त्रिलोचन की कविता ‘चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती’ ग्रामीण जीवन की सादगी और उसकी नैसर्गिक सुंदरता को बयां करती है। यह कविता चंपा नामक ग्रामीण लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसके लिए अक्षर ज्ञान से ज़्यादा उसके पशु और गाँव का सीधा-सादा जीवन मायने रखता है।
चंपा का संसार: सहजता और भोलेपन का प्रतिबिंब
चंपा के लिए अक्षर केवल “काले-काले” चिह्न हैं, जिन्हें वह निरर्थक मानती है। यह उसकी मासूमियत दर्शाती है कि उसका संसार शब्दों से नहीं, बल्कि सीधे अनुभवों और सहज संवेदनाओं से बना है। वह हमें बताती है कि जीवन का आनंद सिर्फ़ किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं, बल्कि उसके बाहर भी एक विशाल और सुंदर दुनिया है।
शहर से विरक्ति और गाँव से गहरा नाता
चंपा को शहरों से कोई लगाव नहीं; वह मानती है कि शहर लोगों को बिगाड़ देते हैं। वह अपने गाँव, अपने पशुधन और परिचित परिवेश में ही सहज और संतुष्ट है। यह सोच ग्रामीण जीवन की पवित्रता को दर्शाती है, जहाँ सादगी और स्वाभाविकता को भौतिक सुख-सुविधाओं से ज़्यादा महत्व दिया जाता है।
शिक्षा बनाम सहजता: एक महत्वपूर्ण विचार
यह कविता एक ज़रूरी सवाल उठाती है: क्या शिक्षा और आधुनिकता ही जीवन का एकमात्र लक्ष्य है, या चंपा जैसी सहजता और सरलता में भी अपने आप में एक पूर्णता निहित है? वह अपने तरीके से जीवन को समझती है, और उसकी खुशी उसके सहज सुखों में छिपी है। यह कविता हमें सोचने पर मजबूर करती है कि आधुनिक प्रगति की दौड़ में कहीं हम सादगीपूर्ण जीवन के मानवीय मूल्यों और संतोष को तो नहीं खो रहे हैं।
निष्कर्ष: ग्रामीण जीवन की शुद्धता
त्रिलोचन की यह कविता ग्रामीण भारत की मूल भावना से जोड़ती है। चंपा जैसे पात्र के माध्यम से कवि यह दिखाना चाहते हैं कि गाँव की सादगी और निश्छलता एक अद्वितीय सौंदर्य है। आज के शहरीकरण और भौतिक सुखों की अंधी दौड़ में, चंपा जैसी सोच हमें याद दिलाती है कि सच्चा सुख कहीं और भी हो सकता है – शायद उसी गाँव की धूल-भरी पगडंडियों में, जहाँ चंपा बिना किसी चिंता के आनंदित है।
पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न
कविता के साथ
1)चंपा ने ऐसा क्यों कहा कि कलकत्ता पर बजर गिरे?
उत्तर:चंपा ने इसलिए कहा कि कलकत्ता पर बिजली गिरे, क्योंकि वह बिल्कुल नहीं चाहती थी कि उसके पति कलकत्ता जाएँ। उसके मन में यह डर बैठ गया था कि अगर उसके पति कलकत्ता पढ़ने या काम करने के लिए गए, तो वे शायद कभी वापस नहीं आएँगे और वह हमेशा के लिए उनसे बिछड़ जाएगी।
इसके पीछे ये कारण थे कि चंपा कलकत्ता पर मुसीबत आने की दुआ कर रही थी:
- नासमझी और भोलापन: चंपा एक अनपढ़ और गाँव की सीधी-सादी लड़की है। उसे कलकत्ता के बारे में कुछ भी नहीं पता और वह दूर के शहरों को खतरे और अपनों से दूर होने की जगह मानती है।
- पति से दूर होने का डर: चंपा अपने पति से बहुत प्यार करती है और उनके बिना रहने के बारे में सोच भी नहीं सकती। उसे लगता है कि पढ़ने-लिखने के बाद लोग अपनी पत्नियों को छोड़कर दूर चले जाते हैं, जैसा कि उसने आसपास के लोगों से सुना होगा।
- पढ़ाई के बारे में गलत सोच: चंपा पढ़ाई को घर तोड़ने वाली और रिश्तों में दूरी लाने वाली चीज़ मानती है। उसे लगता है कि अक्षर जानने के बाद लोग दूर-दूर संदेश भेजते हैं और इसी वजह से एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं।
- अटूट प्यार और हमेशा साथ रहने की चाहत: चंपा हमेशा अपने पति के साथ रहना चाहती है और उन्हें कभी भी अकेला नहीं छोड़ना चाहती। उसकी यह गहरी इच्छा उसे कलकत्ता जैसी दूर की जगहों के खिलाफ कर देती है।
- गाँव की ज़िंदगी का नज़रिया: चंपा गाँव के माहौल में पली-बढ़ी है जहाँ रिश्ते सीधे और आमने-सामने के होते हैं। उसे दूर रहकर संदेशों के ज़रिए जुड़े रहने की बात समझ में नहीं आती।
सीधे-सीधे कहें तो, चंपा का कलकत्ता पर बिजली गिरने की बात कहना उसके भोलेपन, पति से दूर होने के डर, पढ़ाई के बारे में गलत सोच और अपने पति के साथ हमेशा रहने की ज़बरदस्त चाहत का नतीजा है। वह नहीं चाहती कि पढ़ने-लिखने की वजह से उसके और उसके पति के बीच दूरी आए।
2)चंपा को इस पर क्यों विश्वास नहीं होता कि गाँधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी?
