Saturday, December 21, 2024

पानी की कहानी

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इस पाठ में, एक ओस की बूंद अपनी यात्रा के बारे में बताती है। वह बताती है कि कैसे वह हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिलने से बनी और फिर विभिन्न रूपों में परिवर्तित हुई। वह समुद्र में रही, बादल बनी, बर्फ के रूप में जमी, और फिर ओस की बूंद बनकर वापस धरती पर आई।

इस यात्रा में, बूंद ने कई तरह के अनुभव किए। वह समुद्र की गहराइयों में गई, बादलों के साथ उड़ान भरी, और पहाड़ों की चोटियों पर बर्फ के रूप में जमी। उसने देखा कि कैसे पानी जीवन का आधार है और कैसे यह सभी जीवों के लिए आवश्यक है।

इस कहानी के माध्यम से, लेखक हमें पानी के महत्व और इसके चक्र के बारे में बताता है। यह हमें पानी का संरक्षण करने और इसका सदुपयोग करने की प्रेरणा देता है।

पाठ से

1. लेखक को ओस की बूँद कहाँ मिली?

उत्तर :

लेखक को ओस की बूँद बेर की झाड़ी पर मिली थी। जब वह झाड़ी के नीचे से गुजर रहा था, तब ओस की बूंद उसकी कलाई पर गिरी और फिर उसकी हथेली पर आ गई।

2. ओस की बूँद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी?

उत्तर :

ओस की बूँद क्रोध और घृणा से इसलिए काँप उठी क्योंकि पेड़ों की जड़ों ने उसे बलपूर्वक अपनी ओर खींच लिया था। जब वह आनंद से इधर-उधर घूम रही थी, तब पेड़ की जड़ों ने उसे पकड़ लिया और अपनी ओर खींच लिया। फिर उसे पेड़ की जड़ से पत्तियों तक पहुंचने के लिए कई दिनों तक संघर्ष करना पड़ा। इस दौरान उसे बहुत कष्ट हुआ और इसीलिए वह क्रोध और घृणा से काँप उठी।

3. हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज / पुरखा क्यों कहा?

उत्तर :

पानी की बूंद ने हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अपना पूर्वज या पुरखा इसलिए कहा क्योंकि पानी के अणु हाइड्रोजन और ऑक्सीजन परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं। 

4. “ पानी की कहानी” के आधार पर पानी के जन्म और जीवन यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए ।

उत्तर :

“पानी की कहानी” एक अद्भुत यात्रा है जो हमें पानी के जन्म और उसके जीवन चक्र के बारे में बताती है। इस कहानी में, एक ओस की बूंद अपने जन्म से लेकर अपनी मृत्यु तक की यात्रा का वर्णन करती है।

पानी का जन्म: कहानी की शुरुआत ब्रह्मांड के निर्माण से होती है। जब ब्रह्मांड में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसें मिलीं, तो रासायनिक प्रतिक्रिया हुई और पानी का जन्म हुआ। ओस की बूंद इन दोनों तत्वों को अपना पूर्वज मानती है।

पानी की यात्रा: जन्म लेने के बाद, पानी की बूंद कई रूपों में बदलती रही। वह समुद्र में रही, बादलों के साथ उड़ान भरी, बर्फ के रूप में जमी, और फिर ओस की बूंद बनकर धरती पर लौटी। अपनी यात्रा के दौरान, उसे कई तरह के अनुभव हुए। उसने समुद्र की गहराइयों को देखा, बादलों के साथ उड़ान भरी, और पहाड़ों की चोटियों पर बर्फ के रूप में जमी।

5. कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को स्वयं पढ़कर देखिए और बताइए ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी ?

