इस पाठ में, लेखक ने एक अकबरी लोटे के माध्यम से उस समय के शिल्पकारों की कला और कौशल का वर्णन किया है। यह लोटा न केवल एक बर्तन है, बल्कि यह उस समय की समृद्ध कला और संस्कृति का प्रतीक है।
लेखक ने लोटे के विभिन्न पहलुओं, जैसे कि उसकी बनावट, सजावट और उपयोगिता का विस्तार से वर्णन किया है। लोटे पर की गई नक्काशी और उसमें इस्तेमाल की गई रंगीन पत्थरों की जड़ाई, उस समय के कारीगरों की कुशलता को दर्शाती है।
इस पाठ के माध्यम से लेखक हमें भारतीय शिल्प कला की विरासत से परिचित कराते हैं और हमें उस समय के कारीगरों की प्रतिभा की सराहना करने के लिए प्रेरित करते हैं।
कहानी की बात
1. “ लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे। “
लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिलकुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया। आपके विचार से वे चुप क्यों रहे? अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
लेखक द्वारा ‘जंजीरों’ का उपयोग एक अत्यंत प्रभावी रूपक के रूप में किया गया है। इन जंजीरों का तात्पर्य उन सभी बंधनों, रूढ़ियों, सामाजिक मानदंडों और सीमाओं से है जो व्यक्ति को स्वतंत्रता से जीने से रोकते हैं।
2. “लाला झाऊलाल जी ने फौरन दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ लिया । ” आपके विचार से लाला झाऊलाल ने कौन-कौन सी बातें समझ ली होंगी?
उत्तर :
लोटा टूटने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं: लोटा टूटने से सिर्फ एक बर्तन नहीं टूटा था, बल्कि एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई थी। भीड़ इकट्ठी हो गई थी और स्थिति तनावपूर्ण हो रही थी।
अंग्रेज़ अधिकारी गुस्से में है: लोटा टूटने से अंग्रेज़ अधिकारी गुस्से में था। यह स्पष्ट था क्योंकि वह भीगा हुआ था और अपने पैर पर हाथ फेर रहा था।
स्थिति को संभालना मुश्किल होगा: लाला झाऊलाल समझ गए थे कि इस स्थिति को संभालना मुश्किल होगा। उन्हें डर था कि अंग्रेज़ अधिकारी उन पर कोई कार्रवाई कर सकता है।
चुप रहना ही बुद्धिमानी होगी: उन्होंने यह भी समझ लिया कि इस स्थिति में चुप रहना ही बुद्धिमानी होगी। अगर वे कुछ बोलेंगे तो स्थिति और बिगड़ सकती थी।
3. अंग्रेज़ के सामने बिलवासी जी ने झाऊलाल को पहचानने तक से क्यों इनकार कर दिया था? आपके विचार से बिलवासी जी ऐसा अजीब व्यवहार क्यों कर रहे थे? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर :
बिलवासी जी ने अंग्रेज़ अधिकारी के सामने झाऊलाल को पहचानने से इनकार किया क्योंकि वह चाहते थे कि स्थिति शांत हो जाए और झाऊलाल किसी तरह की परेशानी में न पड़े। उन्होंने झूठ बोलने का सहारा लिया, जो सामान्यतः नैतिक रूप से गलत है, लेकिन उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए उनका यह कदम समझा जा सकता है।
बिलवासी जी का यह व्यवहार अजीब लगता है क्योंकि वह झूठ बोल रहे थे और अपने मित्र को पहचानने से इनकार कर रहे थे। हालांकि, इस व्यवहार के पीछे उनका मकसद अच्छा था। वे चाहते थे कि झाऊलाल को किसी तरह की परेशानी न हो और स्थिति जल्दी से सुलझ जाए।
4. बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध कहाँ से किया था? लिखिए।
उत्तर :
बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध अपनी पत्नी के संदूक से किया था। उन्होंने अपनी पत्नी की सोती हुई हालत में उनकी चेन से ताली निकाली और चुपचाप संदूक से रुपये निकाल लिए।
