Saturday, January 18, 2025

उत्साह और अट नहीं रही

- Advertisement -spot_imgspot_img
- Advertisement -spot_img

उत्साह

सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता “उत्साह” में उत्सव की पूर्व संध्या पर व्याप्त उत्साह का वर्णन किया गया है। कविता में उत्साह को उगते सूर्य से तुलना की गई है। लोग उत्सव की तैयारियों में जुटे हुए हैं, अपने घरों की सफाई कर रहे हैं और उन्हें आम के पत्तों और फूलों से सजा रहे हैं। उत्साह इतना व्यापक है कि पशु-पक्षी भी खुश लग रहे हैं। कविता का अंत इस विचार पर होता है कि यह उत्साह जीवन का सार है।

अट नहीं रही

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता “अट नहीं रही” में सच्चे प्रेम में आत्म-सम्मान का विलुप्त हो जाना दर्शाया गया है। कवि कहते हैं कि प्रेम की तीव्रता से उनका अहंकार पिघल गया है जैसे गर्मी में बर्फ पिघल जाती है। अब उन्हें सांसारिक चीजों या सामाजिक प्रतिष्ठा की कोई परवाह नहीं है। उनके लिए केवल प्रियतम का प्रेम ही सर्वोपरि है। कवि अपने प्रेम को एक निर्बाध रूप से बहती नदी से तुलना करते हैं।

प्रश्न- अभ्यास

उत्साह

1. कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने के लिए कहता है, क्यों?

उत्तर :

कवि बादल से गरजने के लिए कहता है क्योंकि गरजना विद्रोह, शक्ति और परिवर्तन का प्रतीक है। वह चाहता है कि प्रकृति की तरह मानव भी अन्याय के विरुद्ध खड़ा हो और समाज में बदलाव लाए। गरजना जागृति का भी प्रतीक है, कवि चाहता है कि लोग जागृत हों और अपने अधिकारों के लिए लड़ें।

2. कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है ?

उत्तर :

कविता का शीर्षक “उत्साह” इसलिए रखा गया है क्योंकि यह पूरी कविता में व्याप्त प्रमुख भाव है। कविता में बादलों की गर्जना को शक्ति और परिवर्तन का प्रतीक बताया गया है, जो लोगों में उत्साह और जोश जगाता है। यह उत्साह न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि समाज में भी बदलाव लाने की प्रेरणा प्रदान करता है। कविता में बारिश की उम्मीद भी इस उत्साह को और अधिक बढ़ाती है, क्योंकि बारिश नए जीवन और परिवर्तन का प्रतीक है। इसके अलावा, कविता में विद्रोह और परिवर्तन का आह्वान भी किया गया है, जो लोगों को एकजुट होकर अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करता है। इस प्रकार, “उत्साह” कविता का शीर्षक पूरी तरह से उपयुक्त है क्योंकि यह कविता के मूल भाव को सटीक रूप से प्रतिबिंबित करता है।

3. कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?

उत्तर :

“उत्साह” कविता में बादल विशेष रूप से परिवर्तन, विद्रोह और उत्साह का प्रतीक है। कवि बादल से गरजने के लिए कहता है, जो समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ विद्रोह का आह्वान है। बादल यहां नई शुरुआत और परिवर्तन का प्रतीक है।

4. शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है, छाँटकर लिखें।

उत्तर :

  • घेर घेर घोर गगन: इस पंक्ति में ‘घेर’ शब्द की पुनरावृत्ति बादलों के घिरने की तीव्रता को दर्शाती है और एक भव्य दृश्य प्रस्तुत करती है।
  • ललित-ललित, काले घुँघराले, बाल कल्पना के से पाले: इन शब्दों में ‘ललित’ और ‘घुँघराले’ शब्दों की पुनरावृत्ति बादलों के कोमल और लहराते रूप को दर्शाती है।
  • विकल विकल, उन्मन थे उन्मन: इन शब्दों में ‘विकल’ और ‘उन्मन’ शब्दों की पुनरावृत्ति लोगों की बेचैनी और उत्साह को दर्शाती है।
  • वज्र छिपा, नूतन कविता फिर भर दो बादल गरजो: इस पंक्ति में ‘वज्र’, ‘नूतन’, ‘गरजो’ जैसे शब्द शक्ति, नवीनता और आवाज को दर्शाते हैं।

रचना और अभिव्यक्ति

5. जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए ।

उत्तर :

सूरज ढलता, आकाश लाल

मन मेरा भी हुआ उदास।

बादल छाये, बरसा मेघ,

मन मेरा भी हुआ बेचैन।

नदी का जल बहता हुआ,

मन मेरा भी बह निकला।

पहाड़ की चोटी पर चढ़कर,

मैंने जीवन को देखा।

हरियाली चारों ओर फैली,

मन मेरा भी हरा-भरा हुआ।

पंछियों का कलरव, झरने का जल,

मन मेरा भी संगीत बन गया।

यह प्रकृति का सौंदर्य,

मन को करता है प्रफुल्लित।

मैं लिखता हूँ कविता,

अपने मन की बात।

अट नहीं रही है

1. छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए ।

उत्तर :

‘अट नहीं रही है’ कविता में छायावाद की एक प्रमुख विशेषता स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है: अंतर्मन के भावों का बाहरी दुनिया से सामंजस्य। कविता में प्रकृति के सौंदर्य को कवि के आंतरिक अनुभवों से गहराई से जोड़ा गया है। उदाहरण के लिए, “फागुन की आभा” कवि के मन में उठी भावनाओं से अविभाज्य हो गई है। पेड़ों पर लगे रंग-बिरंगे पत्ते और फूल कवि के मन में उमड़ रही रंग-बिरंगी भावनाओं का प्रतिबिंब हैं। कवि कहता है कि प्रकृति की सुंदरता इतनी अधिक है कि वह उसके मन में समा नहीं पा रही है, जिससे प्रकृति और मन की एकता का सुंदर चित्रण होता है। यह छायावाद की एक प्रमुख विशेषता है, जहां कवि प्रकृति को मानव मन का प्रतिबिंब मानता है और प्रकृति में अपनी ही भावनाओं को खोजता है।

2. कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है ?

