Saturday, December 21, 2024

सुदामा चरित

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सुदामा चरित में नरोत्तम दास जी ने कृष्ण और सुदामा की अटूट मित्रता का सुंदर चित्रण किया है। सुदामा, एक गरीब ब्राह्मण, अपने मित्र कृष्ण से मिलने द्वारका जाते हैं। उनके पास कृष्ण को देने के लिए केवल एक मुट्ठी चावल होता है, लेकिन उनकी सच्ची मित्रता कृष्ण को गहरे छू जाती है। कृष्ण न केवल सुदामा को आदर देते हैं, बल्कि उनकी सभी जरूरतों का भी ध्यान रखते हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची मित्रता धन-दौलत से परे होती है और सच्चे मित्र हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं।

कविता से

1. सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर :

सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण अत्यंत दुखी हुए। उनकी आंखों में आंसू छलक पड़े और उन्होंने अपने मित्र की दुर्दशा पर गहरा शोक व्यक्त किया। सुदामा की दीनहीनता देखकर कृष्ण को यह एहसास हुआ कि धन-दौलत सच्ची मित्रता के आगे कुछ भी नहीं है। उन्होंने सुदामा को अपने हृदय से लगा लिया और उनकी सभी इच्छाएं पूरी करने का संकल्प लिया। कृष्ण की यह प्रतिक्रिया उनकी करुणा और दयालुता का प्रमाण है।

2. “ पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए। ” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए 

उत्तर :

कृष्ण और सुदामा की अटूट मित्रता की कहानी में यह पंक्ति एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। जब कृष्ण सुदामा की दीनदशा देखते हैं, तो उनकी आँखों से इतने आँसू निकलते हैं कि वे सुदामा के पैर धो देते हैं। यह कृष्ण की गहरी मित्रता, करुणा और विरह के भाव को दर्शाता है। यह पंक्ति हमें सिखाती है कि सच्ची मित्रता धन-दौलत से परे होती है और सच्चे मित्र हमेशा एक-दूसरे के दुःख-सुख में साथ खड़े रहते हैं।

3. ” चोरी की बान में हौ जू प्रवीने। “

(क) उपर्युक्त पंक्ति कौन किससे कह रहा है?

(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए ।

(ग) इस उपालंभ ( शिकायत ) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?

उत्तर :

 (क) उपर्युक्त पंक्ति कौन किससे कह रहा है?

यह पंक्ति श्रीकृष्ण द्वारा सुदामा से कही गई है।

(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए

जब सुदामा अपनी पत्नी द्वारा भेजी गई चावलों की पोटली लेकर श्रीकृष्ण से मिलने द्वारका जाते हैं, तो वे कृष्ण को वह पोटली देने में हिचकिचाते हैं। वे सोचते हैं कि कृष्ण द्वारका के राजा हैं और उनके पास सब कुछ है, इसलिए उन्हें कुछ देने की आवश्यकता नहीं है। इसीलिए वे वह पोटली छिपा लेते हैं।

श्रीकृष्ण को यह बात पता चल जाती है और वे सुदामा से कहते हैं, “चोरी की बान में हौ जू प्रवीने।” अर्थात, श्रीकृष्ण सुदामा को यह बताना चाहते हैं कि वे बचपन से ही कुछ चीजें छिपाने का स्वभाव रखते हैं। यह बात वे सुदामा के बचपन के एक किस्से का जिक्र करके कहते हैं।

(ग) 

इस उपालंभ के पीछे एक पौराणिक कथा है। जब श्रीकृष्ण और सुदामा आश्रम में अपनी-अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। उस समय एक दिन वे जंगल में लकड़ियाँ एकत्र करने जाते हैं। 

4. द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या- क्या सोचते जा रहे थे? वह कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए ।

उत्तर :

द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा के मन में तरह-तरह के विचार उठ रहे थे। वह इस बात से बहुत दुखी थे कि कृष्ण ने उन्हें कुछ नहीं दिया। वे सोच रहे थे कि क्या उनकी मित्रता सिर्फ दिखावा थी? क्या कृष्ण ने उन्हें सिर्फ आदर देने के लिए बुलाया था? सुदामा को यह भी लग रहा था कि कृष्ण ने उन्हें चोरी की बात कहकर अपमानित किया है। उन्हें यह बात समझ नहीं आ रही थी कि कृष्ण ने उनके साथ ऐसा क्यों किया। सुदामा के मन में यह भी दुविधा थी कि क्या उन्होंने कृष्ण के पास जाकर गलती की। उन्हें लग रहा था कि उनकी पत्नी ने उन्हें बेवजह कृष्ण के पास भेजा था। वे सोच रहे थे कि अब उन्हें क्या करना चाहिए।

5. अपने गाँव लौटकर जब सुदामा अपनी झोंपड़ी नहीं खोज पाए तब उनके मन में क्या-क्या विचार आए? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर :

द्वारका से खाली हाथ लौटने पर सुदामा के मन में अनेक भाव उमड़ रहे थे। अपने गांव को एक समृद्ध शहर में तब्दील देखकर वह दंग रह गया। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह सपने में तो नहीं है। कृष्ण ने चमत्कार करके उसके गांव का कायाकल्प कर दिया था।

