Monday, December 23, 2024

खानपान की बदलती तसवीर

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इस पाठ में खान-पान में आये बदलावों के बारे में बताया गया है। पहले के समय में लोग घर में ही खाना बनाते थे और ताजा, स्वस्थ भोजन खाते थे। लेकिन आजकल लोग बाहर का खाना ज्यादा खाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

पाठ में बताया गया है कि कैसे पहले के समय में लोग सादा खाना खाते थे, जैसे कि रोटी, दाल, सब्जी आदि। लेकिन आजकल लोग तले हुए, मसालेदार और जंक फूड ज्यादा खाते हैं। इससे कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जैसे कि मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज आदि।

इसलिए, हमें अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए और स्वस्थ भोजन का सेवन करना चाहिए। हमें ताजा सब्जियां, फल, दालें और अनाज खाना चाहिए। साथ ही, हमें तले हुए, मसालेदार और जंक फूड से दूर रहना चाहिए।

निबंध से

1. खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें?

उत्तर : 

खान-पान की मिश्रित संस्कृति का मतलब है कि आजकल हम विभिन्न क्षेत्रों के खाने को मिला-जुलाकर खाते हैं। पहले के समय में लोग अपने क्षेत्र के पारंपरिक खाने तक ही सीमित थे। लेकिन आजकल यात्रा, व्यापार और मीडिया के कारण, विभिन्न क्षेत्रों के खाने एक-दूसरे से मिल रहे हैं।

मेरे घर में भी यही होता है। नाश्ते में हम साउथ इंडियन इडली-डोसा खाते हैं, लेकिन दोपहर के खाने में दाल-रोटी या चावल-सब्जी खाते हैं। शाम को कभी-कभी हम पिज्जा या बर्गर भी खा लेते हैं।

2. खानपान में बदलाव के कौन से फ़ायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है?

उत्तर : 

खानपान में बदलाव के फायदे

  • विविधता: हमें विभिन्न प्रकार के खाने का स्वाद लेने का मौका मिलता है, जिससे खान-पान में रुचि बनी रहती है।
  • अंतरराष्ट्रीयता: हम विभिन्न देशों के व्यंजनों से परिचित होते हैं, जिससे हमारी समझदारी बढ़ती है और हमारी संस्कृति का विस्तार होता है।
  • सुविधा: रेस्टोरेंट, फूड कोर्ट्स और होम डिलीवरी जैसी सुविधाओं से हम आसानी से विभिन्न प्रकार का खाना प्राप्त कर सकते हैं।
  • स्वास्थ्य के लिए विकल्प: आजकल कई रेस्टोरेंट और खाद्य उत्पाद स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद विकल्प प्रदान करते हैं जैसे कि ऑर्गेनिक भोजन, शाकाहारी विकल्प आदि।

लेखक की चिंताएं

लेकिन, इन फायदों के साथ-साथ लेखक खानपान में बदलाव को लेकर कुछ चिंताएं भी व्यक्त करते हैं:

  • स्थानीय व्यंजनों का लोप: नए व्यंजनों के आने से स्थानीय और पारंपरिक व्यंजन पीछे छूट जाते हैं, जिससे हमारी खाद्य संस्कृति कमजोर हो सकती है।
  • अस्वस्थ खान-पान: तले हुए, मसालेदार और जंक फूड का बढ़ता चलन लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं की ओर धकेल रहा है।
  • खाद्य सुरक्षा: बढ़ती मांग के कारण खाद्य पदार्थों में मिलावट और अस्वच्छता की समस्या बढ़ रही है।
  • खर्च में वृद्धि: विभिन्न प्रकार के खाने के विकल्पों के कारण खाने का खर्च बढ़ रहा है।

3. खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है ?

उत्तर : 

खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है किसी विशेष क्षेत्र या स्थान के पारंपरिक और लोकप्रिय खानों का होना। ये खाने उस क्षेत्र की जलवायु, उपलब्ध सामग्री और खाने की संस्कृति से प्रभावित होते हैं।

निबंध से आगे

1. घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई बाज़ार से आती हैं? इनमें से बाज़ार से आनेवाली कौन सी चीजें आपके माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं?

उत्तर : 

मैंने अपनी माँ से बात करके यह पता लगाया कि हमारे घर में पहले अधिकतर चीजें घर में ही बनाई जाती थीं। दादी मां तो और भी ज्यादा चीजें घर में ही बनाती थीं। लेकिन अब समय बदल गया है और हमारे खान-पान में भी काफी बदलाव आया है।

बाजार से आने वाली चीजें जो पहले घर में बनती थीं:

  • नूडल्स: पहले नूडल्स घर में ही बनाए जाते थे, अब बाजार से पैकेट वाले नूडल्स आते हैं।
  • बिसकुट: पहले बिसकुट घर में ही बनाए जाते थे, अब बाजार से विभिन्न प्रकार के बिसकुट आते हैं।
  • आइसक्रीम: पहले आइसक्रीम घर में ही बनाई जाती थी, अब बाजार से विभिन्न स्वादों की आइसक्रीम मिलती है।
  • पेस्ट्री: पहले पेस्ट्री घर में ही बनाई जाती थी, अब बाजार से विभिन्न प्रकार की पेस्ट्री मिलती है।

2. यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिए-

उबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, आलू, बैंगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला ,पापड़.

