Ncert Solutions for Class 6 Hindi Chapter 14
पहला छंद:
सीता की थकावट और अस्थिरता:
थोड़ी दूर चलने के बाद वह थक जाती हैं।
शेष यात्रा और उनके अस्थायी आश्रय के स्थान के बारे में पूछती हैं।
सीता की मानवीय भावनाओं को प्रकट करता है:
यात्रा की कठिनाइयाँ उन्हें प्रभावित करती हैं।
राम पर उनकी निर्भरता और विश्वास को दर्शाता है।
दूसरा छंद:
राम की देखभाल और सहायता:
वह सीता के आराम के लिए छाया ढूंढते हैं।
उनके पैरों से धीरे से कांटे निकालते हैं।
उनकी प्यास बुझाने के लिए उन्हें फल देते हैं।
उनके मजबूत बंधन को प्रकट करता है:
राम के कार्य उनके सीता के प्रेम और चिंता को दर्शाते हैं।
मुश्किल समय में सहानुभूति और समझ के महत्व को उजागर करता है।
कुल मिलाकर, कविता:
राम और सीता द्वारा वनवास के दौरान झेली गई कठिनाइयों को दिखाती है।
चुनौतियों से पार पाने में प्रेम, सहानुभूति और दृढ़ता के महत्व को बल देती है।
उनके मजबूत और स्थायी रिश्ते की एक झलक प्रस्तुत करती है।
Ncert Solutions for Class 6 Hindi Chapter 14
प्रश्न 1. सवैया से
- नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने के बाद सीता की क्या दशा हुई?
उत्तर : वन के मार्ग में” अध्याय से हमें पता चलता है कि नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने के बाद ही सीता जी की दशा थकान और निराशा से भरी हुई थी। कवि हमें स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि वे शारीरिक और मानसिक रूप से दोनों तरह से प्रभावित थीं।
शारीरिक रूप से, दो पग चलने पर ही सीता जी के माथे पर पसीने की बूंदें आ जाती हैं और उनके मधुर होंठ सूख जाते हैं। यह हमें गर्म, कठिन यात्रा की लंबाई और थकावट का अनुभव कराता है।
मानसिक रूप से, सीता जी निराश थीं। उन्हें अपने महल से निकलकर वन में रहने में कठिनाई हो रही थी। घर और परिवार से दूर रहना, अनिश्चित भविष्य, और साथ ही वनवास की कठिनाइयाँ उन्हें निराश कर देती हैं। यह उनकी तत्कालीन परिस्थिति को लेकर निराशा और भय का संकेत देता है।
उनकी यह दशा उनके राम जी से पूछे गए प्रश्न से भी स्पष्ट होती है, “अब और कितनी दूर चलना है, पर्णकुटी कहाँ बनाएगा?” यह प्रश्न न सिर्फ शारीरिक थकान बल्कि मानसिक थकान और अनिश्चितता को भी दर्शाता है।
- ‘अब और कितनी दूर चलना है, पर्णकुटी कहाँ बनाइएगा’ – किसने किससे पूछा और क्यों?
उत्तर : यह प्रश्न सीता जी ने राम जी से पूछा था।
यह प्रश्न उन्होंने दो कारणों से पूछा:
1. थकान: नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने के बाद ही सीता जी थक गई थीं। उनके माथे पर पसीने की बूंदें उभर आईं और उनके मधुर होंठ सूख गए।
2. अनिश्चितता: उन्हें नहीं पता था कि उन्हें कितनी दूर चलना होगा और पर्णकुटी कहाँ बनानी होगी। वनवास की कठिनाइयों और अनिश्चित भविष्य ने उन्हें निराश कर दिया था।
- राम ने थकी हुई सीता की क्या सहायता की ?
