Saturday, December 21, 2024

नौकर

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NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 13

अनुभूति बंदोपाध्याय द्वारा लिखित यह निबंध महात्मा गांधी के नौकरों और शारीरिक श्रम के विचारों पर केंद्रित है। यहाँ मुख्य बिंदु हैं:

  • गांधी जी का मानना था कि उन्हें सभी काम खुद करने चाहिए, जिसमें घर के काम और शारीरिक श्रम भी शामिल हैं। उनका मानना था कि नौकरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
  • उन्होंने महसूस किया कि हर किसी को अपने काम के लिए जिम्मेदार होना चाहिए और समाज में योगदान देना चाहिए। उन्होंने यहां तक कि उनसे मिलने आने वाले कॉलेज के छात्रों को गेहूं साफ करने में मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो शारीरिक श्रम के मूल्य को प्रदर्शित करता है।
  • गांधी जी उन लोगों को “नौकर” के रूप में नहीं बल्कि समान और अपने परिवार के सदस्यों के रूप में देखते थे। उन्होंने उनके साथ सम्मान और मर्यादा का व्यवहार किया।
  • आवश्यकता पड़ने पर उन्होंने हरिजनों जैसे हाशिए के समुदायों के लोगों को काम पर रखने की वकालत की। उनका उनका सशक्तीकरण और उचित व्यवहार सुनिश्चित करने में विश्वास था।
  • गांधी जी ने देखा कि इंग्लैंड जैसे अन्य देशों में नौकरों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, जहां उन्हें अक्सर परिवार का हिस्सा माना जाता था। उन्होंने इस दृष्टिकोण की प्रशंसा की और भारत में शारीरिक श्रम करने वालों के लिए समान सम्मान में विश्वास किया।

निबंध इस बात पर जोर देता है कि:

  • अपने काम के लिए आत्मनिर्भर होना और जिम्मेदारी लेना महत्वपूर्ण है।
  • हर किसी के साथ सम्मान और मर्यादा का व्यवहार करें, चाहे उनका पेशा कुछ भी हो।
  • सामाजिक बाधाओं को तोड़ना और समानता को बढ़ावा देना।

NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 13

प्रश्न 1 .निबंध से

  1. आश्रम में कॉलेज के छात्रों से गांधी जी ने कौन सा काम करवाया और क्यों ? 

उत्तर : गांधी जी ने आश्रम में आए कॉलेज के छात्रों से गेहूं बीनने का काम करवाया।

           उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि:

  • उन्हें छात्रों के अंग्रेजी ज्ञान पर घमंड था। गांधी जी उन्हें यह दिखाना चाहते थे कि शिक्षा का अर्थ केवल किताबों का ज्ञान नहीं है, बल्कि शारीरिक श्रम भी महत्वपूर्ण है।
  • गांधी जी चाहते थे कि छात्र आश्रम के जीवन और नियमों का अनुभव करें। गेहूं बीनना एक साधारण काम था, लेकिन यह छात्रों को आश्रम के जीवन की सादगी और अनुशासन से परिचित कराने का एक तरीका था।
  • गांधी जी सभी को समान मानते थे। वे चाहते थे कि छात्र भी आश्रम के अन्य लोगों की तरह काम करें और कोई विशेषाधिकार न पाएं।
  1. आश्रम में गांधी कई ऐसे काम भी करते थे, जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं’। पाठ से तीन ऐसे प्रसंगों को अपने शब्दों में लिखो जो इस बात का प्रमाण हों।

उत्तर : 1. चक्की पीसना: गांधी जी स्वयं चक्की पीसकर आटा बनाते थे। वे यह काम किसी नौकर से नहीं करवाते थे।

      2. बर्तन धोना: गांधी जी आश्रम के बर्तन स्वयं धोते थे। वे यह काम किसी नौकर से नहीं करवाते     थे।

      3. झाड़ू लगाना: गांधी जी आश्रम के कमरों और गलियारों में झाड़ू लगाते थे। वे यह काम किसी नौकर से नहीं करवाते थे।

3.  लंदन में भोज पर बुलाए जाने पर गांधी जी ने क्या किया?