5. आपके विचार से अंग्रेज़ ने यह पुराना लोटा क्यों खरीद लिया? आपस में चर्चा करके वास्तविक कारण की खोज कीजिए और लिखिए |
उत्तर :
अंग्रेज़ अधिकारी ने लाला झाऊलाल का पुराना लोटा एक अकबरी लोटा समझकर 500 रुपये में खरीदा। इस निर्णय के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- शौक: अंग्रेज़ अधिकारी को पुरानी और ऐतिहासिक वस्तुएँ इकट्ठा करने का शौक था। उसने पहले भी इस तरह की वस्तुएँ खरीदी थीं, जैसे कि जहाँगीरी अंडा। वह इस लोटे को भी अपने संग्रह में शामिल करना चाहता था।
- दिखावा: वह अपने दोस्तों को दिखाना चाहता था कि वह भी भारत से मूल्यवान और पुरानी चीजें खरीद सकता है। इस तरह वह अपने दोस्तों से बेहतर साबित करना चाहता था।
- अहंकार: अंग्रेज़ अधिकारी को लगा कि वह भारतीयों से ज्यादा समझदार है और वह उन्हें आसानी से बेवकूफ बना सकता है।
प्राय अनुमान और कल्पना
1. “ इस भेद को मेरे सिवाए मेरा ईश्वर ही जानता है। आप उसी से पूछ लीजिए। मैं नहीं बताऊँगा। “
उत्तर :
बिलवासी जी ने यह बात किससे और क्यों कही ? लिखिए ।
बिलवासी जी ने यह बात अंग्रेज़ अधिकारी को इसलिए कही ताकि वे अपने झूठ को बनाए रख सकें और अंग्रेज़ अधिकारी को चुप करा सकें। इस वाक्य के माध्यम से लेखक ने हमें झूठ बोलने के परिणामों के बारे में बताया है।
2. “ उस दिन रात्रि में बिलवासी जी को देर तक नींद नहीं आई। “
समस्या झाऊलाल की थी और नींद बिलवासी की उड़ी तो क्यों ? लिखिए।
उत्तर :
कहानी “अकबरी लोटा” में बिलवासी जी को उस रात देर तक नींद नहीं आने का मुख्य कारण उनकी पत्नी के संदूक से रुपये लेना था। उन्होंने लाला झाऊलाल की मदद करने के लिए अपनी पत्नी के संदूक से रुपये निकाले थे।
3. ” लेकिन मुझे इसी जिंदगी में चाहिए। “
‘अजी इसी सप्ताह में ले लेना । “
“सप्ताह से आपका तात्पर्य सात दिन से है या सात वर्ष से?”
झाऊलाल और उनकी पत्नी के बीच की इस बातचीत से क्या पता चलता है? लिखिए।
उत्तर :
झाऊलाल और उनकी पत्नी के बीच हुई इस बातचीत से कई बातें पता चलती हैं। सबसे पहले, यह स्पष्ट होता है कि झाऊलाल की पत्नी बेहद धैर्यहीन है। वह तुरंत ही पैसे लेना चाहती है और झाऊलाल को थोड़ा समय देने को तैयार नहीं है। इसका मतलब है कि वह बहुत जल्दबाजी में है और उसे चीजें तुरंत चाहिए होती हैं।
दूसरा, झाऊलाल अपनी पत्नी के इस स्वभाव से अच्छी तरह वाकिफ हैं। वह जानते हैं कि उनकी पत्नी को शांत करने के लिए उन्हें क्या कहना चाहिए। इसलिए वे अपनी पत्नी को यह कहकर शांत करने की कोशिश करते हैं कि वे उसे पैसे इसी सप्ताह में दे देंगे।
क्या होता यदि
1. अंग्रेज़ लोटा न खरीदता ?
उत्तर :
यदि अंग्रेज़ अधिकारी लोटा नहीं खरीदता, तो कहानी का अंत काफी अलग होता। लाला झाऊलाल की पत्नी को पैसे नहीं मिल पाते और उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाता। बिलवासी जी को भी अपनी पत्नी से चोरी किए गए पैसे वापस करने की चिंता सताती रहती। कहानी का हास्यपूर्ण पहलू भी खत्म हो जाता, क्योंकि अंग्रेज़ अधिकारी की मूर्खता और बिलवासी जी की चतुराई के कारण ही कहानी में हास्य पैदा होता है। इस तरह, अंग्रेज़ अधिकारी द्वारा लोटा खरीदना कहानी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होता है।
2. यदि अंग्रेज़ पुलिस को बुला लेता ?
