घर की याद

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‘घर की याद’ कविता भवानी प्रसाद मिश्र द्वारा रचित है, जिसमें कवि जेल में रहने के दौरान अपने घर और परिवार को याद करते हुए अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। वर्षा ऋतु में जब जेल में खूब पानी बरस रहा होता है, तो कवि को अपने घर की याद सताने लगती है।

कवि अपने पिता को याद करते हैं, जो बूढ़े हो चुके हैं लेकिन आज भी मजबूत और सक्रिय हैं। उन्हें अपने चार भाइयों और चार बहनों की याद आती है, जो स्नेह और प्रेम से भरे हुए हैं। वे अपनी माँ को याद करते हैं, जो स्नेह और ममता की मूर्ति हैं और जिनकी गोद में उन्हें हमेशा प्यार और शांति मिलती थी।

कवि को अपनी पत्नी की भी याद आती है, जो हमेशा उनके साथ रहती थीं और हर सुख-दुख में उनका साथ देती थीं। उन्हें अपने बच्चों की याद आती है, जिनकी किलकारियाँ घर को गुलजार रखती थीं।

बारिश और घर की यादें कवि को भावुक कर देती हैं। उन्हें लगता है कि उनके घर वाले भी उन्हें याद कर रहे होंगे और उनकी कुशलता के लिए चिंतित होंगे। वे कल्पना करते हैं कि उनके पिता उनकी याद में व्याकुल होंगे और उनकी माँ की आँखों में आँसू होंगे।

कवि वर्षा को अपने घर का संदेशवाहक बनाना चाहते हैं ताकि वह उनके घर जाकर उनके परिवार वालों को उनकी कुशलता का समाचार दे सके और उन्हें बता सके कि वे जेल में अकेले और उदास हैं, उन्हें अपने घर की बहुत याद आ रही है।

इस कविता में कवि ने जेल के एकाकी जीवन और घर-परिवार के प्रति गहरे प्रेम और स्नेह की मार्मिक अभिव्यक्ति की है। वर्षा का वर्णन घर की यादों को और अधिक तीव्रता प्रदान करता है।

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न

कविता के साथ
1)पानी के रात भर गिरने और प्राण-मन के धिरने में परस्पर क्या संबंध है?

उत्तर:पानी का लगातार गिरना और मन का टूटना, दोनों ही थकान और दबाव का नतीजा हैं। जैसे लगातार बारिश मिट्टी और इमारतों को कमज़ोर कर गिरा देती है, वैसे ही निरंतर दुख या तनाव इंसान के मन को भी तोड़ देता है। दोनों में ही, लंबे समय तक का दबाव विनाशकारी होता है।

2)मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ क्यों कहा है?

उत्तर:कवि ने बहन के लिए घर को ‘परिताप का घर’ इसलिए कहा है क्योंकि मायके में रहते हुए भी वह पति के वियोग और वहाँ की पीड़ा से दुखी है। यह विरह-वेदना उसे सताती रहती है, जिससे उसका मायका भी उसके लिए दुख का कारण बन जाता है।

3)पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है?

उत्तर:‘कविता में पिता के व्यक्तित्व की कई विशेषताओं को उभारा गया है, जिनमें प्रमुख हैं:

  • शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ: बुढ़ापे के बावजूद वे पूरी तरह से स्वस्थ और ऊर्जावान हैं। वे दौड़ते हैं, दंड-बैठक करते हैं और खिलखिलाकर हँसते हैं।
  • कर्मठ और उत्साही: उनके काम में तूफान जैसी तेज़ी है और वे किसी भी चुनौती से नहीं डरते।
  • भावुक और संवेदनशील: अपने प्रियजनों, खासकर अपने पाँचवें बेटे को याद करके उनकी आँखें नम हो जाती हैं।
  • देशभक्त: उनकी प्रेरणा से ही कवि स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए।
  • उदार और सहृदय: वे सरल, भोले और अपने परिवार से बेहद स्नेह करते हैं।

4)निम्नलिखित पंक्तियों में ‘बड्स’ शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइए-

मैं मजे में हूँ सही है
घर नहीं हूँ बस यही है
किंतु यह बस बड़ा बस है।
इसी बस से सब विरस हैं।

उत्तर:“बस” शब्द का यहाँ दोहरा अर्थ है:

साधारण अर्थ – “केवल” (जैसे: बस इतना ही) विशेष अर्थ – “वाहन” (जैसे: बस से यात्रा)

यह श्लेष अलंकार है क्योंकि एक ही शब्द से दो अर्थ निकलते हैं।

5)कविता की अंतिम 12 पंक्तियों को पढ़कर कल्पना कीजिए कि कवि अपनी किस स्थिति व मन:स्थिति को अपने परिजनों से छिपाना चाहता है?

