यह अध्याय भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान धनराज पिल्लै के जीवन पर आधारित है। इस अध्याय में उन्होंने अपने बचपन के संघर्षों और उन संघर्षों के कारण अपने व्यवहार पर पड़े प्रभाव के बारे में बताया है।
मुख्य बिंदु:
- गरीबी और संघर्ष: धनराज का बचपन काफी गरीबी में बीता। उनके पास हॉकी स्टिक खरीदने के पैसे तक नहीं थे। उन्होंने अपने दोस्तों से उधार लेकर और बाद में अपने बड़े भाई की पुरानी स्टिक से हॉकी खेलना शुरू किया।
- तुनुकमिज़ाज होना: इन संघर्षों के कारण वे बचपन से ही तुनुकमिज़ाज हो गए थे। छोटी-छोटी बातों पर वे गुस्सा हो जाते थे।
- हॉकी में सफलता: इसके बावजूद उन्होंने हॉकी में बहुत मेहनत की और भारतीय हॉकी टीम के कप्तान बने।
- भावुक स्वभाव: वे बहुत भावुक भी हैं और किसी को कष्ट में नहीं देख सकते।
- शिक्षा: वे पढ़ाई में कमज़ोर थे लेकिन हॉकी में उनकी बहुत रुचि थी।
- जीवन का सबक: यह अध्याय हमें यह सिखाता है कि जीवन में संघर्षों से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें चुनौती के रूप में लेना चाहिए।
क्यों यह अध्याय महत्वपूर्ण है:
- प्रेरणा: यह अध्याय युवाओं को प्रेरित करता है कि वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करें।
- संघर्ष और सफलता: यह अध्याय हमें बताता है कि जीवन में संघर्ष और सफलता एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता: यह अध्याय हमें भावनात्मक बुद्धिमत्ता के बारे में सिखाता है।
साक्षात्कार से
1.साक्षात्कार पढ़कर आपके मन में धनराज पिल्लै की कैसी छवि उभरती है? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
साक्षात्कार पढ़कर धनराज पिल्लै की छवि एक संघर्षशील, दृढ़ निश्चयी और भावुक व्यक्ति की उभरती है। उन्होंने गरीबी और मुश्किल परिस्थितियों के बावजूद हॉकी में अपनी पहचान बनाई। उनकी सफलता सिर्फ उनकी प्रतिभा ही नहीं, बल्कि उनके अथक प्रयास और दृढ़ संकल्प का परिणाम है।
साक्षात्कार से यह भी पता चलता है कि धनराज पिल्लै बेहद भावुक व्यक्ति हैं। वे अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करते हैं और दूसरों के दुखों में भी शामिल होते हैं। उनकी यह भावुकता उन्हें एक बेहतर इंसान बनाती है।
इसके साथ ही, धनराज पिल्लै एक अनुशासित और मेहनती खिलाड़ी भी हैं। उन्होंने हॉकी में सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत की और कई त्याग किए।
2. धनराज पिल्लै ने ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की है। लगभग सौ शब्दों में इस सफर का वर्णन कीजिए ।
उत्तर :
धनराज पिल्लै का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। एक गरीब परिवार से आने के कारण उनके पास हॉकी स्टिक खरीदने के पैसे तक नहीं थे। उन्होंने अपने दोस्तों से उधार लेकर और बाद में अपने बड़े भाई की पुरानी स्टिक से हॉकी खेलना शुरू किया। बावजूद इसके, उन्होंने हॉकी में अपनी प्रतिभा दिखाई और जूनियर राष्ट्रीय टीम में चुने गए। लगातार मेहनत और समर्पण के बल पर उन्होंने भारतीय हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व किया और कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में देश का नाम रोशन किया।
3. ‘मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है’ – धनराज पिल्लै की इस बात का क्या अर्थ है?
उत्तर :
धनराज पिल्लै का यह कथन कि “मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है” बहुत गहरा अर्थ रखता है। इसका मतलब है कि उनकी माँ ने उन्हें सिखाया कि प्रसिद्धि या सफलता के बाद भी व्यक्ति को विनम्र रहना चाहिए।
आमतौर पर लोग सफल होने पर घमंडी हो जाते हैं और दूसरों को छोटा समझने लगते हैं। लेकिन धनराज पिल्लै की माँ ने उन्हें यह समझाया कि सफलता अस्थायी होती है और व्यक्ति को हमेशा विनम्र रहना चाहिए। उन्होंने धनराज को सिखाया कि सफलता के बाद भी अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए और हमेशा दूसरों के प्रति सम्मान भाव रखना चाहिए।
साक्षात्कार से आगे
1. ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। क्यों? पता लगाइए।
उत्तर :
ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने हॉकी को एक कला का रूप दिया था। उनके खेलने का तरीका इतना अद्भुत था कि देखने वाले दंग रह जाते थे। उनकी हॉकी स्टिक और गेंद के साथ जो करिश्मे होते थे, वो देखने वालों को चकित कर देते थे।
2. किन विशेषताओं के कारण हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है?