उत्तर :
यदि अंग्रेज़ अधिकारी पुलिस को बुला लेता, तो लाला झाऊलाल और बिलवासी जी दोनों को झूठी जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तारी हो सकती थी। अंग्रेज़ अधिकारी के पास सबूत भी थे, क्योंकि उसने लोटा खरीदा था।
इस स्थिति में, दोनों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता था। उन्हें समाज में भी बदनामी का सामना करना पड़ता। कहानी का हास्यपूर्ण पहलू भी खत्म हो जाता, और यह एक गंभीर सामाजिक मुद्दा बन जाता।
3. जब बिलवासी अपनी पत्नी के गले से चाबी निकाल रहे थे, तभी उनकी पत्नी जाग जाती ?
उत्तर :
यदि बिलवासी जी की पत्नी जाग जाती, तो कहानी का पूरा रुख बदल जाता। पत्नी के गुस्से का सामना करना पड़ता, घर में कलह का माहौल बन जाता, और लाला झाऊलाल की मदद अधूरी रह जाती। बिलवासी जी को समाज में भी बदनामी का सामना करना पड़ सकता था। कहानी का हास्यपूर्ण पहलू खत्म हो जाता, और यह एक गंभीर सामाजिक मुद्दा बन जाता। इस तरह, एक छोटी सी गलती के कारण बिलवासी जी को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता था। यह हमें सिखाता है कि ईमानदारी ही सबसे अच्छा नीति है।
पता कीजिए
1. “ अपने वेग में उल्का को लजाता हुआ वह आँखों से ओझल हो गया । ” उल्का क्या होती है ? उल्का और ग्रहों में कौन-कौन सी समानताएँ और अंतर होते हैं?
उत्तर :
उल्का एक चमकदार पिंड है जो अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है और घर्षण के कारण जल जाता है। इसे अक्सर ‘टूटता तारा’ भी कहा जाता है।
उल्का और ग्रहों में कुछ समानताएँ तो हैं, लेकिन कई अंतर भी हैं:
- समानताएँ:
- दोनों ही आकाशीय पिंड हैं।
- दोनों ही अंतरिक्ष में पाए जाते हैं।
- दोनों ही चट्टानी पदार्थों से बने होते हैं।
- अंतर:
- आकार: ग्रह बहुत बड़े होते हैं, जबकि उल्काएं छोटे टुकड़े होती हैं।
- कक्षा: ग्रह एक निश्चित कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करते हैं, जबकि उल्काओं की कोई निश्चित कक्षा नहीं होती।
- वायुमंडल: ग्रहों का अपना वायुमंडल होता है, जबकि उल्काएं वायुमंडल में प्रवेश करने पर जल जाती हैं।
- संरचना: ग्रहों की संरचना जटिल होती है, जबकि उल्काएं साधारण चट्टान या धातु के टुकड़े हो सकते हैं।
3. अपने घर या कक्षा की किसी पुरानी चीज़ के बारे में ऐसी ही कोई मजेदार कहानी बनाइए ।
उत्तर :
दादी की पिटारी का राज़
हमारे घर में एक पुरानी, लकड़ी की पिटारी है। यह इतनी पुरानी है कि इसकी लकड़ी का रंग फीका पड़ चुका है और कुछ जगहों पर दरारें भी पड़ गई हैं। दादी कहती हैं कि यह पिटारी उनकी नानी की थी और यह बहुत ही कीमती है।
जब मैं छोटा था, तो मैं इस पिटारी को खोलने की कोशिश करता रहता था। लेकिन दादी हमेशा मना कर देती थीं। वे कहती थीं, “बेटा, यह पिटारी बहुत पुरानी है, इसे खोलने से इसमें रखी चीजें खराब हो जाएंगी।”
एक दिन, दादी घर नहीं थीं और मैं अकेला घर पर था। मुझे मौका मिल गया और मैंने पिटारी खोलने की कोशिश की। बहुत कोशिश करने के बाद आखिरकार मैंने पिटारी का ताला तोड़ दिया।
पिटारी खोलते ही मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं। पिटारी के अंदर बहुत सारी पुरानी चीजें थीं। कुछ पीले रंग के कागज थे जिन पर कुछ लिखा हुआ था, कुछ पुराने सिक्के थे और एक छोटी सी गुड़िया भी थी।
मैंने उन कागजों को पढ़ने की कोशिश की, लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आया। सिक्कों को देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। मैंने सोचा कि मैं इन सिक्कों से कोई खिलौना खरीद लूंगा।
जब दादी घर लौटीं तो उन्होंने पिटारी खोली हुई देखी। वे बहुत गुस्सा हुईं। उन्होंने मुझे डांटा और कहा कि मैंने बहुत बुरा काम किया है। मैंने उन्हें सारी बात बताई। उन्होंने मुझे समझाया कि ये कागज उनकी नानी के लिखे हुए पत्र थे और ये सिक्के बहुत पुराने थे।
उस दिन के बाद से, मैंने कभी भी पिटारी को नहीं छुआ। अब मुझे समझ में आ गया था कि यह पिटारी हमारे परिवार के लिए कितनी कीमती है।
4. बिलवासी जी ने जिस तरीके से रुपयों का प्रबंध किया, वह सही था या गलत ?
