आश्रम का अनुमानित व्यय

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class 7 hindi chapter 15

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15

गांधीजी ने अपने आश्रम के लिए कई तरह की चीजों की सूची बनाई थी। इसमें खाने-पीने का सामान, कपड़े, बर्तन, साबुन, तेल, औजार आदि शामिल थे। उन्होंने यह भी ध्यान रखा था कि आश्रम में रहने वाले लोगों को किस तरह की सुविधाएं मिलेंगी।

आश्रम का संचालन

गांधीजी चाहते थे कि आश्रम के सभी काम स्वयं के लोगों द्वारा किए जाएं। उन्होंने आश्रम में खेती करने, कपड़े बुनने, बर्तन बनाने आदि की व्यवस्था की थी। इस तरह, आश्रम आत्मनिर्भर बन सकता था।

आश्रम का महत्व

गांधीजी के आश्रम का महत्व सिर्फ एक जगह रहने तक सीमित नहीं था। यह एक ऐसा स्थान था जहां लोग एक साथ रहकर, काम करके और सीखकर एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते थे। गांधीजी ने आश्रम को एक प्रयोगशाला के रूप में देखा था जहां वे अपने विचारों को साकार कर सकते थे।

हम क्या सीख सकते हैं

इस पाठ से हम सीखते हैं कि:

  • स्वावलंबन: हमें अपने काम खुद करने चाहिए और दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
  • सादगी: हमें एक सरल जीवन जीना चाहिए और अनावश्यक चीजों का त्याग करना चाहिए।
  • समाज सेवा: हमें समाज के लिए कुछ करने की कोशिश करनी चाहिए।
  • योगदान: हमें अपने समुदाय के विकास में योगदान देना चाहिए।

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लेखा-जोखा

1. हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। लेकिन गांधी जी पेशेवर कारीगरों के उपयोग में आनेवाले औज़ार- छेनी, हथौड़े, बसूले इत्यादि क्यों खरीदना चाहते होंगे ?

उत्तर :

गांधीजी ने अपने आश्रम के लिए छेनी, हथौड़े, बसूले जैसे औजार इसलिए खरीदना चाहते थे क्योंकि वे चाहते थे कि आश्रम के लोग आत्मनिर्भर बनें और अपने दैनिक जीवन में आवश्यक चीजें खुद बना सकें। उनका मानना था कि दूसरों पर निर्भर रहने की बजाय खुद से काम करना अधिक बेहतर है।

गांधीजी चाहते थे कि आश्रम में रहने वाले लोग खेती करें, कपड़े बुनें, बर्तन बनाएं और अन्य आवश्यक कार्य स्वयं करें। इन कार्यों को करने के लिए इन औजारों की आवश्यकता होती है। इस तरह, आश्रम के लोग न केवल अपनी आजीविका खुद कमा सकते थे बल्कि वे एक स्वस्थ और स्वावलंबी जीवन भी जी सकते थे।

2. गांधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उनपर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गांधी जी की चुस्ती का पता चलता है।

उत्तर :

गांधीजी एक कुशल प्रशासक थे। उन्होंने सत्य और अहिंसा के साथ-साथ स्वच्छता और व्यवस्था को भी महत्व दिया। आश्रम और कांग्रेस के संचालन में उन्होंने हिसाब-किताब रखने पर जोर दिया। उनकी जीवनी और पत्रों से यह स्पष्ट होता है कि वे हर पैसे का सही इस्तेमाल होने की पुष्टि करते थे।

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3. मान लीजिए, आपको कोई बाल आश्रम खोलना है। इस बजट से प्रेरणा लेते हुए उसका अनुमानित बजट बनाइए । इस बजट में दिए गए किन-किन मदों पर आप कितना खर्च करना चाहेंगे। किन नयी मदों को जोड़ना हटाना चाहेंगे?

उत्तर :

गांधीजी ने अपने आश्रम के लिए एक विस्तृत बजट तैयार किया था, जिसमें उन्होंने सभी आवश्यक खर्चों का ध्यान रखा था। इस बजट से प्रेरित होकर, एक बाल आश्रम के लिए भी एक विस्तृत बजट तैयार किया जा सकता है।

इस बजट में बच्चों के भोजन, कपड़ों, शिक्षा, स्वास्थ्य, रहने की व्यवस्था, और मनोरंजन जैसी सभी आवश्यकताओं को शामिल किया जाना चाहिए। इसके अलावा, आश्रम के रख-रखाव, कर्मचारियों के वेतन, और अन्य प्रशासनिक खर्चों का भी ध्यान रखना होगा।

बजट में लचीलापन होना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि आश्रम की जरूरतें समय के साथ बदल सकती हैं। इसलिए, बजट को नियमित रूप से समीक्षा किया जाना चाहिए और आवश्यक बदलाव किए जाने चाहिए।

आश्रम के लिए धन जुटाने के लिए विभिन्न स्रोतों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि दान, सरकारी अनुदान, और स्वयंसेवकों की मदद। इसके अलावा, आश्रम में उत्पादित वस्तुओं को बेचकर भी आय अर्जित की जा सकती है।

4. इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं?