उत्तर :
हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाना एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारणों का परिणाम है। हालांकि, भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर किसी खेल को राष्ट्रीय खेल घोषित नहीं किया है, फिर भी हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल मानने के पीछे कई मजबूत कारण हैं:
- ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन: आजादी के बाद भारत ने लगातार छह ओलंपिक (1928 से 1956 तक) में हॉकी का स्वर्ण पदक जीता। इसने भारत को हॉकी की दुनिया में एक महाशक्ति बना दिया और हॉकी को भारत का प्रतिनिधि खेल बना दिया।
- जनप्रियता: हॉकी भारत में बेहद लोकप्रिय खेल है। ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक, हॉकी को हर जगह खेला और देखा जाता है।
- राष्ट्रीय गौरव: हॉकी ने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरव दिलाया है। भारतीय हॉकी टीम की जीत पूरे देश में जश्न मनाई जाती थी।
अनुमान और कल्पना
1. ‘यह कोई ज़रूरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए ‘ – क्या आप धनराज पिल्लै की इस बात से सहमत हैं? अपने अनुभव और बड़ों से बातचीत के आधार पर लिखिए ।
उत्तर :
धनराज पिल्लै का यह कथन कि ‘यह कोई ज़रूरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए’ बिल्कुल सच है। शोहरत और पैसा दो अलग-अलग चीजें हैं। ऐसा जरूरी नहीं है कि जो व्यक्ति बहुत प्रसिद्ध हो उसके पास दौलत भी हो।
इतिहास गवाह है कि कई ऐसे महान कलाकार, लेखक, वैज्ञानिक और खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने दुनिया को अपनी प्रतिभा से समृद्ध किया लेकिन आर्थिक रूप से कभी संपन्न नहीं हुए। उन्होंने अपनी कला, ज्ञान और कौशल को समाज के लिए समर्पित कर दिया। उनकी प्रसिद्धि उनकी पहचान बन गई, लेकिन उन्होंने कभी धन को अपनी प्राथमिकता नहीं बनाया।
हमारे आसपास भी ऐसे कई लोग हैं जो अपने काम के प्रति समर्पित हैं और अपनी प्रतिभा से दूसरों को प्रेरित करते हैं। लेकिन वे आर्थिक रूप से संघर्ष करते रहते हैं। यह जरूरी नहीं है कि हर सफल व्यक्ति अमीर हो। सफलता का मापदंड केवल धन नहीं होता है।
2. (क) अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँगना आसान होता है या मुश्किल?
(ख) क्या आप और आपके आसपास के लोग अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँग लेते हैं ?
