पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा रचित निबंध “भारत माता” उनकी प्रसिद्ध पुस्तक “हिंदुस्तान की कहानी” का एक महत्वपूर्ण अंश है। इस निबंध में, नेहरू जी ने भारत की एकता और अखंडता को गहनता से समझाया है, और “भारत माता की जय” के नारे के वास्तविक अर्थ को स्पष्ट करने का प्रयास किया है।
भारत माता की पहचान
नेहरू जी अक्सर देश के कोने-कोने में, विशेषकर गाँवों में, सभाओं को संबोधित करते थे। इन सभाओं में लोग उत्साहपूर्वक “भारत माता की जय” के नारे लगाते थे। नेहरू जी अक्सर इस नारे के अर्थ और इस भारत माता की पहचान पर विचार करते थे। वे किसानों से इस विषय पर चर्चा करते थे, पर अक्सर किसान इस शब्द के गहरे अर्थ को समझ नहीं पाते थे। कुछ किसान इसे केवल अपनी धरती मानते थे, जबकि कुछ अपने गाँव या जिले की भूमि को।
नेहरू जी ने किसानों को सरल शब्दों में समझाया कि भारत माता केवल किसी एक स्थान की धरती, नदी, पहाड़ या जंगल नहीं है। यह पूरा हिंदुस्तान है, और इसमें निवास करने वाले करोड़ों-करोड़ लोग ही असली भारत माता हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के सभी हिस्सों के किसानों की समस्याएँ एक समान हैं – गरीबी, कर्ज, पूंजीपतियों और ज़मींदारों का शोषण, अत्यधिक लगान, पुलिस का अत्याचार और विदेशी सरकार का शासन। इन सभी समस्याओं से मुक्ति पाना ही वास्तविक स्वराज है।
दृष्टिकोण का विस्तार
नेहरू जी अपनी यात्राओं के दौरान किसानों को देश-विदेश की घटनाओं के बारे में भी बताते थे। उनका उद्देश्य किसानों की सोच को केवल अपने गाँव तक सीमित न रखकर पूरे देश और दुनिया तक फैलाना था। उनका दृढ़ विश्वास था कि जब किसान यह समझ जाएँगे कि वे भी भारत माता का ही अभिन्न अंग हैं और उनकी समस्याएँ पूरे देश की समस्याएँ हैं, तभी वे एकजुट होकर स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर पाएँगे।
राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति का संदेश
कुल मिलाकर, इस पाठ का मुख्य उद्देश्य भारत की राष्ट्रीय एकता, देशभक्ति और एक व्यापक विश्व दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है। नेहरू जी ने बड़ी सरलता से यह संदेश दिया है कि भारत माता कोई अमूर्त अवधारणा नहीं, बल्कि यहाँ के जन-गण-मन का सामूहिक स्वरूप है। यह निबंध हमें सिखाता है कि हमारी पहचान केवल हमारे गाँव या क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि हम सभी एक बड़े, एकजुट भारत का हिस्सा हैं।
पाठ के साथ
1)भारत की चर्चा नेहरू जी कब और किससे करते थे?
उत्तर:जवाहरलाल नेहरू ने 1920-1930 के दशक में जेल से अपनी बेटी इंदिरा को कई पत्र लिखे थे. इन पत्रों में उन्होंने इतिहास, विज्ञान और समाज से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर इंदिरा को ज्ञान दिया. बाद में इन पत्रों को “पिता के पत्र पुत्री के नाम” नामक पुस्तक के रूप में संकलित किया गया.
यह किताब बच्चों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, क्योंकि इसमें जटिल विषयों को भी सरल और सुबोध भाषा में समझाया गया है, जिससे बच्चे आसानी से ज्ञान प्राप्त कर सकें.
2)नेहरू जी भारत के सभी किसानों से कौन-सा प्रश्न बार-बार करते थे?
नेहरू जी भारत के सभी किसानों से बार-बार यह प्रश्न करते थे कि “भारत माता की जय” नारे का क्या अर्थ है? वे उनसे पूछते थे कि यह भारत माता कौन हैं, जिसकी वे जय चाहते हैं? वे यह भी पूछते थे कि कौन सी धरती को वे ‘भारत माता’ कहते हैं – उनके अपने गाँव की धरती को, जिले की, सूबे की या पूरे हिंदुस्तान की धरती को?
उत्तर:नेहरू जी किसानों से अक्सर पूछते थे: “भारत माता की जय का मतलब क्या है? यह ‘भारत माता’ कौन हैं – क्या वह तुम्हारे गाँव, जिले, प्रांत या पूरे देश की धरती है?”