उत्तर: गांधी जी ने क्या किया:

  • वह निर्धारित समय से काफी पहले पहुंचे।
  • मेहमान के रूप में इंतजार करने के बजाय, उन्होंने तैयारी में मदद करने की पेशकश करके सभी को चौंका दिया।
  • उन्होंने रसोई के कर्मचारियों की सब्जियां काटने और बर्तन धोने जैसे कार्यों में सहर्ष सहायता की।

प्रतिक्रियाएँ:

  • मेहमानों को शुरुआत में गांधीजी को ऐसे “हीन” काम में लगे देखकर अचंभा हुआ।
  • उन्होंने ऐसा करने के उनके कारणों के बारे में पूछताछ की।

गांधी जी का स्पष्टीकरण:

  • उन्होंने दृढ़ता से कहा कि वह किसी भी काम को निम्न या अपमानजनक नहीं मानते हैं।
  • उन्होंने सभी श्रम के समान महत्व पर बल दिया और सामूहिक प्रयास में योगदान करने में अपना गर्व व्यक्त किया।

4. गांधी जी ने श्रीमती पोलक के बच्चे का दूध कैसे छुड़वाया ?

उत्तर :  श्रीमती पोलक का बच्चा लगातार दूध के लिए रोता था, खासकर रात में। इससे श्रीमती पोलक थक चुकी थीं और निराश थीं।

दुखी श्रीमती पोलक को देखकर गांधी जी ने सहायता का हाथ बढ़ाया। उन्होंने एक अनोखा उपाय सुझाया:

  • बच्चे को रात में श्रीमती पोलक के बिस्तर पर ही सुलाना।
  • बच्चे के रोने पर उसे पानी पिलाना, दूध नहीं।

शुरुआत में थोड़ा विचित्र लगने वाला यह तरीका कारगर साबित हुआ। कुछ दिनों के बाद, बच्चे ने रात में जागना और दूध मांगना बंद कर दिया। इससे श्रीमती पोलक को काफी राहत मिली और वे गांधी जी की मदद के लिए आभारी थीं।

5. आश्रम में काम करने या करवाने का कौन सा तरीका गांधी जी अपनाते पाठ पढ़कर लिखो।

उत्तर : गांधीजी द्वारा अपनाए गए कुछ प्रमुख तरीकों में शामिल हैं:

  • सभी के लिए समान कार्य: आश्रम में रहने वाले सभी लोगों को, चाहे उनकी जाति, धर्म, या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो, समान कार्य करने होते थे। गांधीजी स्वयं भी आश्रम के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेते थे।
  • शारीरिक श्रम का महत्व: गांधीजी शारीरिक श्रम को बहुत महत्व देते थे। उनका मानना था कि शारीरिक श्रम से न केवल शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि आत्म-अनुशासन और आत्म-सम्मान भी बढ़ता है।
  • स्वावलंबन: आश्रम में रहने वाले लोगों को स्वावलंबी बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। वे अपनी जरूरतों की चीजें खुद ही बनाते थे, जैसे कि कपड़े, साबुन, और फर्नीचर।
  • सहयोग: आश्रम में सभी लोग एक दूसरे के साथ सहयोग करते थे। कोई भी काम अकेले नहीं किया जाता था, बल्कि सभी मिलकर काम करते थे।

इन तरीकों के कुछ लाभ:

  • समानता और भाईचारे की भावना: सभी के लिए समान कार्य करने से आश्रम में समानता और भाईचारे की भावना पैदा होती थी।
  • आत्म-अनुशासन और आत्म-सम्मान: शारीरिक श्रम से आत्म-अनुशासन और आत्म-सम्मान बढ़ता था।
  • स्वावलंबन: स्वावलंबन से लोगों में आत्मविश्वास बढ़ता था और वे अपनी जरूरतों का ख्याल खुद रखना सीखते थे।
  • सहयोग: सहयोग से लोगों में एकता और भाईचारे की भावना बढ़ती थी।

