कविता “एक तिनका” में कवि हरिऔध जी ने अहंकार ना करने की सलाह देते हुए हमें बताया है कि कैसे एक छोटा सा तिनका भी हमारे घमंड को चूर-चूर कर सकता है।
कविता में कवि घमंड से भरे हुए अपने घर के छत के किनारे पर खड़े होकर सोच रहे थे कि उनके जीवन में कोई दुख नहीं है। तभी अचानक एक छोटा सा तिनका उड़कर उनकी आँख में चला जाता है और उनका सारा घमंड चूर-चूर हो जाता है।
इस कविता से हमें ये सीख मिलती है कि हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि एक छोटी सी चीज भी हमें परेशान कर सकती है। हमें हमेशा विनम्र रहना चाहिए और दूसरों का सम्मान करना चाहिए।
कविता से
1. नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए । जैसे – एक तिनका आँख में मेरी पड़ा-मेरी आँख में एक तिनका पड़ा। मूँठ देने लोग कपड़े की लगे लोग कपड़े की मूँठ देने लगे ।
(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा-
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी- (ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी-
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया-
उत्तर :
(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा-
- एक दिन मैं अपने घर के आँगन में खड़ा था।
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी-
- मेरी आँख लाल हो गई और बहुत दर्द करने लगी।
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी-
- मैं बहुत परेशान होकर इधर-उधर भागने लगा।
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया-
- जब किसी तरह से मेरी आँख से वह तिनका निकल गया।
2. ‘एक तिनका’ कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है?
उत्तर :
कविता “एक तिनका” में कवि ने एक ऐसी घटना का वर्णन किया है जिसमें एक छोटा सा तिनका भी एक घमंडी व्यक्ति को कितना परेशान कर सकता है। कविता में कवि खुद को श्रेष्ठ मानता है और घमंड में चूर है। एक दिन अचानक उसकी आँख में एक तिनका चला जाता है। यह छोटा सा तिनका उसकी आँख में इतना चुभता है कि वह बहुत परेशान हो जाता है। वह तिनके को निकालने के लिए बहुत प्रयास करता है लेकिन असफल रहता है।
3. आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई?
उत्तर :
आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की दशा बहुत ही दयनीय हो गई। वह जो पहले घमंड में चूर था, अब वह छोटे से तिनके की वजह से बहुत परेशान हो गया। उसकी आँख लाल हो गई और उसे बहुत दर्द होने लगा। वह इधर-उधर भागने लगा और बहुत बेचैन हो गया।
4. घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने क्या किया?
उत्तर :
घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास के लोगों ने कई प्रयास किए। कविता में बताया गया है कि लोग कपड़े की मूँठ बनाकर उसकी आँख पर लगाने लगे। वे चाहते थे कि इस तरह से तिनका बाहर निकल जाए। लेकिन ये प्रयास नाकाम रहे।
5. ‘एक तिनका’ कविता में घमंडी को उसकी ‘समझ’ ने चेतावनी दी –
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है- तिनका कबहूँ न निंदिए, पाँव तले जो होय । कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय ।।
इन दोनों में क्या समानता है और क्या अंतर? लिखिए ।
उत्तर :
समानताएं
- घमंड का विरोध: दोनों ही रचनाएँ घमंड को एक बुरा गुण बताती हैं।
- तिनके का उदाहरण: दोनों में ही एक तिनके के माध्यम से घमंड के परिणामों को दर्शाया गया है।
- अहंकार का खतरा: दोनों ही रचनाएँ हमें बताती हैं कि अहंकार हमें कितना नुकसान पहुंचा सकता है।
- सादा भाषा: दोनों ही रचनाओं में बहुत ही सरल और सहज भाषा का प्रयोग किया गया है।
अंतर
- शैली: “एक तिनका” एक कथात्मक कविता है जिसमें एक घटना के माध्यम से संदेश दिया गया है, जबकि कबीर का दोहा अधिक संक्षिप्त और सार्वभौमिक है।
- केंद्रीय पात्र: “एक तिनका” में केंद्रीय पात्र एक घमंडी व्यक्ति है, जबकि कबीर के दोहे में कोई विशिष्ट पात्र नहीं है।
- शब्दावली: दोनों में शब्दावली में थोड़ा अंतर है। “एक तिनका” में अधिक वर्णनात्मक शब्दों का प्रयोग किया गया है, जबकि कबीर के दोहे में अधिक संक्षिप्त शब्दों का प्रयोग किया गया है।
अनुमान और कल्पना
1. नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए-
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी,
तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिए ।
• इन पंक्तियों में ‘ऐंठ’ और ‘समझ’ शब्दों का प्रयोग सजीव प्राणी की भाँति हुआ है। कल्पना कीजिए, यदि ‘ऐंठ’ और ‘समझ’ किसी नाटक में दो पात्र होते तो उनका अभिनय कैसा होता?