3)दुनिया के बारे में किसानों को बताना नेहरू जी के लिए क्यों आसान था?
उत्तर:नेहरू जी के लिए किसानों को दुनिया के बारे में बताना इसलिए आसान था क्योंकि वे खुद किसानों से गहरा लगाव रखते थे और उनकी समस्याओं को समझते थे। वे जानते थे कि किसानों को सिर्फ उनके खेत-खलिहान की बातें ही नहीं, बल्कि दुनिया की बड़ी-बड़ी बातें भी सरल भाषा में समझाई जा सकती हैं।वे मानते थे कि किसान सिर्फ अपने गांव-देहात तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि वे देश और दुनिया से भी जुड़े हुए हैं। वे उन्हें यह समझा पाते थे कि कैसे उनका काम, उनका संघर्ष, पूरे देश और दुनिया के बड़े बदलावों से जुड़ा हुआ है। उनकी भाषा सरल और सुबोध होती थी, जिससे किसान आसानी से उनकी बातें समझ पाते थे।
4)किसान सामान्यत: भारत माता का क्या अर्थ लेते थे?
उत्तर:किसान भारत माता को धरती और मिट्टी का प्रतीक मानते थे। उनके लिए यह देश की उपजाऊ भूमि, फसलें और प्रकृति से जुड़ा एक पवित्र भाव था। भारत माता का चित्रण अक्सर खेतों, नदियों और हरियाली के रूप में होता था, जो उनकी आजीविका और सम्मान का आधार था।
5)भारत माता के प्रति नेहरू जी की वया अवधारणा थी?
उत्तर:नेहरू जी के लिए ‘भारत माता’ एक राष्ट्रीय प्रतीक थीं, जो देश की जनता, संस्कृति और भूमि को दर्शाती थीं। वे इसे किसी धार्मिक देवी नहीं, बल्कि सभी भारतीयों की एकता और आज़ादी का प्रतीक मानते थे। उनके अनुसार, भारत माता की सेवा का मतलब गरीबों और पीड़ितों की मदद करना था। नेहरू जी का नज़रिया धर्मनिरपेक्ष और समावेशी था, जहाँ सभी धर्मों और संस्कृतियों को सम्मान दिया जाता था।
6)आजादी से पूर्व किसानों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता था?
उत्तर:भारत की स्वतंत्रता से पूर्व, किसानों के लिए जीवन अत्यंत कष्टप्रद था. ब्रिटिश शासन, ऊंची लगान और ज़मींदारी प्रथा ने उनकी कमर तोड़ दी थी. वे हमेशा कर्ज के बोझ तले दबे रहते थे.
प्रमुख चुनौतियां
- भारी लगान और कर: किसानों को अपनी आय का बड़ा हिस्सा लगान और विभिन्न करों के रूप में चुकाना पड़ता था, जिससे वे कभी कर्ज से मुक्त नहीं हो पाते थे.
- ज़मींदारी प्रथा: ज़मींदार किसानों की ज़मीनों के मालिक थे और किसान केवल खेतिहर मज़दूर बनकर रह गए थे. उन्हें अपनी मेहनत का उचित फल कभी नहीं मिलता था.
- सिंचाई का अभाव: सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण किसान पूरी तरह बारिश पर निर्भर थे. सूखे की स्थिति में उनकी फसलें बर्बाद हो जाती थीं और भुखमरी का सामना करना पड़ता था.
- पुरानी कृषि तकनीकें: आधुनिक बीजों, खाद और उपकरणों के अभाव में उनकी पैदावार बहुत कम होती थी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ जाती थी.
- बाजार की अनुपलब्धता: किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए उचित बाजार नहीं मिलते थे. बिचौलिये उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर कम दामों में उनकी उपज खरीद लेते थे.
- साहूकारी कर्ज: आर्थिक तंगी के कारण किसान साहूकारों से ऊंचे ब्याज पर कर्ज लेने को मजबूर थे, जिससे वे कर्ज के जाल में फंस जाते थे.
- ब्रिटिश नीतियां: ब्रिटिश सरकार की नीतियां किसानों के हित में नहीं थीं. उनका मुख्य उद्देश्य केवल राजस्व एकत्र करना था, जिससे किसानों का शोषण बढ़ता गया.
यह कालखंड भारतीय किसानों के लिए एक अंधकारमय अध्याय था. स्वतंत्रता के बाद ही उनकी स्थिति में सुधार आना शुरू हुआ, जो उनके संघर्ष और बलिदान का परिणाम था.