सुदामा इस अचानक बदलाव से अभिभूत थे। उन्हें कृष्ण के प्रति आश्चर्य और कृतज्ञता का भाव था। साथ ही उन्हें अपनी अयोग्यता और अपराध बोध भी हो रहा था। उन्हें लग रहा था कि वे इतने बड़े उपकार के हकदार नहीं हैं और वे कृष्ण के मित्र होने के योग्य नहीं हैं।

6. निर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पंक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर :

सुदामा के पैर जब उसकी झोपड़ी की तरफ बढ़े, तो उसे विश्वास नहीं हुआ। जहां पहले मिट्टी की दीवारें थीं, वहां अब चमकदार संगमरमर की दीवारें थीं। जहां पहले छप्पर टपकता था, वहां अब सोने का गुंबद था। सुदामा के मन में एक पल के लिए यह विचार आया कि कहीं वह स्वर्ग तो नहीं आ गया।

कविता से आगे

1. द्रुपद और द्रोणाचार्य भी सहपाठी थे, इनकी मित्रता और शत्रुता की कथा महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए ।

उत्तर :

  • द्रुपद और द्रोणाचार्य की मित्रता सामाजिक असमानता के कारण टूटी, जबकि सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता अटूट रही।
  • द्रुपद ने अपना वादा तोड़ा, जबकि श्रीकृष्ण ने हमेशा सुदामा का साथ दिया।
  • द्रुपद और द्रोणाचार्य शत्रु बन गए, जबकि सुदामा और श्रीकृष्ण हमेशा मित्र बने रहे।

2. उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता- भाई-बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है, ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित कैसी चुनौती खड़ी करता है? लिखिए ।

उत्तर :

सुदामा चरित एक ऐसी कहानी है जो हमें मानवीय मूल्यों, विशेषकर मित्रता और रिश्तों के महत्व को समझाती है। यह कहानी उन लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करती है जो धन-दौलत और शक्ति पाने के बाद अपने रिश्तों को भुला देते हैं।

अनुमान और कल्पना

1. अनुमान कीजिए यदि आपका कोई अभिन्न मित्र आपसे बहुत वर्षों बाद मिलने आए तो आप को कैसा अनुभव होगा?

यदि मेरा कोई अभिन्न मित्र बहुत वर्षों बाद मुझसे मिलने आए तो मुझे असीम खुशी होगी। मन में अनेक भावों का मिश्रण होगा। सबसे पहले तो मुझे पुरानी यादें ताजा होने लगेंगी। हमने साथ बिताए हुए बचपन के दिन, स्कूल के दिन, कॉलेज के दिन, सब कुछ आंखों के सामने तैरने लगेगा। मुझे हंसी आएगी उन सभी मज़ाकिया लम्हों को याद करके जिनको हमने साथ बिताया था। साथ ही, मुझे थोड़ी सी उदासी भी होगी क्योंकि इतने सालों में हम एक-दूसरे से दूर रहे हैं और बहुत कुछ बदल गया है।

मैं अपने मित्र को गले लगाकर उसकी खैरियत पूछूंगा और हम दोनों एक-दूसरे को बहुत सारी बातें बताएंगे। हम अपने जीवन के बारे में एक-दूसरे को बताएंगे कि हमने इन वर्षों में क्या-क्या किया है। मुझे यह जानने में बहुत दिलचस्पी होगी कि वह कैसे है, उसने क्या किया है, और उसके जीवन में क्या चल रहा है।

2. कहि रहीम संपति सगे बनत बहुत बहु रीति ।

विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत ||

इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।

उत्तर :

सुदामा चरित और रहीम दास के इस दोहे में दोनों ही स्थानों पर सच्चे मित्र की महत्ता को दर्शाया गया है। दोनों ही बताते हैं कि सच्चा मित्र वह होता है जो सुख-दुख दोनों में साथ रहता है और मुश्किल समय में साथ देता है। सुदामा चरित इस दोहे को एक आदर्श उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करता है।

भाषा की बात

• ” पानी परात को हाथ छुयो नहिं नैनन के जल सो पग धोए “

ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छाँटिए ।

उत्तर :

इस पंक्ति में अतिशयोक्ति अलंकार का प्रयोग किया गया है। श्रीकृष्ण की सुदामा के प्रति गहरी मित्रता और करुणा को बहुत ही तीव्रता से व्यक्त करने के लिए इस अलंकार का प्रयोग किया गया है। वास्तव में, कृष्ण ने अपनी आँखों के आंसुओं से सुदामा के पैर नहीं धोए, लेकिन इस अतिशयोक्ति के प्रयोग से उनकी गहरी भावनाओं को बहुत ही प्रभावी ढंग से व्यक्त किया गया है। यह अलंकार काव्य को अधिक प्रभावशाली और भावपूर्ण बनाता है।

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Dr. Upendra Kant Chaubey
Dr. Upendra Kant Chaubeyhttps://education85.com
Dr. Upendra Kant Chaubey, An exceptionally qualified educator, holds both a Master's and Ph.D. With a rich academic background, he brings extensive knowledge and expertise to the classroom, ensuring a rewarding and impactful learning experience for students.
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