Wednesday, January 29, 2025

नेताजी का चश्मा

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“नेताजी का चश्मा” कहानी में एक साधारण व्यक्ति, हालदार साहब, की कहानी है जो हर पंद्रह दिन में एक छोटे से कस्बे से गुजरते हैं। इस कस्बे के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक मूर्ति लगी हुई है, जिसमें नेताजी का चश्मा लगा हुआ है।

हालदार साहब पहली बार जब इस मूर्ति को देखते हैं तो उन्हें यह बहुत अच्छा लगता है। लेकिन बाद में जब वह कस्बे से गुजरते हैं तो उन्हें देखते हैं कि नेताजी की मूर्ति पर लगा चश्मा बदल गया है। पहले चौड़े काले फ्रेम वाला चश्मा था, अब उसके स्थान पर तार के फ्रेम वाला गोल चश्मा लगा हुआ है। फिर अगली बार जब वह कस्बे से गुजरते हैं तो उन्हें एक और नया चश्मा नेताजी की मूर्ति पर लगा हुआ दिखाई देता है।

हालदार साहब को इस बात से बहुत दुख होता है कि नेताजी की मूर्ति का अपमान किया जा रहा है। वह सोचते हैं कि नेताजी ने देश के लिए बहुत बड़ा त्याग किया है और उनके प्रति सम्मान दिखाना हमारा कर्तव्य है।

इस कहानी के माध्यम से लेखक ने देशभक्ति की भावना को जागृत करने का प्रयास किया है। उन्होंने बताया है कि हमें अपने देश के स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना चाहिए और उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारना चाहिए।

प्रश्न- अभ्यास

1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ?

उत्तर :

“नेताजी का चश्मा” कहानी में चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि वह अपने व्यवहार और व्यक्तित्व में एक सच्चे देशभक्त और नेता की तरह थे। चश्मेवाले के दिल में देशभक्ति की गहरी भावना थी और वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बहुत सम्मान देते थे। वह नेताजी की मूर्ति की रक्षा करने के लिए हर बार अलग-अलग चश्मे लगाकर अपना सम्मान व्यक्त करते थे। वह कस्बे के लोगों के लिए एक मिसाल थे और हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते थे। चश्मेवाले में नेतृत्व के गुण भी थे। इन सभी गुणों के कारण लोग उसे कैप्टन कहकर सम्मान देते थे। हालांकि वह सेना में नहीं थे, लेकिन उसके दिल में एक सच्चे सिपाही की भावना थी।

2. हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा –

(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?

(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है ?

(ग) हालदार साहब इतनी सी बात पर भावुक क्यों हो उठे ?

उत्तर :

(क) हालदार साहब नेताजी के प्रति गहरा सम्मान रखते थे। सरकंडे का चश्मा देखकर उन्हें लगा कि नेताजी के साथ अनादर किया जा रहा है, जिससे वह मायूस हो गए।

(ख) सरकंडे का चश्मा देशभक्ति, रचनात्मकता, समाज सेवा और एकता की उम्मीद जगाता है।

(ग) हालदार साहब इतनी सी बात पर भावुक इसलिए हो उठे क्योंकि उन्हें नेताजी के प्रति गहरा सम्मान था और सरकंडे का चश्मा देखकर उन्हें देशभक्ति का भाव आहत हुआ।

3. आशय स्पष्ट कीजिए-

“बार – बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी – जवानी जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है। “

उत्तर :

इस पंक्ति में देशभक्ति के अभाव, बलिदान का अपमान और स्वार्थ को दर्शाया गया है। यह उन लोगों की निंदा करती है जो देश के लिए कुछ नहीं करते, बल्कि अपने स्वार्थ के लिए सब कुछ कुर्बान करने को तैयार हैं। इस तरह के लोगों के कारण देश कमजोर हो जाता है। यह पंक्ति हमें देश के लिए समर्पित रहने और स्वार्थ त्यागने का संदेश देती है।

4. पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए ।

उत्तर :

पानवाला हमारी भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। उसकी दुकान एक छोटी सी दुनिया होती है जहां लोग मिलते-जुलते हैं। रेखाचित्र में एक छोटी सी दुकान, उस पर रखे पान के पत्ते, सुपारी आदि, मुस्कुराता हुआ पानवाला और कुछ ग्राहक दिखाए जा सकते हैं। पानवाला न केवल एक व्यापारी है बल्कि एक सामाजिक व्यक्ति भी है जो लोगों को एक साथ लाता है।

5. “वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में पागल है पागल ! “

कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर :

पानवाले की टिप्पणी “वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में पागल है पागल!” अत्यंत असम्मानजनक और अनुचित थी। यह कैप्टन की शारीरिक अक्षमता पर व्यंग्य करती है, जो किसी भी व्यक्ति के लिए अपमानजनक है। यह टिप्पणी देशभक्ति की भावना को भी ठेस पहुंचाती है, क्योंकि कैप्टन नेताजी की मूर्ति का सम्मान करके देशभक्ति का परिचय दे रहा था। इसके अलावा, यह समाज सेवा के कार्य को भी कमजोर करती है, क्योंकि कैप्टन अपने समय और प्रयास से नेताजी की मूर्ति की देखभाल कर रहा था। कैप्टन में देशभक्ति, समाज सेवा और लगन जैसे गुण मौजूद थे, जिन्हें पानवाले ने नजरअंदाज किया। इस घटना से हमें सीख मिलती है कि हमें किसी भी व्यक्ति को उसके शारीरिक रूप या सामाजिक स्थिति के आधार पर नहीं आंकना चाहिए, बल्कि उसके कार्यों और गुणों को देखना चाहिए।

रचना और अभिव्यक्ति

6. निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं-

(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते ।

(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती

के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला- साहब! कैप्टन मर गया।

(ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था ।

उत्तर :

(क)  विशेषता: देशभक्ति, आदर्शवादिता और भावुकता। यह वाक्य दर्शाता है कि हालदार साहब नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रति गहरा सम्मान रखते थे और उनसे प्रेरित थे। वे हमेशा नेताजी को याद करते और उनका सम्मान करते थे।

(ख) विशेषता: सरलता, भावुकता और सामाजिक जुड़ाव। यह वाक्य दर्शाता है कि पानवाला एक साधारण व्यक्ति था, जो समाज के लोगों से जुड़ा हुआ था और कैप्टन को अपना दोस्त मानता था। कैप्टन के निधन पर वह बहुत दुखी हुआ।

(ग) विशेषता: देशभक्ति, आदर्शवाद और रचनात्मकता। यह वाक्य दर्शाता है कि कैप्टन नेताजी के प्रति बहुत सम्मान रखता था और उसने अपनी रचनात्मकता से नेताजी की मूर्ति को सजाया।

7. जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन- चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए |

उत्तर :

जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् नहीं देखा था, तब तक उनके मन में कैप्टन की एक आदर्श छवि थी। उन्होंने कैप्टन को एक देशभक्त, आदर्शवादी और समाजसेवी के रूप में कल्पना किया होगा। शायद उन्होंने सोचा होगा कि कैप्टन लंबा, तंदुरुस्त और सैनिक जैसी पोशाक में होगा। हो सकता है उन्होंने यह भी कल्पना की हो कि कैप्टन सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करता होगा, किताबें पढ़ता होगा, देशभक्ति से जुड़े गाने गाता होगा और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विचारों से बहुत प्रभावित होगा। हालदार साहब के लिए कैप्टन एक ऐसा व्यक्ति था जो देशभक्ति, आदर्शवाद और समाज सेवा के गुणों से परिपूर्ण था।

8. कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन सा हो गया है-

(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?

(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों ? 

(ग ) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?