प्रश्न 2.निबंध से आगे

  1. गांधी जी इतना पैदल क्यों चलते थे? पैदल चलने के क्या लाभ हैं? लिखो।

       उत्तर : महात्मा गांधी जी पैदल चलने के प्रबल समर्थक थे और वे अक्सर लंबी दूरी तक पैदल यात्रा करते थे। इसके पीछे कई कारण थे:

1. स्वास्थ्य: गांधी जी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक थे और उनका मानना था कि पैदल चलने से शरीर स्वस्थ रहता है।

2. सादगी: गांधी जी सादगी का जीवन जीते थे और पैदल चलना उनके लिए सादगी का प्रतीक था।

3. आत्म-अनुशासन: पैदल चलने से आत्म-अनुशासन और धैर्य बढ़ता है।

4. स्वतंत्रता: पैदल चलने से व्यक्ति स्वतंत्र महसूस करता है और प्रकृति के करीब जाता है।

5. पर्यावरण: पैदल चलना पर्यावरण के लिए भी अच्छा है क्योंकि इससे प्रदूषण नहीं होता है।

पैदल चलने के लाभ:

  • शारीरिक स्वास्थ्य: पैदल चलने से हृदय, फेफड़े, और मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य: पैदल चलने से तनाव और चिंता कम होती है और मन शांत होता है।
  • वजन नियंत्रण: पैदल चलने से कैलोरी बर्न होती है और वजन नियंत्रित रहता है।
  • हड्डियों को मजबूती: पैदल चलने से हड्डियों को मजबूती मिलती है और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है।
  • पर्यावरण: पैदल चलने से प्रदूषण नहीं होता है और पर्यावरण स्वच्छ रहता है।

प्रश्न 3. अनुमान और कल्पना

1 .गांधी जी अपने साथियों की ज़रूरत के मुताबिक हर काम कर देते थे, लेकिन उनका खुद का काम कोई और करे, ये उन्हें पसंद नहीं था। क्यों? सोचो और अपनी कक्षा में सुनाओ।

उत्तर : गांधी जी दूसरों के काम में मदद करते थे क्योंकि वे करुणामय और सहयोगी थे। वे सभी     लोगों को समान मानते थे और किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करते थे। वे आत्मनिर्भरता में विश्वास करते थे और चाहते थे कि वे अपना काम खुद करें। वे अपने कार्यों की जिम्मेदारी खुद लेना चाहते थे और किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहते थे।

2 . नौकरों को हमें वेतनभोगी मज़दूर नहीं, अपने भाई के समान मानना चाहिए। इसमें कुछ कठिनाई हो सकती है, फिर भी हमारी कोशिश सर्वथा निष्फल नहीं जाएगी । ‘ गांधी जी ऐसा क्यों कहते होंगे ? तर्क के साथ समझाओ ।

उत्तर : गांधी जी के इस विचार के पीछे कई तर्क थे:

  • समानता: सभी मनुष्य समान हैं और किसी भी व्यक्ति को दूसरे से कमतर नहीं माना जाना चाहिए।
  • मानवतावाद: सभी मनुष्यों को सम्मान और गरिमा के साथ जीने का अधिकार है।
  • भाईचारा: सभी मनुष्य एक दूसरे के भाई-बहन हैं और हमें एक दूसरे के प्रति प्रेम और सहानुभूति रखनी चाहिए।

गांधी जी का नौकरों को भाई मानने का विचार एक आदर्शवादी विचार है, लेकिन इसे अपनाने से समाज में सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं। हमें इस विचार को अपनाने के लिए प्रयास करना चाहिए और समाज में समानता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना चाहिए.