उत्तर :राम ने थकी हुई सीता की सहायता के लिए निम्नलिखित कार्य किए:
1. छाया ढूंढना: जब राम जी ने देखा कि सीता जी थक गई हैं, तो उन्होंने उन्हें आराम करने के लिए छाया ढूंढी।
2. चरणों से कांटे निकालना: गर्म रेत में चलने से सीता जी के पैरों में कांटे चुभ गए थे। राम जी ने बैठकर देर तक उनके पैरों से कांटे निकाले।
3. फल तोड़ना: सीता जी प्यासी थीं। राम जी ने शीघ्र फल तोड़कर लाए और उनके मधुर होंठों को तर किया।
4. प्रोत्साहन देना: राम जी ने सीता जी को वनवास के कष्टों का सामना करने के लिए प्रोत्साहित किया।
यह सवैया राम जी और सीता जी के प्रेम और समर्पण को दर्शाता है। राम जी सीता जी की देखभाल करते हैं और उनकी चिंता करते हैं। सीता जी राम जी पर भरोसा करती हैं और उनसे प्रेरणा ढूंढती हैं।
- दोनों सवैयों के प्रसंगों में अंतर स्पष्ट करो।
उत्तर : पहला सवैया:
- यह सवैया सीता जी की थकान और निराशा को दर्शाता है।
- नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने के बाद ही सीता जी थक जाती हैं।
- वे राम जी से पूछती हैं कि उन्हें आगे कब पर्णकुटी बनानी है।
- यह सवैया सीता जी की मानवीय भावनाओं को दर्शाता है।
दूसरा सवैया:
- यह सवैया राम जी और सीता जी के प्रेम और समर्पण को दर्शाता है।
- राम जी सीता जी की देखभाल करते हैं और उनकी चिंता करते हैं।
- वे सीता जी के पैरों से कांटे निकालते हैं और उन्हें फल खिलाते हैं।
- यह सवैया पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, समर्पण और विश्वास का महत्व दर्शाता है।
दोनों सवैयों के बीच मुख्य अंतर:
- पहला सवैया सीता जी की थकान और निराशा पर केंद्रित है, जबकि दूसरा सवैया राम जी और सीता जी के प्रेम और समर्पण पर केंद्रित है।
- पहले सवैया में सीता जी की मानवीय भावनाएं उभरकर सामने आती हैं, जबकि दूसरे सवैया में राम जी और सीता जी के बीच पति-पत्नी का प्रेम दर्शाया गया है।
- पाठ के आधार पर वन के मार्ग का वर्णन अपने शब्दों में करो।
उत्तर : वन के मार्ग में सवैया अध्याय के आधार पर, वन का रास्ता बहुत ही कठिन और दुर्गम था। यह ऊंचा-नीचा, पथरीला, और कांटों से भरा हुआ था। बड़े-बड़े पेड़ों के साथ-साथ रास्ते में कांटेदार झाड़ियाँ भी थीं। तेज धूप के कारण रास्ते की धूल गर्म हो गई थी, जिससे पैर जल रहे थे। जंगली जानवरों का डर भी बना हुआ था।
इस पाठ से हमें पता चलता है कि वन का रास्ता न सिर्फ शारीरिक रूप से थका देने वाला था, बल्कि मानसिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण था।
हालाँकि, यह सवैया सिर्फ कठिनाइयों का ही वर्णन नहीं करता है, बल्कि राम और सीता के प्रेम और समर्पण को भी दर्शाता है। वे एक-दूसरे का सहारा बनकर इस कठिन रास्ते का सामना करते हैं।
इससे हमें सीखने को मिलता है कि जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। प्रेम और एक-दूसरे के सहयोग से हम कठिनाइयों को पार कर सकते हैं।
प्रश्न 2.अनुमान और कल्पना
- गरमी के दिनों में कच्ची सड़क की तपती धूल में नंगे पाँव चलने पर पाँव जलते हैं। ऐसी स्थिति में पेड़ की छाया में खड़ा होने और पाँव धो लेने पर बड़ी राहत मिलती है। ठीक वैसे ही जैसे प्यास लगने पर पानी मिल जाए और भूख लगने पर भोजन। तुम्हें भी किसी वस्तु की आवश्यकता हुई होगी और वह कुछ समय बाद पूरी हो गई होगी। तुम सोचकर लिखो कि तुम्हारे मन की दशा कैसी थी ?
उत्तर : मेरा अनुभव:
मुझे याद है जब मैं एक बार गर्मी के दिनों में नंगे पाँव ही स्कूल जा रहा था। रास्ते में कच्ची सड़क की तपती धूल से मेरे पैर जलने लगे थे। मैं बहुत थक गया था और आगे चलने में मुझे बहुत मुश्किल हो रही थी।
तभी रास्ते में मुझे एक पेड़ दिखाई दिया। मैं पेड़ की छाया में खड़ा हो गया और अपने पैरों को पानी से धो लिया। ठंडी हवा और पानी की ठंडक से मुझे बहुत राहत मिली।
मेरे मन की दशा:
जब मेरे पैर जल रहे थे, तब मैं बहुत परेशान था। मुझे लग रहा था कि मैं आगे नहीं चल पाऊंगा।
लेकिन जब मैंने पेड़ की छाया में खड़ा होकर अपने पैरों को धो लिया, तो मुझे बहुत राहत मिली। मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मुश्किल काम पूरा हो गया हो।
इस अनुभव से मैंने सीखा:
इस अनुभव से मैंने सीखा कि जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन हमें हार नहीं माननी चाहिए।
Ncert Solutions for Class 6 Hindi Chapter 14
FAQ’s
Class 6 Hindi Chapter 14 का मुख्य संदेश क्या है?
Class 6 Hindi Chapter 14 का मुख्य संदेश है कि वन के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों का सामना धैर्य, साहस और आत्मविश्वास के साथ करना चाहिए।
Class 6 Hindi Chapter 14 में ‘वन के मार्ग में’ का क्या अर्थ है?
Class 6 Hindi Chapter 14 में ‘वन के मार्ग में’ का अर्थ है जंगल के रास्ते में आने वाली चुनौतियाँ और उन पर विजय पाने का साहस।
‘वन के मार्ग में’ पाठ से हमें क्या सीख मिलती है?
‘वन के मार्ग में’ पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि हमें जीवन की कठिनाइयों का सामना धैर्य और साहस के साथ करना चाहिए और कभी हार नहीं माननी चाहिए।
Class 6 Hindi Chapter 14 के ‘वन के मार्ग में’ पाठ का सारांश क्या है?
Class 6 Hindi Chapter 14 का ‘वन के मार्ग में’ पाठ एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो जंगल के कठिन रास्ते पर चलकर अपने लक्ष्य तक पहुँचता है, जो साहस और धैर्य का प्रतीक है।