उत्तर :

बजट का गहन विश्लेषण हमें आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। आश्रम के बजट में विभिन्न मदों पर किए जाने वाले खर्चों का विस्तृत विवरण होता है। इन मदों में भोजन, कपड़े, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, और सांस्कृतिक गतिविधियों जैसे विभिन्न क्षेत्रों को शामिल किया जाता है।

बजट का विश्लेषण हमें आश्रम के मूल्यों और प्राथमिकताओं को समझने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, यदि बजट में शिक्षा और कौशल विकास पर अधिक ध्यान दिया जाता है, तो यह संकेत करता है कि आश्रम आश्रमवासियों को शिक्षित और सशक्त बनाने पर केंद्रित है। इसी तरह, यदि स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक खर्च किया जाता है, तो यह संकेत करता है कि आश्रम आश्रमवासियों के स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देता है।

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भाषा की बात

1. अनुमानित शब्द अनुमान में इत प्रत्यय जोड़कर बना है। इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का न नित में परिवर्तित हो जाता है। नीचे – इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-

प्रमाणित ,व्यथित ,द्रवित, मुखरित, झंकृत, शिक्षित, मोहित, चर्चित

इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और तब शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है, जैसे- सप्ताह + इक साप्ताहिक । नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-

मौखिक

नैतिक

संवैधानिक

प्राथमिक

पौराणिक

दैनिक

उत्तर :

प्रमाणित: मूल शब्द प्रमाण है। प्रमाणित का अर्थ है – जिसकी सत्यता सिद्ध हो चुकी हो या जिस पर विश्वास किया जा सके।

व्यथित: मूल शब्द व्यथा है। व्यथित का अर्थ है – दुखी, पीड़ित।

द्रवित: मूल शब्द द्रव है। द्रवित का अर्थ है – पिघला हुआ, तरल।

मुखरित: मूल शब्द मुखर है। मुखरित का अर्थ है – जोर से बोलने वाला, जोर से गाने वाला।

झंकृत: मूल शब्द झंकार है। झंकृत का अर्थ है – झंकार से भरा हुआ, बजने वाला।

शिक्षित: मूल शब्द शिक्षा है। शिक्षित का अर्थ है – शिक्षा प्राप्त करने वाला, पढ़ा-लिखा।

मोहित: मूल शब्द मोह है। मोहित का अर्थ है – मोहित होना, आकर्षित होना।

चर्चित: मूल शब्द चर्चा है। चर्चित का अर्थ है – जिसके बारे में बहुत बात की जा रही हो, प्रसिद्ध।

मौखिक: मूल शब्द “मुख” है। जब हम इसमें ‘इक’ प्रत्यय जोड़ते हैं, तो ‘मुख’ बदलकर ‘मौख’ हो जाता है और इसका अर्थ बनता है – मुंह से बोला गया, मौखिक।

नैतिक: मूल शब्द “नीति” है। ‘इक’ प्रत्यय जोड़ने पर ‘नीति’ बदलकर ‘नैतिक’ हो जाता है और इसका अर्थ बनता है – चरित्र से संबंधित, नैतिकता से संबंधित।

संवैधानिक: मूल शब्द “संविधान” है। ‘इक’ प्रत्यय जोड़ने पर ‘संविधान’ बदलकर ‘संवैधानिक’ हो जाता है और इसका अर्थ बनता है – संविधान से संबंधित।

प्राथमिक: मूल शब्द “प्राथम” है। ‘इक’ प्रत्यय जोड़ने पर ‘प्राथम’ बदलकर ‘प्राथमिक’ हो जाता है और इसका अर्थ बनता है – सबसे पहला, आदिम।

पौराणिक: मूल शब्द “पुराण” है। ‘इक’ प्रत्यय जोड़ने पर ‘पुराण’ बदलकर ‘पौराणिक’ हो जाता है और इसका अर्थ बनता है – पुराणों से संबंधित, प्राचीन कथाओं से संबंधित।

दैनिक: मूल शब्द “दिन” है। ‘इक’ प्रत्यय जोड़ने पर ‘दिन’ बदलकर ‘दैनिक’ हो जाता है और इसका अर्थ बनता है – प्रतिदिन होने वाला, रोजमर्रा का।

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FAQ’s

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 गांधीजी ने अपने आश्रम में औज़ार जैसे छेनी, हथौड़ा और बसूला क्यों खरीदे थे?

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 गांधीजी चाहते थे कि आश्रमवासी आत्मनिर्भर बनें और अपने दैनिक काम स्वयं करें। इसलिए उन्होंने औज़ार खरीदे ताकि लोग खेती, बुनाई और बर्तन बनाने जैसे कार्य खुद कर सकें।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 गांधीजी के आश्रम का मुख्य उद्देश्य क्या था?

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 गांधीजी का आश्रम केवल रहने की जगह नहीं था, बल्कि यह एक शिक्षा और स्वावलंबन की प्रयोगशाला थी, जहाँ लोग साथ मिलकर काम करना, सादगी से रहना और समाज की सेवा करना सीखते थे।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 इस पाठ से हमें क्या सीख मिलती है?

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 इस पाठ से हमें स्वावलंबन, सादगी, समाज सेवा और समुदाय के विकास में योगदान देने जैसी बातें सीखने को मिलती हैं।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 आश्रम के बजट से हमें क्या जानकारी मिलती है?

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 बजट से पता चलता है कि आश्रम में रहने वालों की आवश्यकताओं—जैसे भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य और कपड़ों—का पूरा ध्यान रखा जाता था। यह भी दिखाता है कि गांधीजी हर खर्च का हिसाब सावधानी से रखते थे।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 अनुमानित’ शब्द किससे बना है और इसका क्या अर्थ है?

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 ‘अनुमानित’ शब्द ‘अनुमान’ में ‘इत’ प्रत्यय जोड़ने से बना है। इसका अर्थ है — किसी बात का अनुमान लगाकर तय किया गया या अनुमान पर आधारित।