Monday, December 23, 2024

लाख की चूड़ियाँ 

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इस कहानी में, एक गरीब परिवार की लड़की, सुनीता, अपने सपनों की दुनिया में खोई रहती है। वह लाख की चूड़ियों के सपने देखती है, जो उसके लिए एक ऐसी चीज़ है जो उसकी सुंदरता को और निखार देगी। हालांकि, उसके परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे उसे लाख की चूड़ियाँ खरीद सकें।

एक दिन, उसके पिताजी को एक अवसर मिलता है – उन्हें एक अमीर परिवार के घर साफ-सफाई का काम मिलता है। वहां, सुनीता को लाख की चूड़ियाँ पहनी हुई एक लड़की दिखाई देती है। उसकी खूबसूरती देखकर, सुनीता की इच्छा और बढ़ जाती है।

हालांकि, उसके पिताजी की मेहनत के बावजूद, वे लाख की चूड़ियाँ खरीदने में सक्षम नहीं होते। लेकिन, सुनीता के मन में एक उम्मीद की किरण जगी रहती है। अंततः, उसकी इच्छा पूरी होती है, लेकिन एक अप्रत्याशित तरीके से।

कहानी का अंत सुखद होता है, जहां सुनीता को लाख की चूड़ियाँ मिल जाती हैं, लेकिन वह उन्हें पहनने के बजाय, उन्हें संभाल कर रखती है। यह कहानी सपनों, उम्मीदों, और संतुष्टि के बारे में है। यह हमें सिखाती है कि सच्ची खुशी सामग्री चीज़ों में नहीं, बल्कि मन की शांति और संतुष्टि में निहित होती है।

कहानी से

1. बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था ?

उत्तर : 

बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव जाने का बेसब्री से इंतज़ार करता था क्योंकि वहाँ उसे बदलू काका से मिलने का मौका मिलता था। बदलू काका एक कुशल कारीगर थे जो लाख की चूड़ियाँ बनाते थे। वे लेखक को रंग-बिरंगे लाख की गोलियाँ दिया करते थे, जिन्हें लेखक अपने खिलौने बनाकर उनसे खेलता था। ये गोलियाँ लेखक की कल्पना की दुनिया को और समृद्ध बनाती थीं।

गाँव के सभी लोग बदलू को ‘बदलू काका’ कहकर पुकारते थे। इसीलिए, लेखक भी उनका सम्मान करते हुए उन्हें ‘बदलू काका’ ही कहता था। यह एक तरह से बदलू काका के प्रति लेखक का आदर भाव था।

2. वस्तु – विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?

उत्तर : 

वस्तु-विनिमय का अर्थ है एक वस्तु को दूसरी वस्तु के बदले में देना। पुराने समय में लोग पैसे के बजाय वस्तुओं का आदान-प्रदान करते थे। जैसे, एक किसान अपने अनाज के बदले बर्तन या कपड़े ले सकता था। यह एक सरल तरीका था जिसके माध्यम से लोग अपनी आवश्यकताओं को पूरा करते थे।

3. ‘ मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं।’ इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया है?

उत्तर : 

“मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं” – इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने हस्तशिल्पकारों की व्यथा की ओर संकेत किया है।

4. बदलू के मन में ऐसी कौन सी व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी । 5. मशीनी युग से बदलू के जीवन में क्या बदलाव आया ?

उत्तर : 

बदलू, एक कुशल कारीगर था जो लाख की चूड़ियाँ बनाता था। उसकी बनाई हुई चूड़ियाँ गाँव में काफी मशहूर थीं। लेकिन, समय के साथ काँच की चूड़ियों का चलन बढ़ने लगा। काँच की चूड़ियाँ दिखने में ज्यादा चमकदार और आकर्षक होती थीं। धीरे-धीरे लोगों ने लाख की चूड़ियों को पहनना कम कर दिया।

बदलू की व्यथा इस बात की थी कि मशीनों के युग में उसकी कला का कोई महत्व नहीं रह गया है। लोग अब हाथ से बनी चीजों की बजाय मशीनों से बनी चीजों को ज्यादा पसंद करते हैं। बदलू की यह व्यथा लेखक से छिपी नहीं रही

5. मशीनी युग से बदलू के जीवन में क्या बदलाव आया ?

