कविता “मिठाईवाला” में एक खिलौने वाले की कहानी है। वह अपनी मीठी आवाज़ से बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करता था। बच्चे उसके खिलौने देखकर बहुत खुश होते थे। वह बच्चों को खिलौने बेचकर खुश होता था। बाद में वह मुरलीवाला बन गया और फिर मिठाईवाला बन गया। हर अवस्था में वह बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाता था। इस कहानी से हमें पता चलता है कि छोटी-छोटी खुशियाँ कितनी महत्वपूर्ण होती हैं।
कहानी से
1. मिठाईवाला अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था ?
उत्तर :
मिठाईवाला अलग-अलग चीजें इसलिए बेचता था ताकि बच्चों को ऊब न आए और उन्हें हर बार कुछ नया देखने को मिले। अगर वह हमेशा एक ही चीज़ बेचता तो बच्चों की रुचि उसमें कम हो जाती।
वह महीनों बाद इसलिए आता था ताकि बच्चों को उसका इंतजार रहे। जब वह आता था तो बच्चों में उत्साह और खुशी का माहौल बन जाता था। इसके अलावा, अगर वह बार-बार आता तो बच्चों के माता-पिता को हर बार खिलौने खरीदने में दिक्कत होती।
2. मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे?
उत्तर :
मिठाईवाले में कई ऐसे गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे। आइए उन गुणों के बारे में विस्तार से जानते हैं:
- मधुर आवाज: मिठाईवाला एक बहुत ही मधुर आवाज में गाता था। उसकी आवाज में ऐसा जादू था कि बच्चे उसे सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाते थे। उसकी आवाज ही बच्चों को अपनी ओर खींच लाती थी।
- खिलौनों की विविधता: मिठाईवाले के पास हमेशा नए-नए और दिलचस्प खिलौने होते थे। वह हर बार अलग-अलग तरह के खिलौने लेकर आता था जिससे बच्चों की उत्सुकता बढ़ती रहती थी।
- दयालु स्वभाव: मिठाईवाला बहुत ही दयालु स्वभाव का था। वह बच्चों से प्यार करता था और हमेशा उनकी मदद करने के लिए तैयार रहता था।
- धैर्य: वह बच्चों के साथ बहुत धैर्य से पेश आता था। वह बच्चों के सवालों के जवाब बड़े प्यार से देता था।
- मज़ाकिया स्वभाव: मिठाईवाला बहुत ही मज़ाकिया स्वभाव का था। वह बच्चों को हंसाने के लिए तरह-तरह के चुटकुले सुनाता था।
3. विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता । दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?
उत्तर :
विजय बाबू, एक ग्राहक के रूप में, खिलौनों की गुणवत्ता और कीमत पर ध्यान देता है। वह चाहता है कि खिलौने टिकाऊ, सुरक्षित और सस्ते हों।
मुरलीवाला, एक विक्रेता के रूप में, बच्चों की खुशी और अपने रोजगार पर ध्यान देता है। वह बच्चों को खुश करने के लिए विभिन्न तरह के खिलौने लाता है और अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए उन्हें बेचता है।
दोनों के बीच संतुलन जरूरी है। विजय बाबू को मुरलीवाले की मेहनत को समझना चाहिए और मुरलीवाले को ग्राहकों के हितों का ध्यान रखना चाहिए।
4. खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी ?
उत्तर :
खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की प्रतिक्रिया बेहद उत्साहित होती थी। वे जैसे ही उसकी मधुर आवाज़ सुनते थे, उनके चेहरे खिल उठते थे। वे दौड़-धूप मचाते हुए खिलौनेवाले के पास इकट्ठा हो जाते थे। उनके चमकदार खिलौने बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करते थे।
5. रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो आया ?
उत्तर :
रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण इसलिए हो आया क्योंकि दोनों का स्वर काफी मिलता-जुलता था। खिलौनेवाला भी अपनी मधुर आवाज़ से बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करता था और मुरलीवाला भी ऐसा ही कर रहा था। रोहिणी ने मुरलीवाले की आवाज़ सुनकर पुराने दिनों को याद कर लिया जब खिलौनेवाला आता था।
6. किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?