उत्तर:कविता की अंतिम 12 पंक्तियों को पढ़कर यह कल्पना की जा सकती है कि कवि अपनी निम्नलिखित स्थिति और मनःस्थिति को अपने परिजनों से छिपाना चाहता है:

  • गहरी उदासी और व्याकुलता: कवि बार-बार कहता है कि वे ‘मजे में’ हैं, लेकिन तुरंत ही ‘बड़ा बस है’ कहकर अपनी वास्तविक स्थिति को उजागर कर देते हैं। अंतिम पंक्तियों में वे वर्षा को अपने पिता से यह न कहने का आग्रह करते हैं कि वे रात भर जागे रहे और उनकी आँखों में आँसू थे। इससे पता चलता है कि वे अपनी गहरी उदासी और व्याकुलता को अपने परिजनों से छिपाना चाहते हैं ताकि वे चिंतित न हों।
  • कमजोरी और लाचारी: कवि वर्षा से यह भी विनती करते हैं कि वह उनके पिता को यह न बताए कि वे डरपोक और हिचकते हुए हैं। जेल में अकेलेपन और घर की याद ने उन्हें कमजोर और लाचार महसूस कराया होगा, जिसे वे अपने मजबूत और साहसी पिता से छिपाना चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि उनके पिता उन्हें इस हालत में देखें।
  • आँखों में आँसू और रातों की नींद: कवि चाहते हैं कि उनके पिता को यह न पता चले कि वे रात भर जागते रहते हैं और उनकी आँखों में आँसू भरे रहते हैं। यह उनकी गहरी भावनात्मक पीड़ा और नींद न आने की समस्या को दर्शाता है, जिसे वे अपने परिवार से छिपाना चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि उनके प्रियजन उनकी इस तकलीफ को जानकर दुखी हों।
  • मन का बोझ और विरसता: ‘इसी बस से सब विरस है’ पंक्ति से स्पष्ट है कि घर पर न होने की कमी के कारण उनका मन बोझिल और सब कुछ नीरस हो गया है। वे इस मानसिक बोझ और उदासी को अपने परिजनों से छिपाना चाहते हैं ताकि उन्हें अतिरिक्त चिंता न हो।

कविता के आसपास

1)ऐसी पाँच रचनाओं का संकलन कीजिए जिसमें प्रकृति के उपादानों की कल्पना संदेशवाहक के रूप में. की गई है।

उत्तर:प्रकृति को संदेशवाहक के रूप में प्रस्तुत करने वाली पाँच प्रमुख हिंदी रचनाएँ हैं: सुमित्रानंदन पंत की “पर्वत प्रदेश में पावस” (पर्वत-बादल मानवीय भावनाओं के वाहक), निराला की “उत्साह” (बादल क्रांति के संदेशवाहक), सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की “मेघ आए” (मेघों से गाँव की कहानियाँ), मैथिलीशरण गुप्त की “हरिपद गौरव दृश्य” (नदियाँ-पहाड़ धर्म-नैतिकता सिखाते हैं), और रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की “वन का मार्ग” (वन्य जीवन-प्रकृति जीवन पथ दिखाते हैं)। ये सभी कविताएँ प्रकृति के माध्यम से गहरे मानवीय संदेश देती हैं।

2)घर से अलग होकर आप घर को किस तरह से याद करते हैं? लिखें।

उत्तर : मैं घर से दूर रहकर उसे कई तरह से याद करता हूँ। सबसे पहले, मुझे वहाँ की जानी-पहचानी चीज़ें, जैसे कमरे की सजावट, बिस्तर की गर्माहट और रसोई से आती माँ के हाथ के खाने की खुशबू बहुत सताती है।

दूसरा, घर की खास आवाज़ें, जैसे परिवार के सदस्यों की बातें, बच्चों की खिलखिलाहट या रोज़मर्रा की हलचल, ये सब मुझे बहुत याद आती हैं।

जब मैं दूसरों के घरों को देखता हूँ या दोस्तों के परिवार को साथ देखता हूँ, तो अपने घर की याद और भी ताज़ा हो जाती है। त्योहारों पर या जब मैं अपने परिवार से फ़ोन पर बात करता हूँ, तब यह एहसास और भी गहरा हो जाता है।

यह यादें सिर्फ उदासी भरी नहीं होतीं, बल्कि प्यार और जुड़ाव का एहसास भी कराती हैं, जो मुझे अपनी जड़ों से जोड़े रखता है।