Saturday, December 21, 2024

क्या निराश हुआ जाए

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इस कहानी में, लेखक एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताता है जो जीवन में कई बार असफल हुआ है। लेकिन वह कभी हार नहीं मानता और हर बार उठ खड़ा होता है। वह अपने अनुभवों से सीखता है और आगे बढ़ता रहता है।

कहानी का मुख्य संदेश है कि असफलताएं जीवन का एक हिस्सा हैं और हमें उनसे डरना नहीं चाहिए। असफलता से सीखना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। हमें अपने लक्ष्यों के प्रति दृढ़ रहना चाहिए और कड़ी मेहनत करनी चाहिए।

कहानी में लेखक ने बताया है कि असफलताएं हमें मजबूत बनाती हैं और हमें सफलता की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। हमें अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए और कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।

आपके विचार से

1. लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं है। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?

उत्तर :

1. जीवन का अनुभव: हो सकता है लेखक ने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हों और विभिन्न परिस्थितियों का सामना किया हो। इन अनुभवों ने उन्हें मजबूत बनाया होगा और उन्हें धोखे जैसी घटनाओं से निपटने की क्षमता दी होगी।

2. सकारात्मक दृष्टिकोण: लेखक का दृष्टिकोण बहुत सकारात्मक हो सकता है। वह जीवन में होने वाली नकारात्मक घटनाओं को एक अवसर के रूप में देखता होगा, जिससे वह सीख सकता है और आगे बढ़ सकता है।

3. आत्मविश्वास: लेखक में आत्मविश्वास की कमी नहीं होगी। वह अपनी क्षमताओं पर विश्वास करता होगा और जानता होगा कि वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है।

4. जीवन के प्रति दृष्टिकोण: हो सकता है लेखक जीवन को बहुत गहराई से समझता हो और उसे पता हो कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। वह इन उतार-चढ़ावों को जीवन का एक अभिन्न हिस्सा मानता होगा।

5. लक्ष्य: लेखक का कोई स्पष्ट लक्ष्य हो सकता है, जिसकी ओर वह अग्रसर है। धोखा जैसी छोटी-मोटी बाधाएं उसे अपने लक्ष्य से भटकने नहीं देतीं।

 2. समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और टेलीविज़न पर आपने ऐसी अनेक घटनाएँ देखी – सुनी होंगी जिनमें लोगों ने बिना किसी लालच के दूसरों की सहायता की हो या ईमानदारी से काम किया हो। ऐसे समाचार तथा लेख एकत्रित करें और कम-से-कम दो घटनाओं पर अपनी टिप्पणी लिखें।

उत्तर :

घटना 1: कोरोना महामारी के दौरान, कई डॉक्टरों और नर्सों ने अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना मरीजों का इलाज किया।

टिप्पणी: डॉक्टरों और नर्सों ने बिना किसी स्वार्थ के लोगों की सेवा की। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए दिन-रात काम किया। इस घटना से हमें प्रेरणा मिलती है कि हम भी दूसरों की मदद के लिए आगे आ सकते हैं।

घटना 2: एक रिक्शावाले ने एक बैंक से भूलकर छूट गए पैसे लौटा दिए।

टिप्पणी: रिक्शावाले ने ईमानदारी का परिचय देते हुए पैसे लौटा दिए। इस घटना से हमें पता चलता है कि ईमानदारी अभी भी हमारे समाज में मौजूद है।

3. लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे के टिकट बाबू और बस कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई है। आप भी अपने या अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताइए जिसमें किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई, ईमानदारी और अच्छाई के कार्य किए हों।

उत्तर :

हमारे शहर में एक ऑटो चालक रहते हैं, जिनका नाम रामू है। रामू जी बहुत ही मिलनसार और ईमानदार व्यक्ति हैं। एक बार, मैं बाजार से घर लौट रही थी और मेरा पर्स गायब हो गया। मुझे बहुत दुःख हुआ क्योंकि मेरे पर्स में मेरी सारी नगदी और कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ थे। मैंने बहुत खोजा, लेकिन मेरा पर्स कहीं नहीं मिला।