उत्तर :

ओस की बूंद लेखक को अपनी आपबीती सुनाते हुए बारिश की प्रतीक्षा कर रही थी। वह बारिश के साथ मिलकर एक बार फिर से समुद्र में जाना चाहती थी।

 पाठ से आगे

1. जलचक्र के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए और पानी की कहानी से तुलना करके देखिए कि लेखक ने पानी की कहानी में कौन-कौन सी बातें विस्तार से बताई हैं।

उत्तर :

पानी की कहानी में लेखक ने जलचक्र के विभिन्न चरणों को बहुत ही सुंदर ढंग से चित्रित किया है। ओस की बूंद की यात्रा के माध्यम से, हम देखते हैं कि कैसे पानी समुद्र से वाष्पित होता है, बादल बनाता है, बारिश या ओस के रूप में धरती पर गिरता है, और फिर नदियों और नालों के माध्यम से वापस समुद्र में मिल जाता है।

इस कहानी में, लेखक ने पानी के महत्व को भी उजागर किया है। पानी सभी जीवों के लिए आवश्यक है। यह पेड़-पौधों को बढ़ने में मदद करता है, जानवरों को प्यास बुझाता है, और मनुष्यों को कई तरह से उपयोगी होता है।

इस तरह, “पानी की कहानी” हमें जलचक्र के बारे में समझाती है और हमें पानी के महत्व का एहसास कराती है। यह कहानी हमें पानी का संरक्षण करने और इसका सदुपयोग करने की प्रेरणा देती है।

2. “पानी की कहानी” पाठ में ओस की बूँद अपनी कहानी स्वयं सुना रही है। और लेखक केवल श्रोता है। इस आत्मकथात्मक शैली में आप भी किसी वस्तु का चुनाव करके कहानी लिखें।

उत्तर :

नमस्कार, मैं एक साधारण सी पेंसिल हूँ। तुम मुझे देखकर शायद सोच रहे होंगे कि मैं तुम्हें क्या बता सकती हूँ, लेकिन मेरी कहानी काफी दिलचस्प है। मैं एक बड़े से पेड़ से निकला एक छोटा सा टुकड़ा हूँ। मुझे एक कारखाने में ले जाया गया, जहां मुझे कई सारे बदलावों से गुजरना पड़ा। मुझे काटा गया, गढ़ा गया और फिर मुझे एक सुंदर पीले रंग में रंग दिया गया।

मैंने कई सारे हाथों को छुआ। मुझे एक बच्चे ने पकड़ा और अपनी ड्राइंग बुक में रंग-बिरंगे चित्र बनाने लगा। उसने मुझसे सूरज, बादल, पेड़ और घर बनाए। मुझे बहुत खुशी हुई कि मैं उसके लिए इतना कुछ कर पा रही हूँ।

एक दिन, वह बच्चा मुझे एक बड़े से बॉक्स में रख गया। मुझे लगा कि शायद वह मुझसे ऊब गया है। कुछ दिनों बाद, मुझे एक नई जगह पर ले जाया गया। यह एक स्कूल था। यहां मैंने कई बच्चों को खुश किया। मैंने उनके होमवर्क पूरे किए, उनके चित्र बनाए और उन्हें नई-नई चीजें सीखने में मदद की।

मैंने कई सालों तक बच्चों को खुश किया। लेकिन धीरे-धीरे मैं छोटी होती गई। मेरी नोक कुंद हो गई और मैं अब अच्छे से लिख नहीं पा रही थी। एक दिन, बच्चे ने मुझे तेज करने की कोशिश की, लेकिन मैं टूट गई।

मैं बहुत उदास हुई, लेकिन फिर मैंने सोचा कि मैंने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ किया है। मैंने बच्चों को खुश किया, मैंने उनके सपनों को रंग दिया। मैं एक साधारण सी पेंसिल थी, लेकिन मैंने बहुत कुछ सीखा। मैंने सीखा कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। लेकिन हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।

अब मैं एक कबाड़ के ढेर में पड़ी हुई हूँ। लेकिन मुझे कोई दुख नहीं है। क्योंकि मुझे पता है कि मैंने अपनी जिंदगी का पूरा फायदा उठाया है।

3. समुद्र के तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गरमी क्यों नहीं पड़ती ?