उत्तर :
कहानी में यह स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है कि मिठाईवाला किसकी बात सुनकर भावुक हुआ था। हो सकता है कि उसने अपनी जिंदगी के उतार-चढ़ावों को याद करके भावुक हुआ हो। उसने यह भी नहीं बताया कि उसने ये व्यवसाय क्यों अपनाए थे।
7. ‘अब इस बार ये पैसे न लूँगा’ कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर :
“अब इस बार ये पैसे न लूँगा” कहानी के अंत में मिठाईवाले ने यह वाक्य इसलिए कहा क्योंकि वह बच्चों के प्यार और भावनाओं से बहुत प्रभावित हो गया था।
8. इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?
उत्तर :
रोहिणी चिक के पीछे से बात करती थी क्योंकि उस समय महिलाओं को खुलकर बोलने की आजादी नहीं थी। आजकल महिलाएं आत्मविश्वास और शिक्षा के कारण खुलकर अपनी बात कहती हैं। हालांकि, कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में यह परंपरा अभी भी कायम है। यह परंपरा महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ है और इसे खत्म किया जाना चाहिए। हर व्यक्ति को, चाहे वह पुरुष हो या महिला, अपनी बात खुलकर कहने का अधिकार है।
कहानी से आगे
1. मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा? सोचिए और इस आधार पर एक और कहानी बनाइए?
उत्तर :
मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा, यह जानने के लिए हमें कहानी में दिए गए संकेतों पर गौर करना होगा। शायद उसके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए उसे बच्चों को खुश करने के लिए मिठाइयाँ बेचनी पड़ती थीं। या फिर हो सकता है कि वह अपने परिवार को एक जगह से दूसरी जगह ले जाता रहा हो, जिसके कारण बच्चों की शिक्षा बाधित हुई हो।
एक नई कहानी
मिठाईवाले का सपना
मिठाईवाला, रमेश, बचपन से ही मिठाइयाँ बनाने का शौकीन था। उसकी माँ भी बहुत स्वादिष्ट मिठाइयाँ बनाती थीं। लेकिन, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपनी पढ़ाई जारी रख सके। उसे स्कूल छोड़कर अपने परिवार की मदद के लिए मिठाइयाँ बेचनी पड़ीं।
रमेश दिन-रात मेहनत करता था। वह बच्चों को खुश करने के लिए नई-नई मिठाइयाँ बनाता रहता था। लेकिन, उसे हमेशा एक सपना सताता रहता था कि वह एक दिन अपनी खुद की मिठाई की दुकान खोलेगा।
एक दिन, एक बड़े शहर में एक मिठाई प्रतियोगिता हुई। रमेश ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और अपनी बनाई हुई मिठाई से सभी को चौंका दिया। उसने यह प्रतियोगिता जीती और उसे एक बड़ी राशि मिली।
इस पैसे से रमेश ने अपना सपना पूरा किया और उसने अपनी खुद की मिठाई की दुकान खोली। उसकी दुकान बहुत ही मशहूर हो गई। अब वह अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी रहने लगा। उसने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दी और उनका सपना पूरा करने में मदद की।
2. हाट – मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन सी चीजें आपको सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं? उनको सजाने-बनाने में किसका हाथ होगा? उन चेहरों के बारे में लिखिए।
उत्तर :
हाट-मेले और शादियों जैसे आयोजन हमारे जीवन में रंग भर देते हैं। इनमें कई ऐसी चीजें होती हैं जो हमें अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
आकर्षण के प्रमुख केंद्र
- रंग-बिरंगे स्टॉल: इन स्टॉलों पर तरह-तरह के सामान, खिलौने, कपड़े, जूते आदि सजे होते हैं। इनके चमकीले रंग और आकर्षक सजावट हमारी नजरें नहीं हटा पाती।
- स्वादिष्ट भोजन: विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन जैसे चाट, पकौड़े, समोसे आदि इन आयोजनों का प्रमुख आकर्षण होते हैं। इनकी खुशबू से हमारा मुंह में पानी आ जाता है।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: संगीत, नृत्य, जादू के करतब आदि जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम हमें मनोरंजन करते हैं और हमारी थकान दूर करते हैं।
- खेल और मेले: झूले, घोड़े की सवारी, और अन्य खेल बच्चों के लिए बहुत मजेदार होते हैं।
- लोगों की भीड़: इन आयोजनों में लोगों की भीड़ होती है, जो एक अलग ही माहौल बनाती है।
सजावट में किसका हाथ होता है?