3. गांधी जी की कही – लिखी बातें लगभग सौ से अधिक किताबों में दर्ज हैं। घर के काम, बीमारों की सेवा, आगंतुकों से बातचीत आदि ढेरों काम करने के बाद गांधी जी को लिखने का समय कब मिलता होगा? गांधी जी का एक दिन कैसे गुज़रता होगा, इस पर अपनी कल्पना से लिखो ।

 उत्तर : यद्यपि गांधी जी की दैनिक दिनचर्या शायद बदलती रहती थी, हम उनकी कल्पना एक समर्पित और सार्थक संरचना के साथ कर सकते हैं। भोर से पहले उठकर, वे प्रार्थना, ध्यान और योग से दिन की शुरुआत करते थे। फिर वे सुबह के शांत समय को लेखन के लिए समर्पित करते थे, चाहे वह पत्र, लेख, या अपनी असंख्य पुस्तकों के लिए अध्याय हो। एकाग्रता का यह समय उन्हें अपने विचारों में गहराई से जाने और उन्हें स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की अनुमति देता था।

दिन सामाजिक, आध्यात्मिक और व्यावहारिक कार्यों के मिश्रण के साथ आगे बढ़ता था। सुबह में चरखा चलाने, जो आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, और भक्ति प्रार्थनाओं और प्रवचनों में शामिल होना शामिल हो सकता है। सादे नाश्ते के बाद, वे आवश्यक कार्यों जैसे पत्रों का जवाब देना और आगंतुकों के साथ चर्चा में शामिल होना शुरू कर देते थे।

सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए, दोपहर में महत्वपूर्ण सामाजिक गतिविधियों जैसे बैठकें, सार्वजनिक सभाएं या यहां तक कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में भाग लेना शामिल हो सकता है। इसके बाद थोड़े आराम या पढ़ने का समय भी हो सकता है, जिससे उन्हें शेष दिन के लिए ऊर्जा प्राप्त करने में मदद मिलती है।

शाम, सुबह की दिनचर्या को दर्शाती है, जिसमें चरखा चलाना और भजन दूसरे सादे भोजन से पहले होते हैं। फिर वे सोने से पहले शांत घंटों का उपयोग लेखन जारी रखने के लिए करते थे, यह सुनिश्चित करते हुए कि उनका संदेश व्यापक जनता तक पहुँचे। अपने कई कर्तव्यों के बावजूद लेखन के प्रति यह समर्पण उनके विचारों को साझा करने और दूसरों को प्रेरित करने की उनकी प्रतिबद्धता को उजागर करता है।

हालांकि यह गांधीजी के दिन की संभावित संरचना की सिर्फ एक झलक है, यह उनके अनुशासित जीवन, विभिन्न जिम्मेदारियों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और व्यस्त कार्यक्रम के बीच भी व्यक्तिगत चिंतन और अभिव्यक्ति के लिए समय निकालने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित करता है। यह समय प्रबंधन, कार्यों को प्राथमिकता देने और जीवन के विभिन्न पहलुओं में शामिल रहते हुए ध्यान केंद्रित करने के महत्व की याद दिलाता है।

4. पाठ में बताया गया है कि गांधी जी और उनके साथी आश्रम में रहते थे। घर और स्कूल के छात्रावास से गांधी जी का आश्रम किस तरह अलग था ? कुछ वाक्यों में लिखो ।

उत्तर : गांधी जी का आश्रम घर और स्कूल के छात्रावास से कई तरह से अलग था।

1. सामाजिक मिश्रण:

  • घर: घर में परिवार के सदस्य रहते हैं, जो आमतौर पर रक्त संबंधों से जुड़े होते हैं।
  • स्कूल का छात्रावास: छात्रावास में विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के छात्र रहते हैं।
  • आश्रम: आश्रम में विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, जाति, धर्म और विचारधारा के लोग रहते थे।

2. उद्देश्य:

  • घर: घर परिवार के सदस्यों के रहने, खाने और सोने का स्थान होता है।
  • स्कूल का छात्रावास: छात्रावास छात्रों के रहने और पढ़ाई करने का स्थान होता है।
  • आश्रम: आश्रम सामाजिक कार्यों, स्वतंत्रता आंदोलन, और आत्म-सुधार के लिए समर्पित था।

3. नियम और अनुशासन:

