वीर कुँवर सिंह 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा थे। वे बिहार के जगदीशपुर के ज़मींदार थे। जब 1857 में भारत में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह हुआ, तो कुँवर सिंह ने भी अपनी सेना के साथ अंग्रेजों से लोहा लिया।
कुँवर सिंह एक बहादुर और कुशल योद्धा थे। उन्होंने अंग्रेजों को कई बार हराया। उन्होंने अपनी बुद्धि और युद्ध कौशल से अंग्रेजों को चकमा दिया। कुँवर सिंह ने अपने अंतिम समय तक अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
कुँवर सिंह का नाम आज भी देशभक्ति और वीरता का प्रतीक है। उनकी वीरता की कहानियां आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।
निबंध से
1. वीर कुँवर सिंह के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?
उत्तर :
अदम्य साहस और देशभक्ति: कुँवर सिंह ने 80 वर्ष की उम्र में भी अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उनकी यह अदम्य साहस और देशभक्ति प्रेरणादायी है।
युद्ध कौशल: वे एक कुशल सेनानायक थे और उन्होंने अंग्रेजों को कई बार हराया। उनकी युद्ध रणनीतियाँ अत्यंत प्रभावी थीं।
बुद्धिमत्ता: उन्होंने अपनी बुद्धि और चतुराई से अंग्रेजों को कई बार चकमा दिया।
नेतृत्व क्षमता: उन्होंने लोगों को अपने साथ जोड़कर एक मजबूत सेना का गठन किया।
न्यायप्रियता: वे न्यायप्रिय व्यक्ति थे और उन्होंने हमेशा अत्याचार का विरोध किया।
2. कुँवर सिंह को बचपन में किन कामों में मज़ा आता था? क्या उन्हें उन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में कुछ मदद मिली?
उत्तर :
कुँवर सिंह बचपन से ही एक सक्रिय और शक्तिशाली बच्चे थे। उन्हें पढ़ाई-लिखाई के बजाय शारीरिक गतिविधियों में अधिक रुचि थी। उन्हें घुड़सवारी, तलवारबाजी और कुश्ती लड़ने में बहुत मज़ा आता था।
बिल्कुल, इन कार्यों ने कुँवर सिंह को स्वतंत्रता सेनानी बनने में काफी मदद की।
3. सांप्रदायिक सद्भाव में कुँवर सिंह की गहरी आस्था थी- पाठ के आधार पर कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर :
उपरोक्त बिंदुओं से यह स्पष्ट होता है कि कुँवर सिंह सांप्रदायिक सद्भाव में दृढ़ विश्वास रखते थे। उन्होंने अपने जीवन और कार्यों से साबित किया कि धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। वे सभी धर्मों के लोगों को एक समान मानते थे और उनके कल्याण के लिए कार्य करते थे।
4. पाठ के किन प्रसंगों से आपको पता चलता है कि कुँवर सिंह साहसी, उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे?
उत्तर :
साहसी:
- अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई: कुँवर सिंह 80 वर्ष की उम्र में भी अंग्रेजों से लोहा लेते रहे। उन्होंने अपनी उम्र और कमजोर स्वास्थ्य के बावजूद अंग्रेजों को कई बार हराया। यह उनकी अदम्य साहस का प्रमाण है।
- अंत तक लड़ते रहे: उन्होंने अंतिम समय तक अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई जारी रखी। यह उनके दृढ़ संकल्प और साहस का प्रमाण है।
- खतरों का सामना: उन्होंने कई खतरनाक परिस्थितियों में भी अपना धैर्य नहीं खोया और साहसपूर्वक मुकाबला किया।
उदार:
- समाज सेवा: कुँवर सिंह ने अपने क्षेत्र में कई विकास कार्य करवाए। उन्होंने तालाब, कुएँ, स्कूल और सड़कें बनवाईं। यह उनकी उदारता का प्रमाण है।
- सभी धर्मों के प्रति सम्मान: कुँवर सिंह सभी धर्मों के लोगों का सम्मान करते थे। उन्होंने अपने घर में सभी धर्मों के त्योहार मनाए और सभी समुदायों के लोगों के लिए शिक्षा की व्यवस्था की।
- गरीबों की मदद: वे गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।
स्वाभिमानी:
- अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की: कुँवर सिंह ने कभी भी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की और अपनी आजादी के लिए लड़ते रहे।
- अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे: उन्होंने अपने सिद्धांतों पर कभी समझौता नहीं किया।
- देशभक्ति: वे एक सच्चे देशभक्त थे और उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।
5. आमतौर पर मेले मनोरंजन, खरीद फरोख्त एवं मेलजोल के लिए होते हैं। वीर कुँवर सिंह ने मेले का उपयोग किस रूप में किया?