उत्तर :
दृश्य 1: ऐंठ मंच पर घमंड से चलता हुआ प्रवेश करता है। यह दूसरों को नजरअंदाज करता है और अपनी महानता का प्रदर्शन करता है।
दृश्य 2: तभी अचानक ऐंठ की आँख में एक तिनका चला जाता है। यह दर्द से कराहता है और इधर-उधर भागने लगता है।
दृश्य 3: समझ मंच पर आता है और शांत स्वर में ऐंठ को उसकी गलती बताता है। यह समझाता है कि घमंड करने से क्या नुकसान होता है।
दृश्य 4: ऐंठ धीरे-धीरे समझ की बातों को समझता है और अपनी गलती मान लेता है।
3. नीचे दी गई कबीर की पंक्तियों में तिनका शब्द का प्रयोग एक से अधिक बार किया गया है। इनके अलग-अलग अर्थों की जानकारी प्राप्त करें।
उठा बबूला प्रेम का, तिनका उड़ा अकास।
तिनका तिनका हो गया, तिनका तिनके
उत्तर :
पहला प्रयोग: “उठा बबूला प्रेम का, तिनका उड़ा अकास”
- तिनका: यहां ‘तिनका’ का अर्थ है – सांसारिक मोह, माया या भौतिक सुख।
दूसरा प्रयोग: “तिनका तिनका हो गया, तिनका तिनके पास”
- तिनका: यहां ‘तिनका’ का अर्थ है – व्यक्तिगत अस्तित्व या आत्मा।
भाषा की बात
‘किसी ढब से निकलना’ का अर्थ है किसी ढंग से निकलना । ‘ढब से’ जैसे कई वाक्यांशों से आप परिचित होंगे, जैसे- धम से वाक्यांश है लेकिन ध्वनियों में समानता होने के बाद भी ढब से और धम से जैसे वाक्यांशों के प्रयोग में अंतर है। ‘धम से’, ‘छप से’ इत्यादि का प्रयोग ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने के लिए किया जाता है। नीचे कुछ ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने वाले वाक्यांश और कुछ अधूरे वाक्य दिए गए हैं। उचित वाक्यांश चुनकर वाक्यों के खाली स्थान भरिए-
छप से ,टप से ,थर्र से ,फुर्र से ,सन् से
(क) मेंढक पानी में …………कूद गया।
(ख) नल बंद होने के बाद पानी की एक बूँद ……….चू गई।
(ग) शोर होते ही…………चिड़िया उड़ी।
(घ) ठंडी हवा …….गुज़री, मैं ठंड में…………काँप गया।
उत्तर :
(क) मेंढक पानी में छप से कूद गया।
(ख) नल बंद होने के बाद पानी की एक बूँद टप से चू गई।
(ग) शोर होते ही फुर्र से चिड़िया उड़ी।
(घ) ठंडी हवा सन् से गुज़री, मैं ठंड में थर्र से काँप गया।