उत्तर :

कवि की आँख फागुन की सुंदरता से इसलिए नहीं हट रही है क्योंकि फागुन का महीना प्रकृति के सौंदर्य का चरमोत्कर्ष है। चारों ओर हरियाली छाई होती है, रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं और मौसम का सुहावनापन मन को मोहित कर लेता है। पेड़ों पर नए पत्ते आते हैं, हल्की ठंडी हवा और धूप का मिश्रण कवि को प्रसन्न करता है। फागुन का महीना नए जीवन और उत्सव का प्रतीक है, जो कवि के मन में एक विशेष उत्साह और आनंद का संचार करता है। इसीलिए कवि की आँखें इस मनोहर दृश्य से हटने को तैयार नहीं होतीं।

3. प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?

उत्तर :

प्रकृति की व्यापकता को कवि विभिन्न रूपों में चित्रित करता है। वह आकाश, बादल, सूर्य, चंद्रमा, पहाड़, नदी, पेड़-पौधे आदि का वर्णन कर उसकी विशालता को दर्शाता है। विभिन्न ऋतुओं में प्रकृति के बदलावों का वर्णन करते हुए वह उसकी गतिशीलता को उजागर करता है। पशु-पक्षियों, कीड़ों-मकोड़ों का वर्णन प्रकृति की विविधता को दर्शाता है। तूफान, बारिश, सूखा जैसी प्राकृतिक घटनाओं का वर्णन करते हुए कवि प्रकृति की शक्ति को उजागर करता है। प्रकृति के साथ मानव के संबंधों को दर्शाते हुए वह प्रकृति के महत्व को रेखांकित करता है। अक्सर प्रकृति मानवीय भावनाओं और अनुभवों का प्रतीक भी होती है। उदाहरण के लिए, बादल उदासी का प्रतीक हो सकता है, जबकि सूर्य खुशी का प्रतीक हो सकता है।

4. फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है ?

उत्तर :

फागुन का महीना अन्य ऋतुओं से अपनी विशिष्ट विशेषताओं के कारण भिन्न होता है। यह वसंत ऋतु का अंतिम महीना है और प्रकृति में नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है। फागुन में रंगों का समागम देखने को मिलता है, खेतों में फसलें पकने लगती हैं और पेड़ों पर नए पत्ते आते हैं। हल्की ठंडी हवा और धूप का मिश्रण इस मौसम को सुहावना बनाता है। फागुन का महीना होली के त्योहार के साथ भी जुड़ा हुआ है, जहां रंगों से खेला जाता है और खुशियाँ मनाई जाती हैं। यह ऋतु परिवर्तन का समय भी है, जिसके बाद गर्मी का मौसम प्रारंभ होता है। किसानों के लिए भी फागुन का महीना महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय फसलें पकने लगती हैं। इस प्रकार, रंगों का समागम, सुहावना मौसम, होली का त्योहार और नए जीवन की शुरुआत फागुन को अन्य ऋतुओं से विशिष्ट बनाते हैं।

5. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य – शिल्प की विशेषताएँ लिखिए ।

उत्तर :

निराला की कविताओं में प्रकृति का मानवीकरण, अंतर्मन की गहन अभिव्यक्ति, प्रतीकात्मकता, सरल भाषा, स्वतंत्र छंद और ध्वनि-सौंदर्य प्रमुख विशेषताएं हैं।

रचना और अभिव्यक्ति

6. होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए ।

उत्तर :

होली के आसपास प्रकृति में कई सुंदर परिवर्तन देखने को मिलते हैं। यह वसंत ऋतु का समय है, जब पेड़ों पर नए पत्ते आते हैं और रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं। खेतों में फसलें पकने लगती हैं और बगीचे फूलों से भर जाते हैं। तापमान में वृद्धि होती है और हवा में नमी बढ़ जाती है, जिससे वातावरण सुहावना हो जाता है। पक्षी अधिक चहचहाने लगते हैं और कीड़े-मकोड़े भी सक्रिय हो जाते हैं। नदियों में पानी का बहाव बढ़ जाता है और जंगल हरे-भरे हो जाते हैं। इस प्रकार, होली के आसपास प्रकृति में नए जीवन की शुरुआत होती है, जो चारों ओर उत्साह और उमंग का संचार करता है।

- Advertisement -spot_imgspot_img
Dr. Upendra Kant Chaubey
Dr. Upendra Kant Chaubeyhttps://education85.com
Dr. Upendra Kant Chaubey, An exceptionally qualified educator, holds both a Master's and Ph.D. With a rich academic background, he brings extensive knowledge and expertise to the classroom, ensuring a rewarding and impactful learning experience for students.
Latest news
- Advertisement -spot_img
Related news
- Advertisement -spot_imgspot_img