उत्तर :
वीर कुँवर सिंह ने मेले का उपयोग एक अत्यंत चतुर तरीके से किया। जबकि आम लोग मेले को मनोरंजन और व्यापार के लिए इस्तेमाल करते थे, कुँवर सिंह ने इसे अपनी स्वतंत्रता संग्राम की रणनीति का एक हिस्सा बनाया।
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1. सन् 1857 के आंदोलन में भाग लेनेवाले किन्हीं चार सेनानियों पर दो-दो वाक्य लिखिए।
उत्तर :
1857 का स्वतंत्रता संग्राम भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस दौरान कई वीर योद्धाओं ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। आइए उनमें से चार के बारे में जानते हैं:
- मंगल पांडे: मंगल पांडे को 1857 के विद्रोह का पहला शहीद माना जाता है। उन्होंने मेरठ में ब्रिटिश सेना में विद्रोह का बिगुल फूंका था।
- तात्या टोपे: तात्या टोपे एक कुशल सेनानायक थे जिन्होंने मध्य भारत में विद्रोह का नेतृत्व किया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण लड़ाइयां जीतीं और अंग्रेजों के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गए।
- रानी लक्ष्मीबाई: रानी लक्ष्मीबाई झांसी की रानी थीं। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपनी जान की बाजी लगा दी।
- कुँवर सिंह: बिहार के जगदीशपुर के ज़मींदार कुँवर सिंह 80 वर्ष की उम्र में भी अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में कूद पड़े थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण किले और क्षेत्रों पर कब्जा किया था।
2. सन् 1857 के क्रांतिकारियों से संबंधित गीत विभिन्न भाषाओं और बोलियों में गाए जाते हैं। ऐसे कुछ गीतों को संकलित कीजिए ।
उत्तर :
विभिन्न भाषाओं और बोलियों में गाए गए कुछ गीत:
- हिंदी:
- “सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा”: हालांकि यह गीत बाद में लिखा गया, लेकिन यह 1857 की भावना को बखूबी बयां करता है।
- “वंदे मातरम”: बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित यह गीत भी 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से प्रेरित था।
- लोक गीत: उस समय कई लोक गीत भी रचे गए जो क्रांतिकारियों के साहस और बलिदान को गाते थे।
- उर्दू:
- अजीमुल्ला खान यूसुफजई ने दिल्ली के ‘पयाम-ए-आजादी’ नामक दैनिक पत्र में प्रकाशित ‘झंडा सलामी गीत’ या कौमी तराना लिखा था। यह गीत 1857 के विद्रोह के एक प्रमुख गीतों में से एक है।
अनुमान और कल्पना
1. वीर कुँवर सिंह का पढ़ने के साथ-साथ कुश्ती और घुड़सवारी में अधिक मन लगता था। आपको पढ़ने के अलावा और किन-किन गतिविधियों या कामों में खूब मज़ा आता है? लिखिए।
उत्तर :
कहानियां लिखना: मुझे अपनी कल्पना को शब्दों में ढालना बहुत पसंद है। मैं विभिन्न किरदारों और कहानियों के बारे में सोचता हूं और फिर उन्हें लिखता हूं।
नई चीजें सीखना: मैं हमेशा कुछ नया सीखने के लिए उत्सुक रहता हूं। चाहे वह कोई नई भाषा हो, कोई नया कौशल हो या कोई नया विषय हो, मैं हमेशा सीखने के लिए तैयार रहता हूं।
यात्रा करना: मुझे विभिन्न जगहों पर जाना और नई-नई संस्कृतियों का अनुभव करना बहुत पसंद है। यात्रा करने से मुझे नई चीजें सीखने और अपने ज्ञान को बढ़ाने का मौका मिलता है।
