“ल्हासा की ओर” एक यात्रा वृत्तांत है जिसमें लेखक राहुल सांकृत्यायन ने तिब्बत की अपनी यात्रा का वर्णन किया है। इस यात्रा में उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन साथ ही उन्होंने तिब्बती जीवन और संस्कृति की भी झलक देखी।
लेखक ने अपनी यात्रा में कई रोचक अनुभवों का वर्णन किया है। उन्होंने तिब्बती लोगों के जीवन, उनकी संस्कृति, उनके धर्म और उनके रीति-रिवाजों के बारे में बताया है। उन्होंने तिब्बत के खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों का भी वर्णन किया है।
इस यात्रा वृत्तांत में लेखक ने तिब्बत की यात्रा के दौरान सामने आने वाली कठिनाइयों का भी वर्णन किया है। उन्होंने बताया है कि कैसे उन्होंने भूख, प्यास, ठंड और ऊंचाई की बीमारी का सामना किया। लेकिन उन्होंने इन कठिनाइयों का सामना हिम्मत और धैर्य से किया।
“ल्हासा की ओर” एक रोचक और ज्ञानवर्धक यात्रा वृत्तांत है। इस यात्रा वृत्तांत के माध्यम से लेखक ने हमें तिब्बत की संस्कृति और जीवन शैली से परिचित कराया है। उन्होंने हमें बताया है कि कैसे उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
“ल्हासा की ओर” एक ऐसी यात्रा वृत्तांत है जिसे हर किसी को पढ़ना चाहिए। यह यात्रा वृत्तांत हमें प्रेरित करता है कि हम भी अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना हिम्मत और धैर्य से करें।
प्रश्न अभ्यास
1. थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों?
उत्तर :
भिखमंगे के वेश में ठहरने का कारण लेखक का मित्र सुमति की वजह से स्थानीय लोगों से अच्छी जान-पहचान थी। दूसरी बार भद्र वेश होने के बावजूद उचित स्थान न मिलने के कारणों में समय, परिस्थितियां, स्थानीय लोगों की मानसिकता और भाषा की बाधा शामिल हैं।
2. उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था?
उत्तर :
उस समय के तिब्बत में हथियारों पर कोई विशेष कानून नहीं था। इसका सीधा सा मतलब था कि वहां हर कोई हथियार रख सकता था। चाहे वह पिस्तौल हो, बंदूक हो या कोई और हथियार। इस स्वतंत्रता के कारण यात्रियों को हमेशा डाकुओं के डर से रहना पड़ता था।
तिब्बत में कई निर्जन क्षेत्र थे जहाँ डाकू छिपकर रहते थे। वे अक्सर यात्रियों को लूटते और कभी-कभी उनके साथ हिंसा भी करते थे। क्योंकि यात्रियों के पास खुद को बचाने के लिए कोई कानूनी तरीका नहीं था, इसलिए वे हमेशा खौफ में रहते थे।
3. लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया ?
उत्तर :
लङ्कोर के मार्ग में लेखक का घोड़ा थककर धीमा चलने लगा था। इसी कारण वह अपने साथियों से पिछड़ गया। घोड़े के थक जाने के कारण लेखक को रास्ता भी भटकना पड़ा। उसे एक-डेढ़ मील गलत रास्ते पर चलना पड़ा और फिर उसे वापस आना पड़ा। इस प्रकार घोड़े के थक जाने के कारण ही लेखक अपने साथियों से पिछड़ गया।
4. लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?
उत्तर :
शेकर विहार में लेखक ने सुमति को दो बार अलग-अलग कारणों से रोकने या न रोकने का निर्णय लिया था।
पहली बार: जब लेखक पहली बार शेकर विहार पहुंचे थे, तब उन्होंने सुमति को अपने यजमानों के पास जाने से रोका था। ऐसा इसलिए क्योंकि सुमति के यजमानों के पास जाने में काफी समय लगता था और लेखक को सुमति का इंतजार करना पड़ता। लेखक चाहते थे कि सुमति जल्द से जल्द उनके साथ यात्रा शुरू करे।
दूसरी बार: दूसरी बार जब लेखक शेकर विहार आए थे, तब उन्होंने सुमति को रोकने का प्रयास नहीं किया। इसका मुख्य कारण यह था कि इस बार लेखक मंदिर में रखी हुई हस्तलिखित पोथियों का अध्ययन करने में व्यस्त थे। उन्हें उन पोथियों को पढ़ने में इतना मज़ा आ रहा था कि उन्होंने सुमति को जाने से रोकना उचित नहीं समझा।
5. अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ?
