इस पाठ में, सूरदास के कुछ प्रसिद्ध पदों का संकलन दिया गया है। सूरदास एक महान भक्त कवि थे, जिन्होंने कृष्ण भक्ति के अद्भुत चित्रण किए हैं। उनके पदों में कृष्ण के बचपन, युवावस्था और प्रेम लीलाओं का वर्णन है।
सूरदास की भाषा सरल और भावपूर्ण है। उनके पदों में भक्ति, प्रेम, विरह, और आत्मसमर्पण के भाव प्रकट होते हैं। उन्होंने कृष्ण को एक सुंदर बालक, एक चंचल युवा और एक प्रेमी के रूप में चित्रित किया है।
सूरदास के पदों ने हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। उनकी भक्तिभावना और काव्य-कौशल ने उन्हें अमर कर दिया है।
पदों से
1. बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए?
उत्तर :
सूरदास जी के पदों में वर्णित बालक श्रीकृष्ण अत्यंत चंचल और शरारती स्वभाव के थे। वे दूध पीना पसंद नहीं करते थे। माता यशोदा उन्हें दूध पिलाने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन देती थीं।
एक बार, माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को बताया कि अगर वे नियमित रूप से दूध पिएंगे तो उनकी चोटी बलराम भैया की तरह मोटी और लंबी हो जाएगी। श्रीकृष्ण को बलराम भैया की मोटी चोटी बहुत पसंद थी। इसी लोभ के कारण वे दूध पीने के लिए तैयार हो गए।
2. श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या – क्या सोच रहे थे ?
उत्तर :
श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में बहुत कुछ सोचते थे। वे चाहते थे कि उनकी चोटी बलराम भैया की तरह मोटी और लंबी हो जाए। वे अपनी कल्पना में देखते थे कि जब वे नहाते हैं तो उनकी चोटी नागिन की तरह लहराती है।
3. दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं?
उत्तर :
श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु के अवतार हैं और उन्हें कई तरह के भोग पसंद थे। हालांकि, अगर दूध की तुलना में देखा जाए तो श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री अधिक पसंद थी। माखन चोरी करने की उनकी लीलाएं तो प्रसिद्ध हैं।
4. ‘तैं ही पूत अनोखौ जायौ’- पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?
उत्तर :
ईर्ष्या: ग्वालिन, यशोदा माता से ईर्ष्या करती है क्योंकि उनके पास श्रीकृष्ण जैसे अनोखे पुत्र हैं।
क्रोध: श्रीकृष्ण के शरारतें करने और माखन चोरी करने के कारण ग्वालिन क्रोधित होती हैं।
शिकायत: ग्वालिन, यशोदा माता से शिकायत करती हैं कि वे श्रीकृष्ण की शरारतों पर लगाम नहीं लगा पा रही हैं।
व्यंग्य: ग्वालिन, यशोदा माता पर व्यंग्य करती हैं कि उन्होंने ही ऐसा अनोखा पुत्र जन्म दिया है जो इतनी शरारतें करता है।
5. मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?
श्रीकृष्ण के माखन चुराने की लीलाओं में, थोड़ा-सा माखन ज़मीन पर गिर जाना एक आम बात थी। इसके कई कारण हो सकते हैं। हो सकता है कि माखन ऊंचे स्थान पर रखा हो और उसे चुराने की कोशिश में थोड़ा सा गिर जाए। या फिर श्रीकृष्ण जल्दबाजी में हों और थोड़ा सा मक्खन छूट जाए। इसके अलावा, हो सकता है कि वे अपने सखाओं के साथ माखन बांटते समय थोड़ा सा गिरा दें। या फिर, हो सकता है कि वे जानबूझकर थोड़ा सा गिरा दें ताकि मजाक हो जाए। इन सभी कारणों से, श्रीकृष्ण की माखन चोरी की लीलाएं और भी रोचक हो जाती हैं।
6. दोनों पदों में से आपको कौन सा पद अधिक अच्छा और क्यों?