मैं बहुत निराश होकर घर आ गई। अगले दिन, मुझे रामू जी का फोन आया। उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें मेरा पर्स मिला है और वह मुझे वापस देना चाहते हैं। मैं बहुत खुश हुई और मैंने उनसे मिलने के लिए कहा। जब मैं उनके पास गई, तो उन्होंने मुझे मेरा पर्स बिना कुछ मांगे वापस दे दिया। मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और उन्हें एक छोटी सी राशि देने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने लेने से इनकार कर दिया।

रामू जी ने मुझे बताया कि उन्हें मेरा पर्स सड़क पर मिला था और उन्होंने तुरंत यह सोचा कि यह किसी का खोया हुआ पर्स होगा। उन्होंने पर्स में मेरा पता देखा और मुझे वापस देने के लिए आए।

रामू जी की इस ईमानदारी ने मुझे बहुत प्रभावित किया। आजकल के समय में ईमानदारी जैसा गुण बहुत कम देखने को मिलता है। रामू जी जैसे लोगों के कारण हमें मानवता पर विश्वास बना रहता है।

पर्दाफ़ाश

1. दोषों का पर्दाफ़ाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?

उत्तर :

दोषों का पर्दाफाश करना एक नाजुक विषय है। यह तभी उचित होता है जब इसका उद्देश्य सत्य की खोज, न्याय स्थापना, या समाज की भलाई हो। हालांकि, अगर पर्दाफाश का उद्देश्य बदनाम करना, बदला लेना, या निजी लाभ हासिल करना हो, तो यह नैतिक रूप से गलत और हानिकारक हो सकता है।

पर्दाफाश करने से व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर नुकसान हो सकता है। यह व्यक्ति की प्रतिष्ठा को धूमिल कर सकता है, उनके रिश्तों को खराब कर सकता है, और समाज में अनावश्यक तनाव पैदा कर सकता है। इसलिए, पर्दाफाश करते समय सावधानी बरतनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि यह सत्य पर आधारित हो और सकारात्मक परिणाम लाए।

2. आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफ़ाश’ कर रहे हैं। इस प्रकार के समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए ?

उत्तर :

दोषों का पर्दाफ़ाश एक शक्तिशाली उपकरण है, लेकिन इसका उपयोग सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। मीडिया को सत्य और तथ्यों पर आधारित खबरें देनी चाहिए और लोगों के निजी जीवन का सम्मान करना चाहिए। साथ ही, सरकार को भी भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।

कारण बताइए

निम्नलिखित के संभावित परिणाम क्या – क्या हो सकते हैं ? आपस में चर्चा कीजिए, जैसे – “ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है।” परिणाम – भ्रष्टाचार बढ़ेगा।

1. “ सचाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है। “…………

2. “ झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं। ” ………..

3. “हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम। “…………

उत्तर :

1.

  • झूठ का बोलबाला: लोग सच बोलने से बचेंगे और अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए झूठ बोलने को प्राथमिकता देंगे।
  • अविश्वास का माहौल: जब लोग सच बोलने से कतराएंगे तो आपस में विश्वास कम होगा और समाज में अविश्वास का माहौल पैदा होगा।
  • संबंधों में दरार: झूठ और छल से रिश्तों में दरार आएगी और लोग एक-दूसरे पर भरोसा नहीं कर पाएंगे।
  • न्याय प्रणाली कमजोर: न्याय प्रणाली भी प्रभावित होगी क्योंकि गवाह झूठ बोलने से नहीं हिचकिचाएंगे।

2. 

  • भ्रष्टाचार में वृद्धि: झूठ बोलकर और धोखा देकर लोग आसानी से लाभ कमा सकते हैं, जिससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा।
  • अनैतिक व्यवहार: समाज में अनैतिक व्यवहार आम हो जाएगा क्योंकि लोग सफलता के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहेंगे।
  • कानून का राज कमजोर: कानून का राज कमजोर होगा क्योंकि लोग कानून को धोखा देने के तरीके खोजेंगे।
  • समाज में असमानता: झूठ बोलकर और धोखा देकर कुछ लोग अमीर बन जाएंगे जबकि अधिकांश लोग गरीब ही रह जाएंगे, जिससे समाज में असमानता बढ़ेगी।

3.

