिका निभाएंगे।

धन्यवाद।

भवदीय, 

भूषण

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Dr. Upendra Kant Chaubey
Dr. Upendra Kant Chaubeyhttps://education85.com
Dr. Upendra Kant Chaubey, An exceptionally qualified educator, holds both a Master's and Ph.D. With a rich academic background, he brings extensive knowledge and expertise to the classroom, ensuring a rewarding and impactful learning experience for students.
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