उत्तर : 

मशीनी युग ने बदलू के जीवन को पूरी तरह बदल दिया। वह एक कुशल कारीगर से एक बेरोजगार व्यक्ति बन गया। उसकी कला का महत्व कम हो गया और उसे आर्थिक और भावनात्मक संकट का सामना करना पड़ा।

कहानी से आगे

1. आपने मेले- बाज़ार आदि में हाथ से बनी चीज़ों को बिकते देखा होगा । आपके मन में किसी चीज़ को बनाने की कला सीखने की इच्छा हुई हो और आपने कोई कारीगरी सीखने का प्रयास किया हो तो उसके विषय में लिखिए |

उत्तर : 

मेले-बाजारों में रंग-बिरंगे, हाथ से बनी चीज़ें देखकर मेरा मन आकर्षित होता है। खूबसूरत कढ़ाई वाले कपड़े, मिट्टी के खिलौने, लकड़ी के खूबसूरत बर्तन, और कागज की कलाकृतियाँ देखकर मेरी रचनात्मकता जाग उठती है।

मैंने कभी मिट्टी के बर्तन बनाने की कोशिश की है। मिट्टी को अपने हाथों में लेकर उसे आकार देना, रंग देना, और फिर उसे चूल्हे में पकाकर देखना – ये सब एक अद्भुत अनुभव था। हालांकि, मेरे बनाए बर्तन उतने अच्छे नहीं थे, लेकिन कोशिश करने में ही मज़ा है।

2. लाख की वस्तुओं का निर्माण भारत के किन-किन राज्यों में होता है? लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त क्या- क्या चीजें बनती हैं? ज्ञात कीजिए ।

उत्तर : 

भारत में लाख की वस्तुओं का निर्माण मुख्य रूप से निम्नलिखित राज्यों में होता है:

  • राजस्थान: राजस्थान लाख के उत्पादन और शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है। यहां लाख की चूड़ियाँ, आभूषण, खिलौने आदि बनाए जाते हैं।
  • मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश में भी लाख की शिल्पकला का लंबा इतिहास रहा है। यहां लाख से बने बर्तन, मूर्तियाँ और सजावटी सामान बनाए जाते हैं।
  • उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में भी लाख के शिल्पकारों की मौजूदगी है। यहां लाख से बने खिलौने और सजावटी सामान बनाए जाते हैं।
  • बिहार: बिहार में भी लाख की शिल्पकला की परंपरा है। यहां लाख से बने बर्तन और आभूषण बनाए जाते हैं।

लाख का उपयोग विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को बनाने के लिए किया जाता है। चूड़ियों के अलावा, लाख से निम्नलिखित चीजें बनाई जाती हैं:

  • आभूषण: लाख से बने हार, कंगन, झुमके आदि बहुत ही खूबसूरत होते हैं।
  • बर्तन: लाख से बने बर्तन जैसे कि गिलास, प्लेट आदि बहुत ही आकर्षक होते हैं।
  • मूर्तियाँ: लाख से बनी मूर्तियाँ बहुत ही नाजुक और खूबसूरत होती हैं।
  • खिलौने: लाख से बने खिलौने बच्चों को बहुत पसंद आते हैं।

 अनुमान और कल्पना

1. घर में मेहमान के आने पर आप उसका अतिथि सत्कार कैसे करेंगे? 

उत्तर : 

घर में मेहमान के आने पर मैं उनका स्वागत गर्मजोशी से करूंगा। सबसे पहले, मैं उन्हें अभिवादन करूंगा और उनके साथ कुछ पल बातचीत करूंगा। फिर, मैं उन्हें एक आरामदायक जगह पर बैठने के लिए कहूंगा और उनके लिए चाय या कॉफी लाऊंगा। यदि वे थोड़ी देर रुकना चाहते हैं, तो मैं उनके साथ बातचीत करके उन्हें अच्छा समय बिताने की कोशिश करूंगा।

2. आपको छुट्टियों में किसके घर जाना सबसे अच्छा लगता है? वहाँ की दिनचर्या अलग कैसे होती है? लिखिए।

उत्तर : 

मुझे छुट्टियों में सबसे ज्यादा अपने नाना-नानी के घर जाना अच्छा लगता है। वहां का माहौल शहर की भागदौड़ से बिल्कुल अलग होता है।