  • नकारात्मक सोच: लोगों में नकारात्मक सोच बढ़ेगी और वे दूसरों पर भरोसा करना बंद कर देंगे।
  • अलगाव: लोग एक-दूसरे से दूर होते जाएंगे और अकेलापन महसूस करेंगे।
  • समाज में अविश्वास: समाज में अविश्वास का माहौल बनेगा और लोग एक-दूसरे के प्रति संदेह की नजर से देखेंगे।
  • समाज सेवा का भाव कमजोर: लोग समाज सेवा के कार्यों से दूर होते जाएंगे क्योंकि उन्हें लगेगा कि कोई उनकी मदद नहीं करेगा।

 दो लेखक और बस यात्रा

आपने इस लेख में एक बस की यात्रा के बारे में पढ़ा। इससे पहले भी आप एक बस यात्रा के बारे में पढ़ चुके हैं।यदि दोनों बस यात्राओं के लेखक आपस में मिलते तो एक-दूसरे को कौन-कौन सी बातें बताते ? अपनी कल्पना से उनकी बातचीत लिखिए।

उत्तर : 

लेखक 1: नमस्ते, आपकी किताब मैंने पढ़ी है। आपकी बस यात्रा का वर्णन वाकई बहुत खूबसूरत था। मैंने भी एक बार बस यात्रा की थी और आपकी कहानी पढ़कर मुझे मेरी यात्रा याद आ गई।

लेखक 2: अरे, आपने मेरी किताब पढ़ी है? बहुत खुशी हुई। आपकी यात्रा कैसी रही? आपने कहां तक यात्रा की थी?

लेखक 1: मैंने दिल्ली से कश्मीर तक की यात्रा की थी। बस की खिड़की से बाहर का नज़ारा बहुत ही मनमोहक था। खासकर, जब हम पहाड़ों पर चढ़ रहे थे।

लेखक 2: वाह! कश्मीर तो बहुत खूबसूरत जगह है। मैंने तो हिमाचल प्रदेश तक की यात्रा की थी। वहां के सेब के बाग बहुत अच्छे लगते थे।

लेखक 1: हां, मैंने भी कश्मीर के सेब के बाग देखे थे। आपने अपनी यात्रा में सबसे यादगार क्या अनुभव किया?

लेखक 2: मुझे तो सबसे ज्यादा एक छोटे से गांव में रात बिताना याद है। वहां के लोगों ने हमारी बहुत मेहमानवाजी की थी। उन्होंने हमें स्थानीय खाना खिलाया और अपने घर में रुकने के लिए कहा था।

लेखक 1: यह तो बहुत अच्छा अनुभव रहा होगा। मैंने भी एक बार एक छोटे से कस्बे में रुका था। वहां के लोग बहुत ही मिलनसार थे। उन्होंने हमें अपनी स्थानीय भाषा में बातचीत करने की कोशिश की थी।

लेखक 2: हां, यात्रा के दौरान हम कई तरह के लोगों से मिलते हैं। उनकी संस्कृति और रीति-रिवाजों के बारे में जानना बहुत ही रोमांचक होता है।

लेखक 1: बिल्कुल। यात्रा से हमें न केवल नए लोगों से मिलने का मौका मिलता है बल्कि हम खुद के बारे में भी बहुत कुछ सीखते हैं।

लेखक 2: आपने बिल्कुल सही कहा। यात्रा हमें जीवन के बारे में एक नया नजरिया देती है।

लेखक 1: तो, आपकी अगली यात्रा कहां की होगी?

लेखक 2: मुझे तो अभी तक कोई ठोस योजना नहीं है, लेकिन मैं दक्षिण भारत की यात्रा करने का सोच रहा हूं।

लेखक 1: दक्षिण भारत बहुत खूबसूरत है। वहां के मंदिर और समुद्र तट देखने लायक हैं।

लेखक 2: आपने कभी दक्षिण भारत की यात्रा की है?

लेखक 1: अभी तक नहीं, लेकिन मैं जरूर जाना चाहूंगा।

लेखक 2: तो, चलिए कभी साथ मिलकर दक्षिण भारत की यात्रा करते हैं।

लेखक 1: यह बहुत अच्छा विचार है।

सार्थक शीर्षक

1. लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ क्यों रखा होगा? क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?