उत्तर :
हालांकि, बिलवासी जी ने यह सब लाला झाऊलाल की मदद करने के लिए किया था। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्होंने जो किया वह सही था। किसी की मदद करने के लिए भी हमें गलत काम नहीं करना चाहिए।
भाषा की बात
1. इस कहानी में लेखक ने जगह-जगह पर सीधी-सी बात कहने के बदले रोचक मुहावरों, उदाहरणों आदि के द्वारा कहकर अपनी बात को और अधिक मजेदार/रोचक बना दिया है। कहानी से वे वाक्य चुनकर लिखिए जो आपको सबसे अधिक मजेदार लगे।
उत्तर :
“लाला झाऊलाल का जी एक बार ज़ोर से सनसनाया और फिर बैठ गया।” – यह वाक्य लाला झाऊलाल की उलझन और परेशानी को बहुत ही प्रभावी ढंग से दर्शाता है।
“अपने मन में वह क्या सोचेगी, उसकी नज़रों में उसका क्या मूल्य रह जाएगा।” – यह वाक्य लाला झाऊलाल की अपनी पत्नी के प्रति सम्मान और उसकी चिंता को दर्शाता है।
“लाला झाऊलाल तिलमिला उठे।” – यह मुहावरा लाला झाऊलाल की बेचैनी और चिंता को बखूबी बयान करता है।
“अजी हटो, ढाई सौ रुपए के लिए भाई से भीख माँगोगी, मुझसे ले लेना। लेकिन मुझे इसी ज़िंदगी में चाहिए।” – लाला झाऊलाल का यह अहंकारी स्वर और उनकी बातचीत का अंदाज़ बहुत ही हास्यास्पद है।
2. इस कहानी में लेखक ने अनेक मुहावरों का प्रयोग किया है। कहानी में से पाँच मुहावरे चुनकर उनका प्रयोग करते हुए वाक्य लिखिए ।
उत्तर :
“लाला झाऊलाल का जी एक बार ज़ोर से सनसनाया और फिर बैठ गया।”
- उदाहरण: जब परीक्षा का परिणाम आया तो मेरा जी भी एक बार ज़ोर से सनसनाया और फिर बैठ गया।
“लाला झाऊलाल तिलमिला उठे।”
- उदाहरण: जब बस छूट गई तो मैं तिलमिला उठा।
“अकबर बादशाह बने तो उन्होंने उस ब्राह्मण का पता लगा लिया, जिस ब्राह्मण ने हुमायूँ को इस लोटे से पानी पीला कर उसकी जान बचाई थी।” (यह पूरी कहानी ही एक मुहावरे जैसी है)
- उदाहरण: वह इतनी बड़ी बात को इतनी आसानी से कर गया मानो उसने अकबर बादशाह का पता लगा लिया हो।
“अपने मन में वह क्या सोचेगी, उसकी नज़रों में उसका क्या मूल्य रह जाएगा।”
- उदाहरण: अगर मैंने परीक्षा में पास नहीं हुआ तो माँ की नज़र में मेरा क्या मूल्य रह जाएगा।
“अजी हटो, ढाई सौ रुपए के लिए भाई से भीख माँगोगी, मुझसे ले लेना। लेकिन मुझे इसी ज़िंदगी में चाहिए।”
उदाहरण: थोड़ी सी बात के लिए तुम इतना बवाल क्यों कर रहे हो, मानो दुनिया खत्म हो जाए।