Monday, December 30, 2024

हिमालय की बेटियां

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“हिमालय की बेटियां” नामक इस अध्याय में लेखक नदियों को हिमालय की बेटियों के रूप में संबोधित करता है। वह इन नदियों को हिमालय से उत्पन्न होने के कारण अपनी बेटियों के समान मानता है। लेखक नदियों को माँ के रूप में भी देखता है, क्योंकि वे जीवनदायिनी हैं और हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

लेखक नदियों के विभिन्न रूपों को देखकर हैरान रह जाता है। हिमालय में नदियाँ दुबली-पतली और शांत होती हैं, लेकिन मैदानों में आकर वे विशाल और भयंकर हो जाती हैं। लेखक इस विरोधाभास से प्रभावित होता है और नदियों की बहुमुखी प्रतिभा की प्रशंसा करता है।

लेखक नदियों के महत्व को भी रेखांकित करता है। वह बताता है कि नदियाँ हमारे जीवन में कई तरह से उपयोगी होती हैं। वे हमें पीने का पानी प्रदान करती हैं, सिंचाई करती हैं, बिजली उत्पादन में मदद करती हैं और परिवहन के साधन भी हैं।

अंत में, लेखक नदियों की सुंदरता और उनके महत्व को स्वीकार करता है। वह नदियों को प्रकृति का अनमोल उपहार मानता है और हमें उनका संरक्षण करने का आह्वान करता है।

लेख से

1. नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?

उत्तर : 

लेखक नागार्जुन नदियों को माँ मानने की परंपरा का सम्मान करते हैं, लेकिन वे उन्हें विभिन्न रूपों में भी देखते हैं। वे नदियों को हिमालय की बेटियों के रूप में देखते हैं, जो उनके लिए जीवनदायिनी हैं। वे नदियों को दुबली-पतली और शांत होने के साथ-साथ विशाल और भयंकर भी देखते हैं। लेखक नदियों की इस बहुमुखी प्रतिभा की प्रशंसा करते हैं।

2. सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?

उत्तर : 

सिंधु और ब्रह्मपुत्र की विशेषताएँ बताई गई हैं:

  • सिंधु एक विशाल नदी है जो हिमालय से निकलती है और पाकिस्तान से होकर अरब सागर में गिरती है।
  • ब्रह्मपुत्र एक विशाल नदी है जो तिब्बत से निकलती है और भारत और बांग्लादेश से होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

3. काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?

उत्तर :

काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता इसलिए कहा है क्योंकि नदियाँ हमारे जीवन में एक माँ की तरह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

4. हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है ?

उत्तर :

लेखक ने हिमालय की यात्रा में नदियों और हिमालय पर्वत की प्रशंसा की है। उन्हें नदियाँ खूबसूरत और जीवनदायिनी लगीं, जबकि हिमालय की ऊँचाई और शांति ने उन्हें प्रभावित किया।

लेख से आगे

1. नदियों और हिमालय पर अनेक कवियों ने कविताएँ लिखी हैं। उन कविताओं का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों के वर्णन से कीजिए ।

उत्तर :

कवियों ने नदियों को जीवनदायिनी, सुंदर और शांत बताया है। हिमालय को देवताओं का निवास और प्रकृति की अनुपम रचना माना गया है। ये वर्णन पाठ में दिए गए वर्णन से कुछ हद तक मेल खाते हैं। हालांकि, कवियों ने अपने भावनात्मक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से वर्णन किया है, जबकि पाठ में अधिक तथ्यात्मक और वर्णनात्मक दृष्टिकोण है।

2. गोपालसिंह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘हिमालय’ तथा जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आँगन में ‘ पढ़िए और तुलना कीजिए।

उत्तर :

गोपालसिंह नेपाली, रामधारी सिंह दिनकर और जयशंकर प्रसाद ने हिमालय की भव्यता को अपने-अपने अंदाज में चित्रित किया है। नेपाली हिमालय को एक जीवंत प्राणी मानते हैं, दिनकर राष्ट्रीयता का प्रतीक, और प्रसाद शांति का स्थान। सभी कवियों ने हिमालय और मानव के गहरे संबंध को दर्शाया है। हालांकि, उनके दृष्टिकोण, शैली और केंद्रीय विषय भिन्न हैं। नेपाली का दृष्टिकोण अधिक व्यक्तिगत और प्रकृति-केंद्रित है, दिनकर का राष्ट्रवादी, और प्रसाद का आध्यात्मिक। इन कविताओं के तुलनात्मक अध्ययन से हिमालय के विभिन्न आयामों को समझने में मदद मिलती है।

3. यह लेख 1947 में लिखा गया था। तब से हिमालय से निकलनेवाली नदियों में क्या-क्या बदलाव आए हैं?