उत्तर :

इसका मुख्य कारण है पानी की विशिष्ट ऊष्मा

पानी की विशिष्ट ऊष्मा का मतलब है कि पानी को गर्म करने या ठंडा करने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसका मतलब यह भी है कि पानी धीरे-धीरे गर्म होता है और धीरे-धीरे ठंडा होता है।

4. पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता, तब पेड़ की जड़ों से पत्ते तक पानी कैसे पहुँचता है? इस क्रिया को वनस्पति शास्त्र में क्या कहते हैं? क्या इस क्रिया को जानने के लिए कोई आसान प्रयोग है? जानकारी प्राप्त कीजिए ।

उत्तर :

  • जाइलम: पेड़ों के तनों और शाखाओं में विशेष नलिकाएं होती हैं, जिन्हें जाइलम कहते हैं। ये नलिकाएं पानी और खनिज पदार्थों को जड़ों से पत्तियों तक पहुंचाने का काम करती हैं।
  • वाष्पोत्सर्जन: पत्तियों के छोटे-छोटे छिद्रों (रंध्र) से पानी वाष्प के रूप में निकलता है। इस प्रक्रिया को वाष्पोत्सर्जन कहते हैं। जब पत्तियों से पानी वाष्पित होता है, तो यह एक तरह का खालीपन पैदा करता है, जिसकी वजह से जड़ों से लगातार पानी ऊपर की ओर खींचा जाता रहता है।
  • अधिशोषण: पानी के अणु एक-दूसरे से चिपक जाते हैं, इस प्रक्रिया को अधिशोषण कहते हैं। यह अधिशोषण भी पानी को ऊपर की ओर खींचने में मदद करता है।
  • रूट प्रेशर: जड़ों में एक निश्चित दबाव होता है, जिसे रूट प्रेशर कहते हैं। यह दबाव भी पानी को ऊपर की ओर धकेलने में मदद करता है।

एक आसान प्रयोग:

आप एक आसान प्रयोग करके यह देख सकते हैं कि पानी पौधों में कैसे ऊपर की ओर जाता है:

  • एक पौधे को एक गिलास पानी में रखें जिसमें थोड़ा सा खाद्य रंग मिला हुआ हो।
  • कुछ घंटों बाद आप देखेंगे कि पौधे की पत्तियां रंगीन हो रही हैं। इसका मतलब है कि पानी जड़ों से पत्तियों तक पहुंच गया है।

वनस्पति शास्त्र में इस क्रिया को क्या कहते हैं?

जैसा कि मैंने पहले बताया, इस प्रक्रिया को संवहन (Transpiration) कहते हैं।

अनुमान और कल्पना

1. पानी की कहानी में लेखक ने कल्पना और वैज्ञानिक तथ्य का आधार लेकर ओस की बूँद की यात्रा का वर्णन किया है। ओस की बूँद अनेक अवस्थाओं में सूर्यमंडल, पृथ्वी, वायु, समुद्र, ज्वालामुखी, बादल, नदी और जल से होते हुए पेड़ के पत्ते तक की यात्रा करती है। इस कहानी की भांति आप भी लोहे अथवा प्लास्टिक की कहानी लिखने का प्रयास कीजिए ।

उत्तर :

मैं एक लोहे का छोटा सा टुकड़ा हूँ। मुझे धरती के गर्भ से निकाला गया था। मैं एक विशाल पहाड़ के अंदर गहराई में दबा हुआ था। मुझे निकालने के लिए बहुत मेहनत की गई। मुझे कई मशीनों से गुजारा गया। मुझे पिघलाया गया, ढाला गया और फिर ठंडा किया गया।

मैं एक कारखाने में पहुंचा, जहां मुझे एक बड़ी मशीन में डाला गया। उस मशीन ने मुझे एक नया आकार दिया। अब मैं एक छोटा सा पेंच बन गया था। मुझे एक प्लास्टिक के खिलौने में लगाया गया। वह खिलौना एक छोटा सा कार था।

