Thursday, December 26, 2024

रहीम के दोहे

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रहीम दास मुगल काल के एक प्रसिद्ध कवि और संत थे, जिन्हें उनके सूक्ष्म और अक्सर हास्यपूर्ण दोहों के लिए जाना जाता है। उनके दोहे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं, जैसे कि:

  • सादगी और विनम्रता का महत्व: रहीम सादगी और संतोष के महत्व पर जोर देते हैं। वे अक्सर प्रकृति से उदाहरण लेते हैं।
  • शब्दों की शक्ति: रहीम शब्दों के प्रभाव पर प्रकाश डालते हैं और लोगों को शब्दों का बुद्धिमानी से उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
  • धैर्य और दृढ़ता का महत्व: रहीम के दोहे अक्सर धैर्य और दृढ़ता के महत्व पर प्रकाश डालते हैं।
  • जीवन की क्षणभंगुरता: वे हमें जीवन की क्षणभंगुरता और वर्तमान क्षण में जीने के महत्व की याद दिलाते हैं।

दोहे से

1. पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई कथन को प्रमाणित करनेवाला उदाहरण । इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए।

उत्तर :

“रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय।” – यह कथन प्रेम के बंधन की नाजुकता को दर्शाता है।

“बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।” – यह कथन बाहरी दिखावे के महत्वहीन होने की बात कहता है।

2. रहीम ने क्वार के मास में गरजनेवाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजनेवाले बादलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे?

उत्तर :

रहीमदास जी ने क्वार के मास (जून) में गरजने वाले बादलों की तुलना उन निर्धन व्यक्तियों से की है जो पहले धनी हुआ करते थे और अब अपनी पुरानी संपत्ति और शान के किस्से सुनाकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं।

  • क्यों की गई है यह तुलना?
    • कोरा शोर: क्वार के बादल गरजते हैं, लेकिन बारिश नहीं करते। ठीक उसी तरह, ये लोग केवल बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन उनके पास कुछ करने की क्षमता नहीं रहती।
    • अतीत का गौरव: ये बादल भी कभी बारिश करते थे, लेकिन अब नहीं करते। उसी तरह, ये लोग भी कभी धनी थे, लेकिन अब गरीब हो गए हैं।
    • दिखावा: ये लोग अपनी बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे बादल अपनी गरज से लोगों को डराने की कोशिश करते हैं।

दोहों से आगे

नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो उनके क्या लाभ होंगे? सोचिए और लिखिए-

(क) तरुवर फल………सचहिं सुजान।।

(ख) धरती की सी………यह देह ||

(क) तरुवर फल…सचहिं सुजान।।

  • अर्थ: पेड़ फल देता है, और सज्जन व्यक्ति सत्य बोलता है।
  • जीवन में इसका महत्व:
    • विश्वसनीयता: सत्य बोलने से व्यक्ति विश्वसनीय बनता है और लोगों का विश्वास जीतता है।
    • समाज में सम्मान: सच्चे व्यक्ति को समाज में सम्मान मिलता है।
    • मन की शांति: सत्य बोलने से मन शांत रहता है और किसी प्रकार का पछतावा नहीं होता।
    • मजबूत रिश्ते: सत्य बोलने से रिश्ते मजबूत होते हैं और विश्वास का वातावरण बनता है।

(ख) धरती की सी…यह देह ||

  • अर्थ: यह शरीर धरती के समान है।
  • जीवन में इसका महत्व:
    • अस्थायीपन: यह हमें याद दिलाता है कि हमारा शरीर अस्थायी है और हमें इस पर अत्यधिक गर्व नहीं करना चाहिए।
    • सेवा: धरती सभी जीवों को सहारा देती है, उसी तरह हमें भी दूसरों की सेवा करनी चाहिए।
    • संतुलन: धरती सूर्य और चंद्रमा के साथ संतुलन बनाए रखती है, उसी तरह हमें भी जीवन में संतुलन बनाए रखना चाहिए।
    • अहंकार त्याग: यह हमें अहंकार से दूर रहने और विनम्र रहने की शिक्षा देता है।

भाषा की बात

1. निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित हिंदी रूप लिखिए-

जैसे-परे पड़े (रे, ड़े)

बिपति

मछरी

बादर

सीत

उत्तर :

परे पड़े (रे, ड़े): इसका आधुनिक रूप होगा “परे पड़े हुए” या “परे पड़े रह गए”। यह एक मुहावरा है जिसका अर्थ है ‘बहुत दूर’ या ‘बहुत पहले’।

बिपति: इसका आधुनिक रूप “विपत्ति” है, जिसका अर्थ है कोई बड़ी मुसीबत या संकट।

मछरी: इसका आधुनिक रूप भी “मछरी” ही है।

बादर: इसका आधुनिक रूप “बादल” है।

सीत: इसका आधुनिक रूप “शीत” है, जिसका अर्थ है ठंड।

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Dr. Upendra Kant Chaubey
Dr. Upendra Kant Chaubeyhttps://education85.com
Dr. Upendra Kant Chaubey, An exceptionally qualified educator, holds both a Master's and Ph.D. With a rich academic background, he brings extensive knowledge and expertise to the classroom, ensuring a rewarding and impactful learning experience for students.
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