उत्तर : 

निराशा से मुक्ति: यह शीर्षक अधिक सकारात्मक है और पाठक को निराशा से बाहर निकलने के तरीके बताता है।

आशा की किरण: यह शीर्षक पाठक को यह बताता है कि हर स्थिति में आशा की किरण होती है।

जीवन की चुनौतियों का सामना: यह शीर्षक पाठक को जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करता है।

मुश्किलों में भी मुस्कुराना: यह शीर्षक पाठक को मुश्किल परिस्थितियों में भी मुस्कुराना सिखाता है।

अंधेरे में उजाला: यह शीर्षक निराशा को अंधेरे से और आशा को उजाले से जोड़ता है।

2. यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद कोई विराम चिह्न लगाने के लिए कहा जाए तो आप दिए गए चिह्नों में से कौन-सा चिह्न लगाएँगे? अपने चुनाव का

कारण भी बताइए । ! , ? , ; – , …. , I

उत्तर : 

यदि “क्या निराश हुआ जाए” वाक्य के बाद कोई विराम चिह्न लगाना हो, तो सबसे उपयुक्त विकल्प प्रश्नवाचक चिह्न (?) होगा।

कारण:

  • प्रश्नवाचक वाक्य: यह वाक्य एक प्रश्न पूछ रहा है। “क्या” शब्द के प्रयोग से स्पष्ट है कि यह एक प्रश्नवाचक वाक्य है।
  • अर्थ की पूर्णता: प्रश्नवाचक चिह्न लगाने से वाक्य का अर्थ पूरा होता है और यह स्पष्ट हो जाता है कि यह एक प्रश्न है जिसका उत्तर दिया जाना है।

आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है । ” क्या आप इस

बात से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए ।

उत्तर : 

हाँ, मैं पूरी तरह से इस बात से सहमत हूँ कि आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है, पर उन पर चलना बहुत कठिन है।

आदर्श हमारी सोच के उच्चतम स्तर होते हैं, वे हमें बताते हैं कि हमें किस तरह का जीवन जीना चाहिए। लेकिन इन आदर्शों को वास्तविक जीवन में लागू करना हमेशा आसान नहीं होता। इसके कई कारण हैं:

  • परिस्थितियां: हमारे आसपास की परिस्थितियां अक्सर हमारे आदर्शों के विरुद्ध होती हैं। हमें कई बार ऐसे फैसले लेने होते हैं जो हमारे आदर्शों के विपरीत होते हैं, क्योंकि हमारी मजबूरी होती है।
  • लालच: मानवीय स्वभाव में लालच होता है। कई बार हम अपने आदर्शों को छोड़कर लालच में आ जाते हैं।
  • समाज का दबाव: समाज में रहते हुए हम पर कई तरह के दबाव होते हैं, जैसे परिवार, दोस्तों, या समाज का दबाव। ये दबाव हमें हमारे आदर्शों से भटका सकते हैं।

 सपनों का भारत

“हमारे महान मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा ।’

1. आपके विचार से हमारे महान विद्वानों ने किस तरह के भारत के सपने देखे थे? लिखिए।

उत्तर : 

हमारे महान विद्वानों ने भारत के लिए एक ऐसे भविष्य की कल्पना की थी जहाँ सभी को समान अधिकार हों, सभी धर्मों का सम्मान हो और सभी लोग मिलजुलकर रहें। वे एक ऐसे भारत का सपना देखते थे जो ज्ञान का केंद्र हो, जहाँ शिक्षा और संस्कृति का विकास हो।

उनके सपनों में एक ऐसा भारत था जहाँ सभी वर्गों के लोगों का विकास हो, जहाँ गरीबी और अज्ञानता का अंत हो। वे चाहते थे कि भारत एक ऐसा देश बने जहाँ न्याय का राज हो और सभी को समान अवसर मिलें।

उन्होंने एक ऐसे भारत का सपना देखा था जो विश्व में शांति और भाईचारे का प्रतीक बने। एक ऐसा भारत जो अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत को दुनिया

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Dr. Upendra Kant Chaubey
Dr. Upendra Kant Chaubeyhttps://education85.com
Dr. Upendra Kant Chaubey, An exceptionally qualified educator, holds both a Master's and Ph.D. With a rich academic background, he brings extensive knowledge and expertise to the classroom, ensuring a rewarding and impactful learning experience for students.
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