दोस्तों के साथ समय बिताना: मुझे अपने दोस्तों के साथ समय बिताना बहुत पसंद है। हम साथ में खेलते हैं, बातें करते हैं और नए अनुभव करते हैं।
कंप्यूटर गेम खेलना: मैं कंप्यूटर गेम खेलना भी बहुत पसंद करता हूं। यह मुझे तनाव मुक्त करने और मनोरंजन करने का एक अच्छा तरीका लगता है।
2. सन् 1857 में अगर आप 12 वर्ष के होते तो क्या करते? कल्पना करके लिखिए ।
उत्तर :
मैं शायद गुप्त रूप से सिपाहियों को हथियार और खाने-पीने की चीज़ें पहुंचाने में मदद करता। मैं अपने दोस्तों के साथ मिलकर लोगों को जागरूक करता कि हमें अंग्रेज़ों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना है।
मैं शायद युद्ध में सीधे तौर पर हिस्सा न ले पाता, लेकिन मैं पीछे रहकर घायल सिपाहियों की सेवा करता। मैं उन्हें पानी पिलाता, उनके जख्मों पर पट्टियां बांधता और उन्हें हिम्मत देता।
रात के अंधेरे में, मैं और मेरे दोस्त शायद गीत गाते हुए गांव-गांव घूमते और लोगों को एकजुट होने के लिए प्रेरित करते। हम अंग्रेज़ों के खिलाफ नारे लगाते और लोगों को समझाते कि हमारी आजादी हमारे हाथ में है।
3. अनुमान लगाइए, स्वाधीनता की योजना बनाने के लिए सोनपुर के मेले को क्यों चुना गया होगा ?
उत्तर :
सोनपुर का मेला, भारत का सबसे बड़ा पशु मेला होने के नाते, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के समय क्रांतिकारियों के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण स्थान बन गया था। खासकर वीर कुँवर सिंह ने इस मेले का उपयोग अपनी गुप्त बैठकों और योजनाओं के लिए किया था।
सोनपुर मेले को चुनने के पीछे कई कारण थे:
- भीड़: सोनपुर मेले में देश के कोने-कोने से लोग आते थे। इस भीड़ में क्रांतिकारी आसानी से एक-दूसरे से मिल सकते थे और बिना किसी शक के अपनी योजनाएं बना सकते थे।
- गुप्तता: इतनी बड़ी भीड़ में किसी विशेष व्यक्ति या समूह पर नजर रखना अंग्रेजों के लिए मुश्किल था। इससे क्रांतिकारियों को गुप्त रूप से मिलने और योजना बनाने का अवसर मिलता था।
- व्यापार: मेले में व्यापार होता था, जिसके कारण हथियारों और अन्य आवश्यक सामग्रियों को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता था।
- सांस्कृतिक महत्व: मेले का सांस्कृतिक महत्व भी था। लोग यहां धार्मिक अनुष्ठान करते थे और एक-दूसरे से मिलते-जुलते थे। इस तरह, क्रांतिकारी लोगों को राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत कर सकते थे।
भाषा की बात
आप जानते हैं कि किसी शब्द को बहुवचन में प्रयोग करने पर उसकी वर्तनी में बदलाव आता है। जैसे सेनानी एक व्यक्ति के लिए प्रयोग करते हैं और सेनानियों एक से अधिक के लिए। सेनानी शब्द की वर्तनी में बदलाव यह हुआ है कि अंत के वर्ण ‘नी’ की मात्रा दीर्घ ‘7’ (ई) से ह्रस्व ‘f’ (इ) हो गई है। ऐसे शब्दों को, जिनके अंत में दीर्घ ईकार होता है, बहुवचन बनाने पर वह इकार हो जाता है, यदि शब्द के अंत में ह्रस्व इकार होता है, तो उसमें परिवर्तन नहीं होता जैसे- दृष्टि से दृष्टियों ।
नीचे दिए गए शब्दों का वचन बदलिए-
नीति-
ज़िम्मेदारियों-
स्थिति-
स्वाभिमानियों-
सलामी-
गोली-
उत्तर :
नीति: नीतियाँ
ज़िम्मेदारियों: ज़िम्मेदारी
स्थिति: स्थितियाँ
स्वाभिमानियों: स्वाभिमानी
सलामी: सलामियाँ
गोली: गोलियाँ