Wednesday, February 5, 2025

संस्कृति

- Advertisement -spot_imgspot_img
- Advertisement -spot_img

“संस्कृति” अध्याय में संस्कृति की परिभाषा और उसके विभिन्न तत्वों, जैसे भाषा, धर्म, कला, साहित्य, रीति-रिवाज, सामाजिक मूल्य, खान-पान, वस्त्र, त्योहारों आदि का विस्तार से वर्णन किया गया होगा। भारत की बहु-सांस्कृतिक विविधता को भी इस अध्याय में उल्लेखित किया गया होगा, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों, धर्मों और समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला गया होगा। साथ ही, अध्याय में आधुनिकीकरण और वैश्वीकरण के प्रभावों के कारण सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की चुनौतियों और महत्व पर भी चर्चा की गई होगी। अंत में, अध्याय में सांस्कृतिक आदान-प्रदान के सकारात्मक पहलुओं को भी उजागर किया गया होगा, जैसे कि विचारों, ज्ञान और दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान, जिससे पारस्परिक समझ और समृद्धि बढ़ती है।

 प्रश्न- अभ्यास

1. लेखक की दृष्टि में ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?

उत्तर :

लेखक के अनुसार, ‘सभ्यता’ और ‘संस्कृति’ की सही समझ का अभाव मुख्यतः इन शब्दों के अस्पष्ट अर्थों और एक-दूसरे के स्थान पर अत्यधिक प्रयोग के कारण है। इन शब्दों के साथ जुड़े विशेषण (जैसे, भौतिक सभ्यता, भारतीय संस्कृति) और विभिन्न विद्वानों की अलग-अलग परिभाषाओं ने इस भ्रम को और बढ़ाया है। उदाहरण के लिए, “भारतीय संस्कृति” का क्या अर्थ है? क्या यह भारतीयों के रीति-रिवाजों को संदर्भित करता है या भारत के इतिहास को? इसी प्रकार, “पश्चिमी सभ्यता” का अर्थ भी स्पष्ट नहीं है।

2. आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज क्यों मानी जाती है? इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?

उत्तर :

आग की खोज मानव इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। इसने भोजन पकाने, गर्मी प्रदान करने, सुरक्षा प्रदान करने, रोशनी देने और औजार बनाने में मदद की। आग के आसपास इकट्ठा होकर मनुष्यों ने सामाजिक संबंधों को मजबूत किया। संभावित प्रेरणा स्रोतों में प्राकृतिक घटनाएं, भोजन पकाने की आवश्यकता, सुरक्षा, रोशनी और जिज्ञासा शामिल हैं। आग की खोज ने मानव जीवन को क्रांतिकारी रूप से बदल दिया और उन्हें सभ्यता की ओर अग्रसर किया।

3. वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है?

उत्तर :

वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ वह होता है जो ज्ञानी, सभ्य, नैतिक, सृजनात्मक और समाजसेवी होता है। वह अपनी संस्कृति को समझता है, अन्य संस्कृतियों का सम्मान करता है, और निरंतर सीखने के लिए तत्पर रहता है। वह नैतिक मूल्यों को महत्व देता है और समाज के विकास में योगदान देता है।

4. न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन से तर्क दिए गए हैं? न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?

न्यूटन को “संस्कृत मानव” इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की खोज कर नया ज्ञान सृजित किया। उनकी बुद्धि और रचनात्मकता असाधारण थी। हालांकि, अन्य लोग न्यूटन के सिद्धांतों को जानते हैं और उन पर आधारित नए सिद्धांत विकसित करते हैं, लेकिन वे मूल रूप से नया ज्ञान नहीं बना रहे हैं। “संस्कृत मानव” का अर्थ है वह व्यक्ति जिसने अपने क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण योगदान दिया हो, जैसे कि नया ज्ञान सृजित करना, नई तकनीक विकसित करना, या समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना। न्यूटन के अलावा, अल्बर्ट आइंस्टीन, लियोनार्डो दा विंसी आदि भी “संस्कृत मानव” के उदाहरण हैं। इस प्रकार, “संस्कृत मानव” होना किसी विशेष क्षेत्र या जाति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसी भी व्यक्ति के लिए संभव है जो अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करता है और समाज को कुछ मूल्यवान देता है।

5. किन महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सुई-धागे का आविष्कार हुआ होगा?