मैंने उस कार के साथ बहुत सारी यात्राएं कीं। मैंने बच्चों को खुश किया। मैंने उन्हें खेलने में मदद की। लेकिन एक दिन, वह कार टूट गई। मुझे उस कार से अलग कर दिया गया। मुझे एक कबाड़खाने में फेंक दिया गया।

मैं बहुत दुखी हुआ। मैंने सोचा कि मेरी जिंदगी खत्म हो गई है। लेकिन कुछ दिनों बाद, मुझे एक और कारखाने में ले जाया गया। वहां मुझे पिघलाकर फिर से एक नया आकार दिया गया। अब मैं एक चम्मच बन गया।

मैं एक रसोई में पहुंचा। मैंने कई लोगों को खाना खाने में मदद की। मैंने कई तरह के स्वाद चखे। मुझे बहुत खुशी हुई कि मैं लोगों की सेवा कर रहा हूँ।

मैंने अपनी जिंदगी में कई रूप बदले। मैं एक पेंच था, एक चम्मच था, और अब मैं एक कढ़ाई बन गया हूँ। मैंने कई लोगों को देखा, कई जगहों की यात्रा की और कई तरह के काम किए।

मैंने सीखा है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं होता है। सब कुछ बदलता रहता है। लेकिन हमें कभी निराश नहीं होना चाहिए। हमें हमेशा कुछ नया सीखने और कुछ अच्छा करने की कोशिश करनी चाहिए।

2. अन्य पदार्थों के समान जल की भी तीन अवस्थाएँ होती हैं। अन्य पदार्थों से जल की इन अवस्थाओं में एक विशेष अंतर यह होता है कि जल की तरल अवस्था की तुलना में ठोस अवस्था (बर्फ) हलकी होती है। इसका कारण ज्ञात कीजिए ।

उत्तर :

जल अधिकांश पदार्थों से अलग है। अधिकांश पदार्थों के विपरीत, जल की ठोस अवस्था (बर्फ) तरल अवस्था (पानी) से हल्की होती है। इसका कारण जल के अणुओं की संरचना और व्यवस्था में है।

जब पानी जमकर बर्फ बनता है, तो उसके अणु एक खास तरह से व्यवस्थित होते हैं, जिससे उनके बीच काफी जगह खाली रह जाती है। इसीलिए बर्फ पानी से हल्की होती है।

यह गुण पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सर्दियों में जब तालाब और झीलें जम जाती हैं, तो बर्फ की परत ऊपर तैरती रहती है। इससे नीचे का पानी ठंडा नहीं होता है, जिससे जलीय जीव जीवित रह पाते हैं।

इसके अलावा, जब बर्फ पिघलती है, तो ठंडा पानी नीचे की ओर जाता है, जिससे गहराई में ऑक्सीजन पहुंचता है और जलीय जीवों को सांस लेने में मदद मिलती है।

3. पाठ के साथ केवल पढ़ने के लिए दी गई पठन सामग्री ‘हम पृथ्वी की संतान ! ‘ का सहयोग लेकर पर्यावरण संकट पर एक लेख लिखें।

उत्तर :

हमारी पृथ्वी गंभीर पर्यावरण संकट का सामना कर रही है। वनों की कटाई, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। ये समस्याएं हमारे स्वास्थ्य, कृषि और प्राकृतिक संसाधनों को प्रभावित कर रही हैं।

हम सभी को मिलकर पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करना चाहिए। पेड़ लगाना, पानी बचाना, कचरा कम करना और प्रदूषण कम करने के उपाय करना चाहिए।

आइए हम सभी मिलकर एक स्वच्छ और हरा-भरा पर्यावरण बनाएं।

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Dr. Upendra Kant Chaubey
Dr. Upendra Kant Chaubeyhttps://education85.com
Dr. Upendra Kant Chaubey, An exceptionally qualified educator, holds both a Master's and Ph.D. With a rich academic background, he brings extensive knowledge and expertise to the classroom, ensuring a rewarding and impactful learning experience for students.
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