पाठ के आस-पास
1)आजादी से पहले भारत-निर्माण को लेकर नेहरू के क्या सपने थे? क्या आज़ादी के बाद वे साकार हुए? चर्चा कीजिए।
उत्तर:आजादी से पहले पंडित नेहरू का सपना था कि भारत एक आधुनिक, समृद्ध और समानता पर आधारित देश बने। वे चाहते थे कि भारत वैज्ञानिक सोच, औद्योगिक विकास और सामाजिक न्याय की दिशा में आगे बढ़े। उन्होंने गरीबी, अशिक्षा और साम्प्रदायिकता को दूर करने की कल्पना की थी।
आजादी के बाद नेहरू ने इन सपनों को साकार करने के लिए कई कदम उठाए, जैसे—पंचवर्षीय योजनाएँ, भारी उद्योगों की स्थापना, शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति। हालाँकि, गरीबी और असमानता पूरी तरह दूर नहीं हुई, लेकिन उन्होंने भारत को एक मजबूत लोकतांत्रिक और आधुनिक राष्ट्र बनाने की नींव रखी।
2)भारत के विकास को लेकर आप क्या सपने देखते हैं?
उत्तर:भारत का भविष्य उज्ज्वल और समृद्ध हो, यह हम सभी की साझी इच्छा है। हम चाहते हैं कि हमारा देश ऐसा हो जहाँ हर व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने के समान अवसर मिलें। इसके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ होना ज़रूरी है। अच्छी शिक्षा प्रणाली से युवाओं को सही दिशा मिलेगी, और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ लोगों को स्वस्थ और सक्षम बनाएँगी।
आर्थिक प्रगति भी हमारी प्राथमिकता है, क्योंकि यह देश के विकास का आधार है। लेकिन हम यह भी चाहते हैं कि विकास के साथ-साथ पर्यावरण का संरक्षण भी हो। प्रौद्योगिकी का सही उपयोग करके हम प्रकृति को नुकसान पहुँचाए बिना तरक्की कर सकते हैं। साथ ही, हमारी समृद्ध संस्कृति और परंपराएँ हमारी पहचान हैं, इसलिए इन्हें संजोकर रखना भी ज़रूरी है।
हमारा सपना एक ऐसा भारत बनाने का है जहाँ हर नागरिक सुरक्षित, खुशहाल और सशक्त हो। ऐसा समाज जहाँ हर किसी को अपने सपने पूरे करने का मौका मिले और देश निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़े। यह तभी संभव है जब हम सभी मिलकर एकजुट होकर काम करें।
3)आपकी दृष्टि में भारत माता और हिंदुस्तान की क्या संकल्पना है? बताइए।
उत्तर:“भारत माता” और “हिंदुस्तान” दोनों हमारी मातृभूमि के लिए गहरे अर्थ रखते हैं।
भारत माता हमारी पवित्र जननी हैं, जो हमें देशभक्ति और एकता की प्रेरणा देती हैं। वे हमारी सांस्कृतिक विरासत और मूल्यों का प्रतीक हैं, जो हमें एक सूत्र में बांधे रखते हैं।
हिंदुस्तान हमारी विविधताओं से भरी भूमि का नाम है, जहाँ सभी धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों के लोग सद्भाव से रहते हैं। यह हमारी गौरवशाली परंपराओं और स्वतंत्रता का प्रतीक है, जो हमें हमेशा अपने देश पर गर्व करने की याद दिलाता है।
संक्षेप में, भारत माता हमारी मातृभूमि की आत्मा हैं, जबकि हिंदुस्तान उसकी भौतिक पहचान और विविधता को दर्शाता है। दोनों ही हमें अपनी विरासत और एकता पर गर्व करने की प्रेरणा देते हैं।
4)वर्तमान समय में किसानों की स्थिति किस सीमा तक बदली है? चर्चा कर लिखिए।
उत्तर:किसानों की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है, जैसे सरकारी योजनाएँ (किसान सम्मान निधि, फसल बीमा) से आर्थिक मदद मिली है। लेकिन कर्ज़, मौसम की मार और फसलों का सही दाम न मिलना जैसी दिक्कतें अब भी हैं। किसानों को आधुनिक तकनीक और बेहतर बाजार की ज़रूरत है। अभी और कोशिशें करनी होंगी तभी पूरी तरह सुधार हो पाएगा।
5)आजादी से पूर्व अनेक नारे प्रचलित थे। किन्हीं दस नारों का संकलन करें और संदर्भ भी लिखें।