उत्तर: यहाँ चंपा के दृष्टिकोण से गांधी बाबा के पढ़ने-लिखने पर अविश्वास को मानवीय अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है:
चंपा को गांधी बाबा के पढ़ने-लिखने की बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ. उसकी नज़र में, गांधी बाबा तो एक दम सीधे-सादे इंसान थे, भला वो क्या पढ़ेंगे-लिखेंगे! चंपा ने उन्हें हमेशा एक साधारण धोती पहने, लाठी लिए देखा था. उनके बातचीत का तरीका भी इतना सहज और सरल था कि लगता ही नहीं था कि वे किसी किताबी दुनिया से वास्ता रखते होंगे. चंपा के मन में तो गांधी बाबा की छवि एक ऐसे शख्स की थी जो बस ईमानदारी से, मेहनत से और सादगी से अपना जीवन जीते हैं, किसी बड़े विद्वान या पढ़े-लिखे इंसान की नहीं.
चंपा का ऐसा सोचना स्वाभाविक भी था. गांधी जी ने कभी भी दिखावे को महत्व नहीं दिया. उनका रहन-सहन, पहनावा, और बातचीत का तरीका भी इतना आम था कि किसी को भी यह अंदाज़ा लगाना मुश्किल हो जाता था कि वे कितने शिक्षित हैं. लोगों को अक्सर यही लगता था कि जो इंसान इतना साधारण जीवन जीता है, वह भला इतनी पढ़ाई कैसे कर सकता है या कानून की पढ़ाई कैसे कर सकता है.
असल में, चंपा की यह गलतफहमी उसकी सीमित समझ का नतीजा थी. वह यह नहीं समझ पाई कि गांधी जी की सादगी उनके गहरे ज्ञान और बड़े अनुभव का ही एक हिस्सा थी. उन्होंने अपनी पढ़ाई सिर्फ डिग्रियाँ बटोरने के लिए नहीं की थी, बल्कि ज़िंदगी को सही मायने में समझने और लोगों की निःस्वार्थ सेवा करने के लिए की थी. गांधी जी ने हमें यह सिखाया कि सच्चा ज्ञान दिखावे में नहीं, बल्कि ज़िंदगी को सादगी और विनम्रता से जीने में होता है. उनकी यह सादगी ही उनके महान व्यक्तित्व का सबसे बड़ा सबूत थी, जिसे चंपा जैसी सीधी-सादी महिला शायद पूरी तरह से समझ नहीं पाई.
3)कवि ने चंपा की किन बिशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर –उपरोक्त काव्यांश में कवि ने चंपा के अद्वितीय गुणों का अत्यंत ही मनमोहक और सजीव वर्णन किया है. कवि बताते हैं कि चंपा के पुष्पों का रंग दूधिया सफेद होता है, जो अपनी मादक सुगंध से संपूर्ण वातावरण को सुगंधित कर देते हैं. इन फूलों की मोहकता और खुशबू हर किसी के मन को सहज ही अपनी ओर खींच लेती है, जिससे आस-पास का परिवेश भी आनंदित हो उठता है.
कवि ने चंपा की कोमल डालियों और उसकी घनी, शीतल छाया की भी प्रशंसा की है. चंपा का वृक्ष केवल देखने में ही सुंदर नहीं है, बल्कि इसकी उपस्थिति मात्र से ही आसपास का वातावरण खुशबूदार और सुखमय बन जाता है. कवि के शब्दों में, चंपा प्रकृति का एक अमूल्य उपहार है, जो हमारे हृदय को शांति और सुकून तथा आँखों को शीतलता प्रदान करता है.