उत्तर :

सुई-धागे का आविष्कार मानव सभ्यता के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। इसकी आवश्यकता सबसे पहले वस्त्र निर्माण से उत्पन्न हुई। सुई-धागे ने मनुष्यों को कपड़े बनाने, आश्रय बनाने, सामाजिक पहचान स्थापित करने और कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए सहायता प्रदान की। इसके अलावा, यह अन्य उपयोगिताओं जैसे चीजों को जोड़ने और मरम्मत करने में भी सहायक साबित हुआ।

6.“मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है। ” किन्हीं दो प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जब-

(क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ की गईं।

(ख) जब मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया ।

उत्तर :

क) मानव संस्कृति को विभाजित करने की चेष्टाएँ:

  • जातिवाद और धर्म: इतिहास में जातिवाद और धर्म के नाम पर लोगों को विभाजित करने की कई कोशिशें हुई हैं। इन विभाजनों ने समाज में असमानता और संघर्ष पैदा किए हैं।
  • राष्ट्रवाद: अत्यधिक राष्ट्रवाद के कारण भी कई बार देशों के बीच तनाव और युद्ध हुए हैं, जिससे मानव संस्कृति को नुकसान पहुंचा है।

ख) मानव संस्कृति ने अपने एक होने का प्रमाण दिया:

  • ओलंपिक खेल: ओलंपिक खेलों में विभिन्न देशों के लोग एक साथ आते हैं और खेल भावना से प्रतिस्पर्धा करते हैं, जो मानव एकता का प्रतीक है।
  • प्राकृतिक आपदाओं के दौरान: प्राकृतिक आपदाओं के समय, विभिन्न देशों के लोग एकजुट होकर पीड़ितों की मदद करते हैं, जो मानवता की एकता का प्रमाण है।

7. आशय स्पष्ट कीजिए-

(क) मानव की जो योग्यता उससे आत्म-विनाश के साधनों का आविष्कार कराती है, हम उसे उसकी संस्कृति कहें या असंस्कृति ?

उत्तर :

मेरे विचार से, आत्म-विनाश के साधनों का निर्माण मानव सभ्यता का एक विकृत रूप है। हालांकि, यह मानव सभ्यता का एक हिस्सा है, इसे संस्कृति का सकारात्मक पहलू नहीं कहा जा सकता। यह एक चेतावनी है कि मानव सभ्यता को अपने कार्यों के परिणामों के बारे में सोचने की आवश्यकता है।

रचना और अभिव्यक्ति

8. लेखक ने अपने दृष्टिकोण से सभ्यता और संस्कृति की एक परिभाषा दी बारे में क्या सोचते हैं लिखिए।

उत्तर :

संस्कृति – मनुष्य द्वारा किया गया ऐसा कोई आविष्कार या नए तथ्य का ज्ञान, जो मानव कल्याण के लिए उपयोगी हो, उसे संस्कृति कहा जाता है। यह त्याग की भावना से समृद्ध और सशक्त होती है। संस्कृति का संबंध मनुष्य के आंतरिक मन से होता है।

सभ्यता – संस्कृति के प्रभाव से उत्पन्न परिणाम को सभ्यता कहा जाता है। हमारा खान-पान, जीवन जीने और मृत्यु को स्वीकार करने का तरीका, लड़ाई-झगड़े का स्वरूप, वस्त्र पहनने की शैली, तथा यात्रा के साधन और उनके उपयोग की विधि – ये सभी हमारी सभ्यता का हिस्सा हैं। सभ्यता मनुष्य की बाहरी विशेषताओं से जुड़ी होती है।

- Advertisement -spot_imgspot_img
Dr. Upendra Kant Chaubey
Dr. Upendra Kant Chaubeyhttps://education85.com
Dr. Upendra Kant Chaubey, An exceptionally qualified educator, holds both a Master's and Ph.D. With a rich academic background, he brings extensive knowledge and expertise to the classroom, ensuring a rewarding and impactful learning experience for students.
Latest news
- Advertisement -spot_img
Related news
- Advertisement -spot_imgspot_img