उत्तर:स्वतंत्रता संग्राम के ये नारे महज़ शब्द नहीं, बल्कि हर भारतीय के दिल में धधकती आज़ादी की आग थे। ‘वन्दे मातरम्’ ने देशप्रेम जगाया, ‘इंकलाब ज़िंदाबाद’ क्रांति का नारा बना, ‘जय हिन्द!’ पहचान बन गया, और ‘करो या मरो!’ ने अंतिम संघर्ष का आह्वान किया।
‘तुम मुझे खून दो…’ के जोशीले आह्वान पर युवा कुर्बान होने को तैयार थे, ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ आज़ादी का लक्ष्य था। ‘सरफ़रोशी की तमन्ना…’ बलिदान की भावना थी, और ‘सारे जहाँ से अच्छा…’ देश की एकता का गान।
‘साइमन गो बैक!’ विदेशी हुकूमत के खिलाफ़ आवाज़ थी, और ‘दिल्ली चलो!’ विजय का मार्ग। इन नारों ने भारतीयों को एकजुट कर आज़ादी की राह आसान कर दी।
भाषा की बात
1)नीचे दिए गए शब्दों का पाठ के संदर्भ में अर्थ लिखिए-
दक्खिन, पश्चिम, यक-साँ, एक-जुज़, ढद्ढे
उत्तर:”दक्खिन” सचमुच दक्षिण दिशा है, “पश्चिम” वह दिशा जहाँ सूरज अस्त होता है, “यक-साँ” का अर्थ समानता या एकरूपता है, “एक-जुज़” अकेला या अद्वितीय को दर्शाता है, और “ढद्ढे” बूढ़े लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक प्यारा शब्द है।
दरअसल, मैं इन शब्दों के बारे में इसलिए पूछ रहा था क्योंकि ये कुछ पुरानी कविताओं और लोक कथाओं में अक्सर इस्तेमाल होते हैं। मुझे पुरानी रचनाओं को पढ़ने और समझने में बहुत रुचि है, और इन शब्दों के अर्थों को स्पष्ट रूप से जानना उस अनुभव को और भी समृद्ध बना देता है। यह जानकर खुशी हुई कि आप भी इन शब्दों से परिचित हैं! क्या आपकी भी इन शब्दों या पुरानी साहित्य में कोई विशेष रुचि है?
2)नीचे दिए गए संज्ञा शब्दों के विशेषण रूप लिखिए-
आज़ादी, चमक, हिंदुस्तान, विदेश, सरकार, यात्रा, पुराण, भारत
उत्तर:संज्ञा और विशेषण: कुछ और महत्वपूर्ण उदाहरण
आपने जिन शब्दों का उल्लेख किया है, वे रोज़मर्रा के जीवन में बहुत उपयोग होते हैं। आइए एक बार फिर से इन उदाहरणों पर नज़र डालें, क्योंकि यह अभ्यास हमें हिंदी के विभिन्न शब्दों और उनके रूपों को समझने में मदद करता है:
- भारत (संज्ञा) से भारतीय (विशेषण)
- उदाहरण: भारतीय व्यंजन पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं।
- दिन (संज्ञा) से दैनिक (विशेषण)
- उदाहरण: वह अपनी दैनिक दिनचर्या का पालन करता है।
- मास (संज्ञा) से मासिक (विशेषण)
- उदाहरण: हमें अपनी मासिक रिपोर्ट तैयार करनी है।
- वर्ष (संज्ञा) से वार्षिक (विशेषण)
- उदाहरण: कंपनी की वार्षिक बैठक अगले सप्ताह है।
- नगर (संज्ञा) से नागरिक (विशेषण)
- उदाहरण: प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने देश का सम्मान करे।
- भूगोल (संज्ञा) से भौगोलिक (विशेषण)
- उदाहरण: इस क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताएँ अनोखी हैं।
- विज्ञान (संज्ञा) से वैज्ञानिक (विशेषण)
- उदाहरण: उन्होंने एक वैज्ञानिक प्रयोग किया।
- स्वर्ण (संज्ञा) से स्वर्णिम (विशेषण)
- उदाहरण: इतिहास का यह काल स्वर्णिम युग कहलाता है।
- शरीर (संज्ञा) से शारीरिक (विशेषण)
- उदाहरण: उचित शारीरिक व्यायाम सेहत के लिए ज़रूरी है।
- धर्म (संज्ञा) से धार्मिक (विशेषण)
- उदाहरण: भारत में कई धार्मिक त्योहार मनाए जाते हैं।
ये उदाहरण दिखाते हैं कि कैसे संज्ञाएँ वस्तुओं, स्थानों, भावनाओं आदि का नाम होती हैं, जबकि विशेषण उन संज्ञाओं की विशेषता बताते हैं। हिंदी व्याकरण में यह संबंध समझना भाषा पर आपकी पकड़ को मजबूत बनाता है।