भोजन

कैसे पकाया

स्वाद

उत्तर : 

1. भोजन

  • अनाज और दालें: दाल, भात, रोटी, पापड़
  • सब्जियां: आलू, बैंगन

2. कैसे पकाया

  • पकाने के तरीके: उबालना, तलना, भूनना, सेंकना

3. स्वाद

  • स्वाद: खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला

4. पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुई तसवीर का खाका खींचें तो इस प्रकार होगा –

सन् साठ का दशक – छोले-भटूरे

सन् सत्तर का दशक – इडली, डोसा

सन् अस्सी का दशक – तिब्बती (चीनी) भोजन

सन् नब्बे का दशक – पीज़ा, पाव-भाजी

• इसी प्रकार आप कुछ कपड़ों या पोशाकों की बदलती तसवीर का खाका

खींचिए ।

उत्तर : 

50 का दशक

  • महिलाएं: फुल स्कर्ट्स, ब्लाउज़, पेटीकोट्स, और हेयर बैंड्स काफी लोकप्रिय थे।
  • पुरुष: सूट, टाई, और फॉर्मल कपड़े अधिक पहने जाते थे।

60 का दशक

  • महिलाएं: मिनी स्कर्ट्स, गो-गो बूट्स, और ब्राइट रंगों के कपड़े फैशन में आए।
  • पुरुष: जींस, टी-शर्ट, और कैज़ुअल कपड़े अधिक पहने जाने लगे।

70 का दशक

  • महिलाएं: बेल-बॉटम पैंट, फ्लैरी शर्ट्स, और हिप्पी स्टाइल के कपड़े काफी लोकप्रिय हुए।
  • पुरुष: फ्लेयर्ड जींस, फ्लैटफ़ॉर्म जूते, और लंबे बाल फैशन में आए।

80 का दशक

  • महिलाएं: लेगिंग्स, शॉर्ट्स, और नेऑन रंगों के कपड़े फैशन में आए।
  • पुरुष: डेनिम जैकेट्स, स्पोर्ट्सवियर, और हेयरबैंड्स काफी लोकप्रिय हुए।

90 का दशक

  • महिलाएं: ओवरसाइज़्ड स्वेटर, प्लेड शर्ट्स, और जींस काफी लोकप्रिय हुए।
  • पुरुष: हिप-हॉप स्टाइल के कपड़े, बैगी जींस, और स्नीकर्स फैशन में आए।

5. मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पारंपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन – सूची (मेन्यू) बनाइए।

उत्तर : 

स्टार्टर

  • शेव: महाराष्ट्र का लोकप्रिय नाश्ता। इसे विभिन्न मसालों और चटनी के साथ परोसा जाता है।
  • मिसल: दही, फोडी और विभिन्न मसालों से बना यह व्यंजन काफी पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है।

मुख्य व्यंजन

  • वड़ा पाव: महाराष्ट्र का फेमस स्ट्रीट फूड। गरमागरम वड़ा को पाव में भरकर परोसा जाता है।
  • भाजी: विभिन्न प्रकार की सब्जियों से बनी भाजी, जैसे कि बैंगन भर्ता, गोभी भाजी, आदि।
  • दही भात: दही और भात का एक साधारण लेकिन स्वादिष्ट संयोजन।

रोटी

  • भाकरी: महाराष्ट्र की पारंपरिक रोटी, जो ज्वार, बाजरा या मक्के के आटे से बनाई जाती है।
  • पोहा: चावल से बना एक हल्का और पौष्टिक नाश्ता।

मिठाई

  • श्रीखंड: दही से बना एक स्वादिष्ट मिठाई।
  • पूरण पोली: चने की दाल और गुड़ से भरा हुआ एक मीठा पराठा।

पेय

  • ठंडाई: एक ठंडा और मसालेदार पेय, जो गर्मियों में काफी पसंद किया जाता है।
  • चहा: भारतीयों का पसंदीदा पेय।

अनुमान और कल्पना

1. ‘फ़ास्ट फ़ूड’ यानी तुरंत भोजन के नफ़े नुकसान पर कक्षा में वाद-विवाद करें। 

उत्तर : 

फ़ास्ट फ़ूड के फायदे

  • समय की बचत: व्यस्त जीवनशैली में फ़ास्ट फ़ूड समय की बचत करता है।
  • स्वादिष्ट: फ़ास्ट फ़ूड विभिन्न स्वादों में उपलब्ध होता है जो लोगों को पसंद आता है।
  • सुविधा: फ़ास्ट फ़ूड रेस्तरां हर जगह आसानी से मिल जाते हैं।

फ़ास्ट फ़ूड के नुकसान

  • स्वास्थ्य के लिए हानिकारक: फ़ास्ट फ़ूड में कैलोरी, वसा और नमक की मात्रा अधिक होती है जो मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग जैसी बीमारियों का कारण बन सकती है।
  • पौष्टिक तत्वों की कमी: फ़ास्ट फ़ूड में विटामिन, खनिज और फाइबर की कमी होती है जो शरीर के लिए आवश्यक हैं।
  • खराब खाने की आदत: फ़ास्ट फ़ूड की लत लग सकती है और यह स्वस्थ खान-पान की आदतों को नष्ट कर सकती है।
  • महंगा: कुछ फ़ास्ट फ़ूड रेस्तरां में भोजन महंगा होता है।
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Dr. Upendra Kant Chaubey
Dr. Upendra Kant Chaubeyhttps://education85.com
Dr. Upendra Kant Chaubey, An exceptionally qualified educator, holds both a Master's and Ph.D. With a rich academic background, he brings extensive knowledge and expertise to the classroom, ensuring a rewarding and impactful learning experience for students.
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