उत्तर :
सबसे पहले, उन्होंने भिखारी के वेश में यात्रा की, जिसके कारण उन्हें समाज से अलग-थलग रहना पड़ा और कई बार अपमान भी सहना पड़ा। उन्होंने भूख और प्यास जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी संघर्ष किया। इसके अलावा, उन्होंने तेज धूप में लंबी पैदल यात्रा की, जिसके कारण उन्हें शारीरिक थकान भी हुई।
रास्ते में उन्हें कई खतरों का भी सामना करना पड़ा। डाकू हमेशा उनके लिए खतरा बने रहते थे। उन्हें अक्सर खराब मौसम का भी सामना करना पड़ा। पहाड़ी इलाकों में रास्ता खोजना भी उनके लिए मुश्किल था और कई बार वे रास्ता भटक भी गए।
6. प्रस्तुत यात्रा – वृत्तांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था ?
उत्तर :
प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत के आधार पर हम देख सकते हैं कि उस समय का तिब्बती समाज काफी सरल और खुला था। वहाँ जाति-पाँति, छुआछूत जैसी कुरीतियाँ नहीं थीं। महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर का दर्जा प्राप्त था। लोग एक-दूसरे के प्रति सहनशील और मेहमाननवाज थे।
यात्रियों को आमतौर पर अपने घरों में ठहराया जाता था। हालाँकि, भिखारियों के प्रति कुछ संशय था क्योंकि उन्हें चोरी का डर रहता था। लेकिन कुल मिलाकर, तिब्बती समाज एक ऐसा समाज था जहाँ आपसी भाईचारा और सहयोग का माहौल था।
7. ‘मैं अब पुस्तकों के भीतर था । ‘ नीचे दिए गए विकल्पों में से कौन सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है-
(क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
(ख) लेखक पुस्तकों की शैल्फ़ के भीतर चला गया।
(ग) लेखक के चारों ओर पुस्तकें ही थीं।
(घ) पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।
उत्तर :
(क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
रचना और अभिव्यक्ति
8. सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर :
सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोगों का लगभग हर गाँव में मिलना, उनके व्यक्तित्व के बारे में कई बातें बताता है।
सुमति एक मिलनसार और हँसमुख व्यक्ति रहे होंगे। यदि वे हर गाँव में लोगों से मिलते थे, तो इसका मतलब है कि वे लोगों से मिलना-जुलना पसंद करते थे और उनमें लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता रही होगी।
सुमति का सामाजिक दायरा बहुत बड़ा रहा होगा। इतने सारे लोगों को जानना और उनसे संबंध बनाए रखना आसान काम नहीं होता। यह दर्शाता है कि सुमति एक सामाजिक व्यक्ति थे और उनका सामाजिक दायरा बहुत व्यापक रहा होगा।
सुमति संभवतः एक धार्मिक व्यक्ति भी रहे होंगे। तिब्बत में लोग धर्म को काफी महत्व देते थे। सुमति के यजमान होना इस बात का संकेत देता है कि वे धार्मिक कार्यों में सक्रिय भागीदारी करते थे और लोगों के बीच धर्मगुरु के समान सम्मानित थे।
सुमति के पास यात्रा करने का शौक रहा होगा। इतने सारे गाँवों में जाना आसान नहीं होता। इसका मतलब है कि सुमति को यात्रा करना पसंद था और वे नए-नए स्थानों को देखने के लिए उत्सुक रहते थे।
9. ‘हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था । ‘ – उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।
उत्तर :
यह निश्चित रूप से अनुचित है कि हम किसी व्यक्ति के आचार-व्यवहार का आंकलन केवल उसकी वेशभूषा के आधार पर करें। लेखक का यह कथन इसी बात की ओर इशारा करता है।