उत्तर :

(क) मूर्तियां लोगों को प्रेरित करती हैं, सम्मान व्यक्त करती हैं, सांस्कृतिक पहचान दर्शाती हैं, पर्यटन को बढ़ावा देती हैं और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं।

(ख) मैं अपने इलाके के चौराहे पर महात्मा गांधी की मूर्ति स्थापित करवाना चाहूंगा। उनकी मूर्ति हमें अहिंसा, राष्ट्रीय एकता, समाज सेवा, सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेगी।

(ग) हमें मूर्ति का सम्मान करना चाहिए, उसकी रक्षा करनी चाहिए, सफाई रखनी चाहिए, महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरित होना चाहिए और बच्चों को भी उनके बारे में बताना चाहिए।

9. सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश-प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे- सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए ।

उत्तर :

सीमा पर तैनात फौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक जीवन में भी देश-प्रेम प्रकट कर सकते हैं। जैसे:

  • स्वच्छता अभियान में भाग लेना
  • बिजली और पानी का संरक्षण करना
  • वोट डालना
  • कानून का पालन करना
  • स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करना
  • शिक्षा प्राप्त करना
  • समाज सेवा करना

ये सभी छोटे-छोटे कदम हैं जो हमें देश के विकास में योगदान देते हैं।

10. निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए-

कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया । उदर दूसरा बिठा दिया।

उत्तर :

“कोई ग्राहक आ गया समझो। उसे चौड़ा चौखटा चाहिए। तो कैप्टन कहाँ से लाएगा? तो उसे मूर्ति वाला दे दिया। दूसरा उदर बिठा दिया।”

11. ‘ भई खूब ! क्या आइडिया है।’ इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?

उत्तर :

“भई खूब! क्या आइडिया है।” इस वाक्य में अंग्रेजी शब्द “आइडिया” का प्रयोग हुआ है। एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों का आने से कई लाभ होते हैं। जैसे, नई अवधारणाओं को व्यक्त करना, भाषा को समृद्ध बनाना, विश्वव्यापी संवाद को बढ़ावा देना और नई तकनीकों और विचारों को अपनाना। हालांकि, अत्यधिक प्रयोग से भाषा कमजोर हो सकती है। इसलिए, हमें दूसरी भाषा के शब्दों का संतुलित तरीके से उपयोग करना चाहिए।

पाठेतर सक्रियता

लेखक का अनुमान है कि नेताजी की मूर्ति बनाने का काम मजबूरी में ही स्थानीय कलाकार को दिया गया-

(क) मूर्ति बनाने का काम मिलने पर कलाकार के क्या भाव रहे होंगे ?

(ख) हम अपने इलाके के शिल्पकार, संगीतकार, चित्रकार एवं दूसरे कलाकारों के काम को कैसे महत्त्व और प्रोत्साहन दे सकते हैं, लिखिए।

उत्तर :

(क) मूर्ति बनाने का काम मिलने पर कलाकार को गर्व, जिम्मेदारी, दबाव और चुनौती का अनुभव हुआ होगा। साथ ही उसे आर्थिक लाभ और मान्यता भी मिली होगी।

(ख) हम अपने इलाके के कलाकारों को उनकी कलाकृतियों को खरीदकर, प्रदर्शनियां आयोजित करके, उनकी प्रतिभा को पहचानकर, जागरूकता फैलाकर, सरकारी मदद से, कला शिक्षा को बढ़ावा देकर और नेटवर्किंग के अवसर प्रदान करके प्रोत्साहित कर सकते हैं।

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Dr. Upendra Kant Chaubey
Dr. Upendra Kant Chaubeyhttps://education85.com
Dr. Upendra Kant Chaubey, An exceptionally qualified educator, holds both a Master's and Ph.D. With a rich academic background, he brings extensive knowledge and expertise to the classroom, ensuring a rewarding and impactful learning experience for students.
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