गजल

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ग़ज़ल: काव्यात्मक अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम

ग़ज़ल, मूलतः अरबी-फ़ारसी में जन्मी, अब हिंदी और उर्दू साहित्य का एक अभिन्न अंग है. इसकी पहचान इसके स्वतंत्र शेरों से होती है, जहाँ प्रत्येक शेर एक मुकम्मल विचार या भावना को दर्शाता है. इसमें अक्सर प्रेम, विरह, दर्द और जीवन की सच्चाइयों को काव्यात्मक ढंग से पिरोया जाता है. उर्दू-फ़ारसी शब्दों का उपयोग इसकी भाषा को एक विशेष सौंदर्य प्रदान करता है.

ग़ज़ल की संगीतबद्धता उसके बहर (मीटर) और क़ाफ़िया (तुकबंदी) से आती है. मीर, ग़ालिब, और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ जैसे स्थापित ग़ज़लकारों के साथ-साथ, दुष्यंत कुमार और बशीर बद्र जैसे आधुनिक कवियों ने इसे सामाजिक और राजनीतिक विषयों से जोड़कर इसकी प्रासंगिकता बढ़ाई है.

संक्षेप में, ग़ज़ल केवल निजी भावनाओं ही नहीं, बल्कि सामाजिक वास्तविकताओं को भी प्रभावी ढंग से व्यक्त करने का एक शक्तिशाली माध्यम है. यह छात्रों को भाषा की सूक्ष्मताओं और गहन भावों को व्यक्त करने की कला से परिचित कराता है.

                                                 पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न

गजल के साथ
1)आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है। क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है। समझाकर लिखें।

उत्तर:गुलमोहर: आशा और समानता का प्रतीक

गुलमोहर का गहरा लाल रंग, पतझड़ के बाद खिलकर, हमें याद दिलाता है कि मुश्किलों के बाद हमेशा अच्छे दिन आते हैं। यह उन सभी दबी हुई आवाजों और न्याय की उम्मीदों का भी प्रतीक है, जो एक बेहतर और समान दुनिया का सपना देखती हैं। यह जानकर बहुत खुशी हुई कि हम प्रकृति के इस अद्भुत संदेश को एक ही नज़र से देख पा रहे हैं।

2)पहले शेर में ‘चिराग’ शब्द एक बार बहुवचन में आया है और दूसरी बार एकवचन में। अर्थ एवं काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से इसका क्या महत्व है?

उत्तर:‘चिराग’ शब्द का पहले शेर में बहुवचन में प्रयोग ‘दीयों’ या ‘रोशनी’ के लिए हुआ है, जो अधिक व्यापकता और बहुलता को दर्शाता है। वहीं, दूसरी बार एकवचन में ‘चिराग’ का प्रयोग किसी विशेष व्यक्ति, आशा या एक अद्वितीय प्रकाश स्रोत के लिए किया गया है।

अर्थ की दृष्टि से महत्व: यह प्रयोग कवि को एक ही शब्द के माध्यम से सामान्य से विशेष की ओर जाने की सुविधा देता है। बहुवचन में यह समाज या देश की समग्र स्थिति को दर्शाता है, जहाँ रोशनी की कमी है, वहीं एकवचन में यह किसी एक व्यक्ति या किसी एक आशा की किरण को इंगित करता है जो उस अंधकार में भी मौजूद है।

काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से महत्व: यह शाब्दिक पुनरावृत्ति (pun) और विरोधाभास (contrast) का एक सुंदर उदाहरण है। यह शेर को गहरा अर्थ प्रदान करता है और पाठक को सोचने पर मजबूर करता है। एक ही शब्द के दो भिन्न रूपों में प्रयोग से शेर में नवीनता आती है और वह अधिक प्रभावशाली बन जाता है। यह भाषा की सूक्ष्मता और कवि की अभिव्यक्ति कौशल को दर्शाता है।

3)गजल के तीसरे शेर को गौर से पढ़ें। यहाँ दुष्यंत का इशारा किस तरह के लोगों की ओर है?