उत्तर :

1947 के बाद से, हिमालय से निकलने वाली नदियों में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। ये बदलाव मुख्यतः जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों के कारण हुए हैं।

मुख्य बदलाव निम्नलिखित हैं:

  • जलस्तर में परिवर्तन: ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। इससे अल्पकालिक रूप से नदियों में जलस्तर बढ़ सकता है, लेकिन दीर्घकालिक रूप में जलस्तर कम होने की आशंका है।
  • जल प्रवाह में अनियमितता: ग्लेशियरों के पिघलने से नदियों में जल प्रवाह अनियमित हो गया है। बारिश के मौसम में जलस्तर तेजी से बढ़ता है, जबकि सूखे मौसम में जलस्तर काफी कम हो जाता है।
  • जल की गुणवत्ता में गिरावट: औद्योगिक गतिविधियों, कृषि में रसायनों के उपयोग और शहरीकरण के कारण नदियों का पानी प्रदूषित हो रहा है। इससे जलजीवन प्रभावित हो रहा है और मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा पैदा हो रहा है।
  • नदी तटों का कटाव: वनों के कटाव और अवैध खनन के कारण नदी तटों का कटाव तेजी से हो रहा है। इससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है और कृषि भूमि भी प्रभावित हो रही है।
  • जलविद्युत परियोजनाओं का प्रभाव: हिमालय पर कई बड़े जलविद्युत परियोजनाएं बनाई गई हैं। इन परियोजनाओं के कारण नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हो रहा है और पारिस्थितिक तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

4.  अपने संस्कृत शिक्षक से पूछिए कि कालिदास ने हिमालय को देवात्मा क्यों कहा है?

उत्तर :

कालिदास ने हिमालय को देवात्मा इसलिए कहा क्योंकि:

  • प्रकृति की शक्ति: हिमालय की विशालता और ऊंचाई ने उसे प्रभावित किया।
  • धार्मिक महत्व: हिंदू धर्म में हिमालय पवित्र पर्वत है।
  • सांस्कृतिक पहचान: हिमालय भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है।
  • काव्य सौंदर्य: कालिदास ने अलंकारों और उपमाओं से हिमालय का सौंदर्य वर्णन किया है।

तुम अपने संस्कृत शिक्षक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हो।

अनुमान और कल्पना

1. लेखक ने हिमालय से निकलनेवाली नदियों को ममता भरी आँखों से देखते हुए उन्हें हिमालय की बेटियाँ कहा है। आप उन्हें क्या कहना चाहेंगे? नदियों की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से कार्य हो रहे हैं? जानकारी प्राप्त करें और अपना सुझाव दें। 

उत्तर :

नदियां हमारे जीवन का आधार हैं। लेखक ने उन्हें हिमालय की बेटियां कहा है, जो उनकी जीवनदायिनी भूमिका को दर्शाता है। हम भी उन्हें जीवनदायिनी, सभ्यताओं का आधार और प्रकृति की सुंदरता का प्रतीक मान सकते हैं।

नदियों की सुरक्षा के लिए सरकार और समाज संगठन कई प्रयास कर रहे हैं, जैसे कि नमामि गंगे परियोजना और जागरूकता अभियान। हम भी व्यक्तिगत स्तर पर पानी बचाने, नदियों में कचरा न फेंकने और वृक्षारोपण करने जैसे कदम उठा सकते हैं।

सभी को मिलकर नदियों के संरक्षण के लिए प्रयास करना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इनकी सुंदरता और उपयोगिता का लाभ उठा सकें।

2. नदियों से होनेवाले लाभों के विषय में चर्चा कीजिए और इस विषय पर बीस पंक्तियों का एक निबंध लिखिए।

उत्तर :

नदियाँ: जीवन का स्रोत

नदियाँ प्रकृति का एक अनमोल उपहार हैं। ये सिर्फ जल का स्रोत ही नहीं, बल्कि सभ्यताओं का पालना भी रही हैं। नदियों से हमें अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। ये हमें पीने का पानी, सिंचाई के लिए पानी, और उद्योगों के लिए पानी प्रदान करती हैं। नदियों पर बांध बनाकर बिजली भी पैदा की जाती है। नदियाँ मछलियों और अन्य जलीय जीवों का घर हैं, जो हमारे भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। नदियों के किनारे अनेक पर्यटन स्थल हैं जो लोगों को आकर्षित करते हैं।

लेकिन दुर्भाग्य से, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं। हमें नदियों को बचाने के लिए कई कदम उठाने होंगे। जैसे कि, नदियों में कचरा न फेंकें, उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित पानी को नदियों में न डालें, और वृक्षारोपण करें।

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Dr. Upendra Kant Chaubey
Dr. Upendra Kant Chaubeyhttps://education85.com
Dr. Upendra Kant Chaubey, An exceptionally qualified educator, holds both a Master's and Ph.D. With a rich academic background, he brings extensive knowledge and expertise to the classroom, ensuring a rewarding and impactful learning experience for students.
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