इन आयोजनों को सजाने में कई लोगों का हाथ होता है।
- कलाकार: वे रंग-बिरंगे पोस्टर, बैनर और मंडप बनाते हैं।
- सज्जाकार: वे फूलों, झालरों और अन्य सामग्री से सजावट करते हैं।
- दुकानदार: वे अपने स्टॉलों को आकर्षक बनाने के लिए तरह-तरह की चीजें सजाते हैं।
चेहरों के बारे में
इन आयोजनों में हमें तरह-तरह के चेहरे नजर आते हैं।
- खुश चेहरे: बच्चे तो खिलौनों और मिठाइयों को देखकर बहुत खुश होते हैं।
- व्यस्त चेहरे: दुकानदार अपने सामान बेचने में व्यस्त रहते हैं।
- उत्साहित चेहरे: सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कलाकार और दर्शक दोनों ही उत्साहित रहते हैं।
- थके हुए चेहरे: दिन भर की भागदौड़ के बाद लोग थके हुए भी नजर आते हैं।
3. इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपना दुख कम करता है? इस मिज़ाज की और कहानियाँ, कविताएँ ढूँढ़िए और पढ़िए ।
उत्तर :
मिठाईवाला दूसरों की खुशी में खुद को खो जाता है। यह एक मानवीय प्रवृत्ति है। कई कहानियों और कविताओं में भी इस भावना को दर्शाया गया है। उदाहरण के लिए, कार्लो कोलोदी की पिन्occhio और भारतीय लोककथाएं।
अनुमान और कल्पना
1. आपकी गलियों में कई अजनबी फेरीवाले आते होंगे। आप उनके बारे में क्या – क्या जानते हैं? अगली बार जब आपकी गली में कोई फेरीवाला आए तो उससे बातचीत कर जानने की कोशिश कीजिए ।
उत्तर :
- वे क्या बेचते हैं: आम तौर पर वे फल, सब्जियां, मसाले, खिलौने, या घर के छोटे-छोटे सामान बेचते हैं।
- वे कहां से आते हैं: कई बार वे दूर-दूर से आते हैं और अपने सामान बेचने के लिए अलग-अलग इलाकों में घूमते रहते हैं।
- वे क्यों यह काम करते हैं: शायद उनके पास कोई और काम न हो, या फिर वे अपनी आजीविका चलाने के लिए यह काम करते हों।
अगली बार जब कोई फेरीवाला आए तो आप उनसे ये सवाल पूछ सकते हैं:
- आप कहाँ से आते हैं?
- आप क्या बेचते हैं?
- आप यह काम क्यों करते हैं?
- आपकी दिनचर्या कैसी होती है?
- आपको यह काम करके कैसा लगता है?
3. क्या आपको लगता है कि – वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं? कारण लिखिए।
उत्तर :
शहरीकरण और बदलती जीवनशैली: शहरों का तेजी से विकास हुआ है और लोगों की जीवनशैली भी बदल गई है। अब लोग फेरीवालों से कम सामान खरीदते हैं, क्योंकि उनके पास सुपरमार्केट, मॉल और ऑनलाइन शॉपिंग जैसे विकल्प मौजूद हैं।
तकनीक में बदलाव: आजकल लोग सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल मंचों पर व्यस्त रहते हैं। उन्हें फेरीवालों की आवाज़ें कम सुनाई देती हैं।
शोर प्रदूषण: शहरों में शोर का स्तर बहुत बढ़ गया है। कारों, बाइकों और अन्य वाहनों की आवाज़ में फेरीवालों की आवाज़ दब जाती है।
सरकारी नियम: कई शहरों में फेरी लगाने पर प्रतिबंध या नियम लगा दिए गए हैं, जिससे फेरीवालों की संख्या कम हो गई है।
नई पीढ़ी: नई पीढ़ी के लोग फेरीवालों से सामान खरीदने के लिए कम उत्सुक होते हैं। उन्हें ऑनलाइन शॉपिंग ज्यादा पसंद है।