हम अक्सर लोगों को उनके कपड़ों, आभूषणों या अन्य बाहरी दिखावे के आधार पर जज करते हैं। लेकिन यह एक गलत धारणा है। एक व्यक्ति के चरित्र का पता उसके कपड़ों से नहीं, बल्कि उसके व्यवहार, विचारों और कार्यों से चलता है।
10. यात्रा-वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द – चित्र प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य / शहर से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर :
तिब्बत एक ऐसा क्षेत्र है जो अपनी ऊंची पहाड़ियों, बर्फ से ढके पर्वतों और विस्तृत घाटियों के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र मुख्यतः हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है और इसकी औसत ऊंचाई समुद्र तल से काफी अधिक है। यहाँ का वातावरण कठोर होता है, सर्दियाँ बेहद ठंडी होती हैं और गर्मी में भी तापमान कम रहता है।
तिब्बत की भौगोलिक स्थिति अन्य क्षेत्रों से काफी भिन्न है। उदाहरण के लिए, यदि हम भारत के मैदानी इलाकों या तटीय क्षेत्रों की तुलना तिब्बत से करें तो हमें काफी अंतर दिखाई देगा। मैदानी इलाकों में समतल भूमि होती है, नदियाँ बहती हैं और वनस्पति भी अधिक होती है। वहीं, तटीय क्षेत्रों में समुद्र किनारे होते हैं और नमक की हवा चलती है।
11. आपने भी किसी स्थान की यात्रा अवश्य की होगी? यात्रा के दौरान हुए अनुभवों को लिखकर प्रस्तुत करें।
उत्तर :
मैंने केरल के बैकवॉटर के माध्यम से एक शांत यात्रा शुरू की। हरे-भरे पेड़-पौधों से लदी शांत नहरें और पारंपरिक हाउसबोट्स से युक्त, एक लुभावनी दृश्य प्रस्तुत करती हैं। नाव के खिलाफ पानी की कोमल चपलता और पक्षियों का चहकना एक सुखद सिम्फनी बनाता है। मैंने स्वादिष्ट केरल व्यंजनों का आनंद लिया, ताज़े समुद्री भोजन और सुगंधित मसालों के स्वाद का आनंद लिया। जैसे ही सूरज क्षितिज से नीचे डूब गया, मैंने एक मंत्रमुग्ध करने वाले सूर्यास्त को देखा, जो आकाश को नारंगी और बैंगनी रंगों से रंग रहा था। यह अनुभव वास्तव में मनोरंजक था, जिसने मुझे इस खूबसूरत गंतव्य की अनमोल यादें दी।
12. यात्रा-वृत्तांत गद्य साहित्य की एक विधा है। आपकी इस पाठ्यपुस्तक में कौन-कौन सी विधाएँ हैं? प्रस्तुत विधा उनसे किन मायनों में अलग है ?
उत्तर :
यात्रा-वृत्तांत गद्य साहित्य की एक ऐसी विधा है जो लेखक के किसी विशेष स्थान या यात्रा के अनुभवों को शब्दों में पिरोती है। यह एक व्यक्तिगत अनुभव को साझा करने का एक माध्यम है, जिसमें लेखक न केवल स्थान का वर्णन करता है, बल्कि अपनी भावनाओं, विचारों और अनुभवों को भी व्यक्त करता है।
अन्य विधाओं से भिन्नता:
अन्य गद्य विधाओं जैसे उपन्यास, कहानी या निबंध से यात्रा-वृत्तांत कई मायनों में अलग होता है:
- व्यक्तिगत अनुभव: यात्रा-वृत्तांत पूरी तरह से लेखक के व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित होता है, जबकि उपन्यास या कहानी काल्पनिक या आंशिक रूप से काल्पनिक हो सकता है।
- स्थान का वर्णन: यात्रा-वृत्तांत में स्थान का विस्तृत वर्णन होता है, जिसमें स्थानीय लोगों, संस्कृति, भोजन, और इतिहास शामिल हो सकता है।
- भावनाओं का प्रवाह: यात्रा-वृत्तांत में लेखक अपनी भावनाओं, विचारों और अनुभवों को खुलकर व्यक्त करता है, जिससे पाठक लेखक की यात्रा में साथी बन जाते हैं।
- शैली: यात्रा-वृत्तांत की शैली अधिक अनौपचारिक और व्यक्तिगत होती है, जबकि उपन्यास या कहानी की शैली अधिक औपचारिक हो सकती है।