नाना-नानी के घर पहुंचते ही मन प्रसन्न हो जाता है। वे मुझे गर्मजोशी से गले लगाते हैं और बहुत प्यार से मेरा स्वागत करते हैं। वहां की दिनचर्या शहर से बिल्कुल अलग होती है। सुबह जल्दी उठकर ताजी हवा में टहलना, नाश्ते में घर का बना ताजा खाना खाना, फिर बगीचे में खेलना या किताबें पढ़ना – ये सब कुछ बहुत ही सुकून भरा होता है।

दोपहर में नाना के साथ बगीचे में काम करना मुझे बहुत पसंद है। हम साथ मिलकर पौधों को पानी देते हैं, फूल तोड़ते हैं और पेड़ों पर चढ़ते हैं। शाम को नानी के साथ बैठकर कहानियां सुनना और उनके हाथ का बना स्वादिष्ट खाना खाना, ये सब कुछ मेरे लिए बहुत खास होता है।

रात को हम सब मिलकर बैठकर बातें करते हैं, हंसते हैं और गाते हैं। नाना-नानी अपने बचपन की कहानियां सुनाते हैं और मुझे अपनी जिंदगी के बारे में बताते हैं।

नाना-नानी के घर मुझे बहुत शांति मिलती है। वहां मैं अपनी सारी चिंताएं भूल जाता हूं और पूरी तरह से आराम महसूस करता हूं।

3. मशीनी युग में अनेक परिवर्तन आए दिन होते रहते हैं। आप अपने आस-पास से इस प्रकार के किसी परिवर्तन का उदाहरण चुनिए और उसके बारे में लिखिए।

उत्तर : 

मशीनी युग में बदलाव की रफ्तार इतनी तेज है कि हम हर रोज कुछ न कुछ नया देखते हैं। मेरे आस-पास ही एक बड़ा बदलाव मैंने स्मार्टफोन के आने के बाद देखा है।

पहले लोग खबरें जानने के लिए अखबार पढ़ते थे, लेकिन अब अधिकतर लोग स्मार्टफोन पर न्यूज़ ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं। पहले हम दोस्तों से मिलने के लिए घर से निकलते थे, लेकिन अब वीडियो कॉल के जरिए बातें करते हैं। पहले हम किताबें पढ़ने के लिए लाइब्रेरी जाते थे, अब ई-बुक्स और ऑडियोबुक्स का ज़माना है। स्मार्टफोन ने न सिर्फ हमारे संवाद करने के तरीके बदल दिए हैं, बल्कि हमारी शिक्षा, मनोरंजन और काम करने के तरीकों को भी बदल दिया है। अब हम किसी भी जानकारी को कुछ ही सेकंड में ढूंढ सकते हैं, ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं, और सोशल मीडिया के माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले लोगों से जुड़ सकते हैं।

4. बाज़ार में बिकने वाले सामानों की डिज़ाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है। आप इन परिवर्तनों को किस प्रकार देखते हैं ? आपस में चर्चा कीजिए । 

उत्तर : 

बाज़ार में बिकने वाले सामानों की डिज़ाइनों में आने वाले परिवर्तन हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। ये परिवर्तन न केवल हमारे स्वाद और रुचियों को दर्शाते हैं, बल्कि तकनीकी विकास, सामाजिक बदलाव और आर्थिक स्थितियों को भी प्रतिबिंबित करते हैं।

सबसे पहले, ये परिवर्तन हमारे बदलते स्वाद और फैशन को दर्शाते हैं। पहले लोग अधिक पारंपरिक डिजाइनों को पसंद करते थे, लेकिन आजकल लोग नए और आधुनिक डिजाइनों की ओर आकर्षित होते हैं। उदाहरण के लिए, कपड़ों के डिज़ाइन लगातार बदलते रहते हैं, और हर सीज़न में नए ट्रेंड आते हैं।

दूसरे, ये परिवर्तन तकनीकी विकास को दर्शाते हैं। नई तकनीकों के आने से उत्पादों को बनाने के नए तरीके खोजे जा रहे हैं, जिससे डिज़ाइनों में अधिक विविधता आ रही है। उदाहरण के लिए, 3D प्रिंटिंग तकनीक के आने से हम अब बहुत ही जटिल और अनोखे डिज़ाइन बना सकते हैं।

5.हमारे खान-पान, रहन-सहन और कपड़ों में भी बदलाव आ रहा है। इस बदलाव के पक्ष-विपक्ष में बातचीत कीजिए और बातचीत के आधार पर लेख तैयार कीजिए।

उत्तर : 