(ग) माफ़ी माँगना मुश्किल होता है या माफ़ करना? अपने अनुभव के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
(क) माफी माँगना अक्सर हमारे अहंकार को चोट पहुँचाता है। यह स्वीकार करना कि हम गलत थे, मुश्किल हो सकता है। इसलिए, कई लोग माफी माँगने से बचते हैं। लेकिन, माफी माँगना किसी रिश्ते को सुधारने का पहला कदम होता है। यह दर्शाता है कि हम दूसरे व्यक्ति की भावनाओं का सम्मान करते हैं।
(ख) यह व्यक्ति से व्यक्ति पर निर्भर करता है। कुछ लोग अपनी गलतियों को स्वीकार करने और माफी माँगने में सहज होते हैं, जबकि अन्य लोग इससे हिचकिचाते हैं। हमारे आसपास के लोग भी इसी तरह के व्यवहार करते हैं। कुछ लोग अपनी गलतियों के लिए जिम्मेदारी लेते हैं, जबकि अन्य लोग दूसरों को दोष देते हैं।
(ग) मेरे अनुभव के अनुसार, माफ़ करना माफी माँगने से कहीं अधिक मुश्किल है। माफी माँगने में हमें सिर्फ शब्दों का प्रयोग करना होता है, लेकिन माफ करने के लिए हमें अपनी भावनाओं पर काबू पाना होता है। जब कोई हमें चोट पहुँचाता है, तो हम स्वाभाविक रूप से गुस्सा, दुख या निराशा महसूस करते हैं। इन भावनाओं को छोड़कर किसी को माफ करना आसान नहीं होता।
भाषा की बात
1. नीचे कुछ शब्द लिखे हैं जिनमें अलग-अलग प्रत्ययों के कारण बारीक अंतर है । इस अंतर को समझाने के लिए इन शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
प्रेरणा
प्रेरक
प्रेरित
संभव
संभावित
संभवतः
उत्साह
उत्साहित
उत्साहवर्धक
उत्तर :
प्रेरणा, प्रेरक, प्रेरित
- प्रेरणा: किसी कार्य को करने के लिए उत्साह या जोश पैदा करने वाली शक्ति।
- उदाहरण: पढ़ाई में मेरी माँ मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं।
- प्रेरक: जो प्रेरणा दे, उत्साहित करे।
- उदाहरण: महात्मा गांधी एक महान प्रेरक नेता थे।
- प्रेरित: किसी बात या व्यक्ति से प्रभावित होकर कुछ करना।
- उदाहरण: मैंने अपने शिक्षक से प्रेरित होकर डॉक्टर बनने का फैसला किया।
संभव, संभावित, संभवतः
- संभव: जो हो सकता है, जिसकी संभावना है।
- उदाहरण: आज बारिश होना संभव है।
- संभावित: जो होने की संभावना है, संभावना वाला।
- उदाहरण: यह एक संभावित समाधान हो सकता है।
- संभवतः: शायद, हो सकता है।
- उदाहरण: संभवतः मैं आज शाम को तुम्हारे घर आऊंगा।
उत्साह, उत्साहित, उत्साहवर्धक
- उत्साह: जोश, खुशी, उत्सुकता।
- उदाहरण: उसने परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए बहुत उत्साह दिखाया।
- उत्साहित: जोश से भरा हुआ, उत्सुक।
- उदाहरण: मैं कल की पार्टी के लिए बहुत उत्साहित हूँ।
- उत्साहवर्धक: जो उत्साह बढ़ाए, जोश में वृद्धि करे।
- उदाहरण: उसका भाषण बहुत उत्साहवर्धक था।
2. तुनुकमिजाज शब्द तुनुक और मिज़ाज दो शब्दों के मिलने से बना है। क्षणिक, तनिक और तुनुक एक ही शब्द के भिन्न रूप हैं। इस प्रकार का रूपांतर दूसरे शब्दों में भी होता है, जैसे- बादल, बादर, बदरा, बदरिया मयूर, मयूरा, मोर; दर्पण, दर्पन, दरपन | शब्दकोश की सहायता लेकर एक ही शब्द के दो या दो से अधिक रूपों को खोजिए । कम-से-कम चार शब्द और उनके अन्य रूप लिखिए।
उत्तर :
1. अग्नि
- अग्नि: आग
- अग्नि: अग्नि देवता
- अग्निहोत्र: यज्ञ में आहुति देने की क्रिया
2. जल
- जल: पानी
- जल: जलचर
- जलवा: प्रकाश
3. सूर्य
- सूर्य: सूरज
- सूरजमुखी: एक प्रकार का फूल
- सौरमंडल: सूर्य और उसके ग्रहों का समूह
4. चंद्र
- चंद्र: चाँद
- चंद्रमा: चाँद का दूसरा नाम
- चंद्रयान: चाँद पर जाने वाला यान
5. वायु
- वायु: हवा
- वायुमंडल: पृथ्वी के चारों ओर का वायु का आवरण
- वायुयान: हवाई जहाज
3. हर खेल के अपने नियम, खेलने के तौर-तरीके और अपनी शब्दावली होती है। जिस खेल में आपकी रुचि हो उससे संबंधित कुछ शब्दों को लिखिए, जैसे – फुटबॉल के खेल से संबंधित शब्द हैं- गोल, बैकिंग, पासिंग, बूट इत्यादि ।
उत्तर :
बैडमिंटन: स्मैश, ड्रॉप, सर्विस, नेट
बास्केटबॉल: शूट, ड्रिबल, पास, रिबाउंड, थ्री पॉइंटर
हॉकी: ड्रिबल, पास, शॉट, पेनल्टी कॉर्नर
चेस: शाह, मात, रूक, घोड़ा, हाथी