दोनों पद अपने-अपने तरीके से सुंदर हैं, लेकिन मुझे व्यक्तिगत रूप से पहला पद अधिक पसंद है।
उत्तर :
पहला पद बालक श्रीकृष्ण की चंचलता और माता यशोदा के प्यार को बहुत ही खूबसूरती से चित्रित करता है। एक बच्चे की मनोवृत्ति को इतनी खूबसूरती से व्यक्त किया गया है।
दूसरा पद श्रीकृष्ण की चोटी के विषय में उनकी कल्पनाओं को दर्शाता है। यह पद श्रीकृष्ण के दिव्य स्वरूप और उनकी मानवीय भावनाओं के बीच के संतुलन को दर्शाता है।
हालांकि, पहला पद मुझे अधिक प्रभावित करता है क्योंकि वह अधिक सरल और भावनात्मक है। यह हमें हमारे बचपन की याद दिलाता है और हमें माता-पिता के प्यार की अहमियत समझाता है।
अनुमान और कल्पना
1. दूसरे पद को पढ़कर बताइए कि आपके अनुसार उस समय श्रीकृष्ण की उम्र क्या रही होगी?
उत्तर :
दूसरे पद में श्रीकृष्ण अपनी चोटी के बारे में सोच रहे हैं और यह कल्पना कर रहे हैं कि अगर उनकी चोटी बड़ी और मोटी हो जाए तो कितना अच्छा लगेगा। वे यह भी सोच रहे हैं कि अगर उनकी चोटी बलराम भैया की तरह हो जाए तो वे कितने खुश होंगे।
पद के आधार पर, हम अनुमान लगा सकते हैं कि उस समय श्रीकृष्ण की उम्र लगभग चार से सात साल के बीच रही होगी।
2. ऐसा हुआ हो कभी कि माँ के मना करने पर भी घर में उपलब्ध किसी स्वादिष्ट वस्तु को आपने चुपके-चुपके थोड़ा-बहुत खा लिया हो और चोरी पकड़े जाने पर कोई बहाना भी बनाया हो। अपनी आपबीती की तुलना श्रीकृष्ण की बाल लीला से कीजिए ।
उत्तर :
एक बार जब मैं छोटा था, तब मैंने अपनी माँ के बगैर बताए फ्रिज से एक चॉकलेट निकाल ली थी। जब माँ को पता चला, तो उन्होंने मुझे डाँटा। मैंने बहाना बनाया कि बिल्ली ने चॉकलेट खा ली है। लेकिन मुझे पता था कि मैं झूठ बोल रहा था और मुझे बहुत बुरा लगा।
श्रीकृष्ण भी कुछ इसी तरह करते थे। वे माखन चुराते थे और फिर बहाने बनाते थे। हालांकि, वे भगवान थे और उनकी शरारतें हमें प्यारी लगती हैं। लेकिन अगर हम आम इंसान ऐसे बर्ताव करेंगे, तो हमें परेशानी हो सकती है।
3. किसी ऐसी घटना के विषय में लिखिए जब किसी ने आपकी शिकायत की हो और फिर आपके किसी अभिभावक ( माता – पिता, बड़ा भाई बहिन इत्यादि) ने आपसे उत्तर माँगा हो ।
उत्तर :
एक बार की बात है, जब मैं छोटा था, तब मैंने अपने दोस्त के साथ खेलते हुए उसकी नई साइकिल खराब कर दी थी। उसने मेरे बारे में अपनी मम्मी से शिकायत कर दी। मेरी मम्मी ने मुझे बुलाया और पूछा कि मैंने ऐसा क्यों किया।
मुझे बहुत डर लग रहा था क्योंकि मैंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया था। बस खेलते-खेलते यह हादसा हो गया था। मैंने अपनी मम्मी को सारी बात बताई। उन्होंने मुझे समझाया कि किसी की चीज़ खराब करने पर हमें माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने मुझे अपने दोस्त से माफी मांगने के लिए कहा और उसे एक नई गेंद देने के लिए भी कहा।
भाषा की बात
1. श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुरानेवाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दीजिए ।
उत्तर :
श्रीकृष्ण को माखन चुराने के कारण माखनचोर भी कहा जाता है।
2. श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए ।
उत्तर :
वासुदेव
मधुसूदन
केशव
राधाकृष्ण
गिरधर