बदलाव के पक्ष:

  • विविधता: आज हम दुनिया भर के व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं। कपड़ों में भी विविधता आई है, जिससे हम अपनी पसंद के अनुसार कपड़े चुन सकते हैं।
  • सुविधा: माइक्रोवेव, वाशिंग मशीन जैसे उपकरणों ने हमारे काम को आसान बना दिया है। ऑनलाइन शॉपिंग से हमें घर बैठे खरीदारी करने की सुविधा मिली है।
  • जागरूकता: स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से लोग पौष्टिक आहार लेने लगे हैं। पर्यावरण के प्रति चिंता ने हमें कपड़ों के चयन में अधिक सावधान रहने के लिए प्रेरित किया है।

बदलाव के विपक्ष:

  • स्वास्थ्य समस्याएं: जंक फूड और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा रहा है।
  • पर्यावरण पर प्रभाव: कपड़ों के उत्पादन और निपटान से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है।
  • सांस्कृतिक पहचान का नुकसान: वैश्वीकरण के कारण पारंपरिक खान-पान और कपड़ों का महत्व कम हो रहा है।

बातचीत के आधार पर लेख:

ये बदलाव हमारे जीवन को कई तरह से प्रभावित कर रहे हैं। एक ओर, ये हमें अधिक विकल्प और सुविधाएं प्रदान करते हैं, लेकिन दूसरी ओर, ये हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। हमें इन बदलावों को समझने और उनके सकारात्मक पहलुओं को अपनाते हुए नकारात्मक पहलुओं से बचने का प्रयास करना चाहिए।

भाषा की बात

1. ‘बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो काँच की चूड़ियों से’ और बदलू स्वयं कहता है- “जो सुंदरता काँच की चूड़ियों में होती है लाख में कहाँ संभव है?” ये पंक्तियाँ बदलू की दो प्रकार की मनोदशाओं को सामने लाती हैं। दूसरी पंक्ति में उसके मन की पीड़ा है। उसमें व्यंग्य भी है। हारे हुए मन से, या दुखी मन से अथवा व्यंग्य में बोले गए वाक्यों के अर्थ सामान्य नहीं होते। कुछ व्यंग्य वाक्यों को ध्यानपूर्वक समझकर एकत्र कीजिए और उनके भीतरी अर्थ की व्याख्या करके लिखिए।

उत्तर : 

“आजकल तो पंछी भी उड़ नहीं सकते, इतने प्रदूषण हो गया है।”

  • अर्थ: यह वाक्य प्रदूषण की समस्या पर व्यंग्य करता है। वक्ता सीधे तौर पर प्रदूषण की समस्या की ओर इशारा नहीं कर रहा है, बल्कि वह एक ऐसे हालात की कल्पना कर रहा है जिसमें पंछी भी उड़ नहीं सकते।

“मैं तो इतना पढ़ा लिखा हूँ कि मुझे अपनी ही भाषा नहीं आती।”

  • अर्थ: यह वाक्य शिक्षा व्यवस्था पर व्यंग्य करता है। वक्ता कह रहा है कि वह बहुत अधिक पढ़ा लिखा है, लेकिन वह अपनी ही भाषा को भूल गया है। यह व्यंग्य शिक्षा व्यवस्था की उस खामी की ओर इशारा करता है जिसमें ज्ञान प्राप्त करने के नाम पर हम अपनी मूल भाषा और संस्कृति से दूर हो जाते हैं।

“हम तो इतने आधुनिक हो गए हैं कि हमें अपने ही घर का रास्ता नहीं मिलता।”

  • अर्थ: यह वाक्य आधुनिक तकनीक पर निर्भरता पर व्यंग्य करता है। वक्ता कह रहा है कि हम इतने आधुनिक हो गए हैं कि हम तकनीक पर इतना निर्भर हो गए हैं कि हमें अपने ही घर का रास्ता नहीं मिलता।

2. ‘बदलू’ कहानी की दृष्टि से पात्र है और भाषा की बात (व्याकरण) की दृष्टि से संज्ञा है। किसी भी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, विचार अथवा भाव को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा को तीन भेदों में बाँटा गया है ( क ) व्यक्तिवाचक संज्ञा, जैसे- लला, रज्जो, आम, काँच, गाय इत्यादि (ख) जातिवाचक संज्ञा, जैसे – चरित्र, स्वभाव, वजन, आकार आदि द्वारा जानी जाने वाली संज्ञा । (ग) भाववाचक संज्ञा, जैसे- सुंदरता, नाजुक, प्रसन्नता इत्यादि जिसमें कोई व्यक्ति नहीं है और न आकार या वजन। परंतु उसका अनुभव होता है। पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाएँ चुनकर लिखिए ।