यह सत्य है कि चंपा अपने इन्हीं अनुपम गुणों के कारण केवल एक वृक्ष मात्र न होकर, एक शांत और सुखद अनुभव बन जाती है. इसकी दिव्य सुगंध और नैसर्गिक सौंदर्य हमारे मन को प्रसन्नता से भर देते हैं, यही कारण है कि प्रकृति प्रेमियों के लिए चंपा का विशेष महत्व है और वे इसे अत्यंत प्रिय मानते हैं.
4)आपके विचार में चंपा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मैं तो नहीं पढ़ेंगी?
उत्तर –चंपा “मैं तो नहीं पढ़ेंगी” इसलिए कहती है क्योंकि उसे डर है कि पढ़ने से लोग दूर हो जाते हैं और वह अपने पति से अलग नहीं होना चाहती। उसे अपनी सीधी-सादी ज़िंदगी पसंद है और उसे पढ़ाई की ज़रूरत महसूस नहीं होती।
कविता के आस-पास
1)यदि चंपा पढ़ी-लिखी होती तो कवि से कैसे बातें करती?
उत्तर:चंपा यदि पढ़ी-लिखी होती, तो कवि से शायद दुनिया, समाज और अपने आस-पास के जीवन के बारे में गहराई से बातें करती. वह किताबों से मिली जानकारी और अपने अनुभवों को जोड़कर नए सवाल पूछती, शायद अपनी कविताओं में भी खुद के विचारों को व्यक्त करती. वह कवि से साहित्य और ज्ञान के महत्व पर चर्चा करती, और शायद यह भी बताती कि शिक्षा ने उसके जीवन को कैसे बदल दिया है. उसकी बातें केवल खेतों और पशुओं तक सीमित न रहकर, जीवन के व्यापक फलक तक फैल जातीं.
2)इस कविता में पूर्वी प्रदेशों की स्त्रियों की किस विडंबनात्मक स्थिति का वर्णन हुआ है?’
उत्तर:यह कविता पूर्वी प्रदेशों की महिलाओं की अशिक्षा और आर्थिक परतंत्रता से उपजी दयनीय दशा को दर्शाती है। शिक्षा के अवसरों से वंचित ये स्त्रियाँ बाहरी दुनिया से अनजान और सीमित सोच वाली रह जाती हैं, जिससे उन्हें सामाजिक सम्मान भी नहीं मिल पाता। पुरुषों के शहरों की ओर पलायन के कारण वे पति वियोग और पारिवारिक अलगाव का दुख झेलती हैं, जहाँ निरक्षरता उन्हें पत्र पढ़ने या संदेश भेजने में भी असमर्थ बना देती है, जिससे उनका अकेलापन और बेबसी और बढ़ जाती है।
3)संदेश ग्रहण करने ओर भेजने में असमर्थ होने पर एक अनपढ़ लड़की को जिस वेदना और विपत्ति को भोगना पड़ता है, अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर:अशिक्षित लड़की के सामने चुनौतियां
शिक्षा से वंचित एक लड़की को जीवन के हर मोड़ पर कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. अकेलापन और अलगाव उसे घेर लेते हैं क्योंकि वह लिख-पढ़ नहीं पाती, जिससे दूसरों से जुड़ना मुश्किल हो जाता है.
भरोसे की कमी और शोषण का डर उसे हमेशा सताता है. ज़रूरी जानकारी के लिए दूसरों पर निर्भर रहने से उसे धोखा मिलने या गलत जानकारी मिलने का खतरा रहता है.
सीमित अवसर और आर्थिक चुनौतियां उसकी राह रोक देती हैं. अच्छी नौकरी न मिलने से वह गरीबी में फंस सकती है. रोज़मर्रा के काम जैसे खरीदारी या सरकारी फॉर्म भरना भी उसके लिए पहाड़ जैसा बन जाता है.
सबसे अहम, उसकी सुरक्षा और सम्मान खतरे में पड़ जाते हैं. आपात स्थिति में मदद न मांग पाने या धमकी भरे संदेशों को न समझ पाने से वह खुद को असहाय महसूस करती है, जिससे उसका आत्म-सम्मान भी कम होता है.
संक्षेप में, अशिक्षित लड़की को मानसिक तनाव, सामाजिक दूरी, आर्थिक तंगी और असुरक्षा जैसी कई परेशानियों से जूझना पड़ता है, जिससे वह आज की जुड़ी हुई दुनिया में भी खुद को कटा हुआ महसूस करती है.