उत्तर:दुष्यंत कुमार उन सत्तासीन लोगों पर कटाक्ष करते हैं जो जनता के हितों की अनदेखी कर सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने और स्वार्थ साधने में लीन रहते हैं, जबकि आम जनता समस्याओं से घिरी रहती है।

4)आशय स्पष्ट करें:

तेरा निजाम है सिल दे जुबान शायर की,

ये एहतियात जरूरी है इस बहर के लिए।

उत्तर:आशय स्पष्टीकरण

इस शेर में शायर कहता है कि “तेरा निज़ाम है सिल दे ज़ुबान शायर की” – यानी, तुम्हारा शासन है, तुम चाहो तो शायर की ज़ुबान बंद कर दो या सिल दो।

अगली पंक्ति “ये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए” में “बहर” का अर्थ है छंद या काव्य की शैली। यहां, बहर को व्यापक अर्थ में ‘दुनिया’ या ‘समाज’ के संदर्भ में भी देखा जा सकता है।

समग्र रूप से, शायर यह कहना चाहता है कि शासक या सत्ताधारी लोग अपनी व्यवस्था बनाए रखने के लिए शायरों और कवियों की आवाज़ को दबाने की कोशिश करते हैं, क्योंकि शायर समाज की सच्चाई और अपनी भावनाओं को अपनी शायरी के माध्यम से व्यक्त करते हैं, जो अक्सर सत्ता के लिए असहज हो सकता है। शायर व्यंग्यात्मक ढंग से यह भी कह रहा है कि शायरों की आवाज़ को दबाना सत्ता के लिए एक ‘ज़रूरी एहतियात’ (आवश्यक सावधानी) है, ताकि उनकी सत्ता और व्यवस्था बनी रहे। यह एक तरह से सत्ता के दमनकारी रवैये पर तंज़ (व्यंग्य) है।

गजल के आस-पास

1)दुष्यंत की इस गजल का मिजाज बदलाव के पक्ष में है। इस कथन पर विचार करें।

उत्तर:दुष्यंत कुमार की ग़ज़लें बदलाव की प्रेरणा हैं। वे मौजूदा व्यवस्था की कमियों को उजागर करती हैं और बेहतर भविष्य की कल्पना करती हैं। उनकी शायरी में आम आदमी का दर्द झलकता है, और वे लोगों को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित करते हैं।

उनकी पंक्तियाँ, जैसे “हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए”, सामाजिक परिवर्तन का सीधा आह्वान हैं। वहीं, “कहाँ तो तय था चरागाँ हर एक घर के लिए, कहाँ चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए” जैसी पंक्तियाँ सिस्टम की नाकामियों को दर्शाती हैं।

संक्षेप में, दुष्यंत कुमार की ग़ज़लें केवल कविताएँ नहीं, बल्कि समाज को जगाने और परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ने का एक सशक्त माध्यम हैं। उनका लेखन आज भी उतना ही प्रासंगिक है।

2)‘हमको मालूम है जनत की हकीकत लेकिन

दिल के खुश रखने को गालिब ये खयाल अच्छा है”

दुष्यंत की गजल का चौथा शेर पढ़ें और बताएँ कि गालिब के उपर्युक्त शेर से वह किस तरह जुड़ता है?

उत्तर:ग़ालिब का शेर व्यक्तिगत सुख की कल्पना को महत्व देता है, जबकि दुष्यंत कुमार समाज की कड़वी सच्चाई उजागर करते हैं। ग़ालिब मन को खुश रखने की बात करते हैं, जबकि दुष्यंत व्यवस्था की विफलता पर चोट करते हैं। दोनों ही यथार्थ और कल्पना के अंतर को दिखाते हैं, पर दुष्यंत की भाषा अधिक तीखी और प्रहारक है।