उत्तर : 

1. व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ:

ये वे संज्ञाएँ होती हैं जो किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु को दर्शाती हैं।

  • बदलू: यह कहानी का मुख्य पात्र है।
  • लला: यह संभवतः बदलू का कोई परिचित या रिश्तेदार हो सकता है।
  • रज्जो: यह भी बदलू का कोई परिचित हो सकता है।
  • काँच: यह एक वस्तु है जिसका उल्लेख कहानी में किया गया है।
  • गाय: यदि कहानी में गाय का जिक्र आया है तो यह भी एक व्यक्तिवाचक संज्ञा होगी।

2. जातिवाचक संज्ञाएँ:

ये संज्ञाएँ किसी समूह या वर्ग के सभी सदस्यों को दर्शाती हैं।

  • चरित्र: यह बदलू या किसी अन्य पात्र का गुण हो सकता है।
  • स्वभाव: यह भी किसी पात्र का गुण हो सकता है।
  • वजन: यदि कहानी में किसी वस्तु का वजन बताया गया है तो यह एक जातिवाचक संज्ञा होगी।
  • आकार: किसी वस्तु का आकार भी एक जातिवाचक संज्ञा है।

3. भाववाचक संज्ञाएँ:

ये संज्ञाएँ भाव, गुण या अवस्था को दर्शाती हैं।

  • सुंदरता: यह कांच की चूड़ियों या किसी अन्य वस्तु का गुण हो सकता है।
  • नाजुक: यह भी किसी वस्तु का गुण हो सकता है, जैसे कांच की चूड़ियाँ।
  • प्रसन्नता: यह किसी पात्र की भावना को दर्शाता है।

3. गाँव की बोली में कई शब्दों के उच्चारण बदल जाते हैं। कहानी में बदलू वक्त (समय) को बखत उम्र ( वय / आयु) को उमर कहता है। इस तरह के अन्य शब्दों को खोजिए जिनके रूप में परिवर्तन हुआ हो, अर्थ में नहीं ।

उत्तर : 

वक्त – बखत: यह सबसे आम उदाहरण है। ग्रामीण अक्सर ‘वक्त’ को ‘बखत’ कहते हैं।

उम्र – उमर: उम्र को भी ग्रामीण अक्सर ‘उमर’ कहते हैं।

मर्द – मरद: पुरुष को ‘मर्द’ के बजाय ‘मरद’ कहना भी एक आम बात है।

भैया – भइया: भाई को ‘भैया’ के बजाय ‘भइया’ कहना भी ग्रामीण बोली की एक विशेषता है।

ग्राम – गाँव: गाँव को ‘ग्राम’ के बजाय ‘गाँव’ कहना भी एक आम बात है।

अंबा – अम्मा: माँ को ‘अंबा’ के बजाय ‘अम्मा’ कहना भी ग्रामीण बोली की एक विशेषता है।

दुर्बल – दुबला: कमजोर को ‘दुर्बल’ के बजाय ‘दुबला’ कहना भी ग्रामीण बोली में प्रचलित है।

मुलुक – मुल्क: देश को ‘मुलुक’ के बजाय ‘मुल्क’ कहना भी ग्रामीण बोली की एक विशेषता है।

खमा – क्षमा: क्षमा मांगने के लिए ‘खमा’ शब्द का प्रयोग भी ग्रामीण क्षेत्रों में आम है।

मजूरी – मजदूरी: मजदूरी को ‘मजूरी’ के बजाय ‘मजदूरी’ कहना भी ग्रामीण बोली में प्रचलित है।

मल्लार – मल्हार: एक प्रकार के राग को ‘मल्लार’ के बजाय ‘मल्हार’ कहना भी ग्रामीण बोली की एक विशेषता है।

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Dr. Upendra Kant Chaubey
Dr. Upendra Kant Chaubeyhttps://education85.com
Dr. Upendra Kant Chaubey, An exceptionally qualified educator, holds both a Master's and Ph.D. With a rich academic background, he brings extensive knowledge and expertise to the classroom, ensuring a rewarding and impactful learning experience for students.
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