  • घर: घर में नियम और अनुशासन परिवार के सदस्यों द्वारा तय किए जाते हैं।
  • स्कूल का छात्रावास: छात्रावास में नियम और अनुशासन स्कूल प्रशासन द्वारा तय किए जाते हैं।
  • आश्रम: आश्रम में नियम और अनुशासन सभी सदस्यों द्वारा मिलकर तय किए जाते थे।

4. काम का बंटवारा:

  • घर: घर में काम का बंटवारा परिवार के सदस्यों के बीच होता है।
  • स्कूल का छात्रावास: छात्रावास में काम का बंटवारा छात्रों के बीच होता है।
  • आश्रम: आश्रम में सभी सदस्य समान रूप से काम करते थे, जिसमें खाना बनाना, सफाई करना, और अन्य कार्य शामिल थे।

5. जीवनशैली:

  • घर: घर में जीवनशैली परिवार की पसंद और आदतों पर निर्भर करती है।
  • स्कूल का छात्रावास: छात्रावास में जीवनशैली स्कूल प्रशासन द्वारा निर्धारित नियमों पर निर्भर करती है।
  • आश्रम: आश्रम में जीवनशैली सादा और अनुशासित थी, जिसमें सात्विक भोजन, नियमित प्रार्थना, और सामाजिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया जाता था।

NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 13

FAQ’s

Class 6 Hindi Chapter 13 का मुख्य संदेश क्या है?

Class 6 Hindi Chapter 13 का मुख्य संदेश यह है कि हमें नौकरों के प्रति सहानुभूति और सम्मान का व्यवहार करना चाहिए और उनके काम की सराहना करनी चाहिए।

Class 6 Hindi Chapter 13 में नौकर का चरित्र कैसा है?

Class 6 Hindi Chapter 13 में नौकर का चरित्र ईमानदार, मेहनती और समर्पित व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है।

Class 6 Hindi Chapter 13 के नौकर पाठ का सारांश क्या है?

Class 6 Hindi Chapter 13 का सारांश यह है कि यह पाठ नौकर और उसके मालिक के बीच के संबंध और सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालता है, जैसे कि नौकरों के साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए।

Class 6 Hindi Chapter 13 के नौकर पाठ से क्या सीख मिलती है?

lass 6 Hindi Chapter 13 के नौकर पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हर व्यक्ति के काम की कद्र करनी चाहिए और उनके प्रति समानता और सम्मान का भाव रखना चाहिए।

Class 6 Hindi Chapter 13 में नौकर का जीवन कैसा होता है?

Class 6 Hindi Chapter 13 में नौकर का जीवन कठिनाईयों और संघर्ष से भरा होता है, लेकिन वह अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ निभाता है।

Class 6 Hindi Chapter 13 के नौकर पाठ में कौन-कौन से सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की गई है?

Class 6 Hindi Chapter 13 के नौकर पाठ में सामाजिक असमानता, मजदूरों के अधिकार, और मानवता जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई है।

Class 6 Hindi Chapter 13 में नौकर और मालिक के संबंध कैसे दर्शाए गए हैं?

Class 6 Hindi Chapter 13 में नौकर और मालिक के संबंध को मानवीय दृष्टिकोण से दर्शाया गया है, जिसमें नौकर की कठिनाइयों और मालिक की सहानुभूति को प्रमुखता दी गई है।

Class 6 Hindi Chapter 13 के लिए NCERT Solutions कहाँ मिल सकते हैं?

Class 6 Hindi Chapter 13 के लिए NCERT Solutions विभिन्न शैक्षणिक वेबसाइटों education85.com और ऑनलाइन पोर्टलों पर उपलब्ध हैं, जहाँ से आप उन्हें आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।

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Dr. Upendra Kant Chaubey
Dr. Upendra Kant Chaubeyhttps://education85.com
Dr. Upendra Kant Chaubey, An exceptionally qualified educator, holds both a Master's and Ph.D. With a rich academic background, he brings extensive knowledge and expertise to the classroom, ensuring a rewarding and impactful learning experience for students.
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